Ranchi Bribery: घूस लेते रंगेहाथ पकड़ा गया अधिकारी, जानिए कैसे बिछा था एसीबी का जाल!
झारखंड में भ्रष्टाचार का पर्दाफाश! तमाड़ के आपूर्ति पदाधिकारी अभिजीत चैल को 10 हजार रुपये रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार किया गया। जानिए कैसे चलता था भ्रष्टाचार का खेल, और अब सरकार क्या कदम उठाएगी?

झारखंड में भ्रष्टाचार किस कदर पैर पसार चुका है, इसका ताजा उदाहरण तमाड़ प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी (BSO) अभिजीत चैल की गिरफ्तारी से सामने आया है। एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने मंगलवार को छापेमारी कर उन्हें 10 हजार रुपये रिश्वत लेते रंगेहाथ दबोच लिया।
लेकिन क्या यह सिर्फ एक मामूली रिश्वतखोरी का मामला है, या फिर झारखंड में सरकारी तंत्र की गहरी सड़ांध का सबूत? क्या यह पहली बार हुआ, या फिर ऐसे अधिकारी हर महीने आम जनता से उगाही कर रहे हैं?
आइए, जानते हैं इस पूरे खेल की अंदर की कहानी—
कैसे बिछा था एसीबी का जाल?
यह पूरा मामला तब सामने आया, जब परासी गांव के जनवितरण प्रणाली (PDS) दुकान संचालक धनंजय साहू ने एसीबी से शिकायत की।
आरोप था कि BSO अभिजीत चैल हर महीने राशन दुकान चलाने के लिए 3,000 रुपये रिश्वत मांगते थे।
इसके अलावा, 8 मार्च को अधिकारी ने धनंजय से 20,000 रुपये की रिश्वत मांगी थी।
धनंजय साहू ने रिश्वत देने से इनकार किया और एसीबी को शिकायत दर्ज कराई।
जांच के दौरान रिश्वतखोरी के आरोप सही पाए गए।
इसके बाद 17 मार्च को ACB थाना में मामला दर्ज किया गया और फिर मंगलवार को टीम ने जाल बिछाकर आरोपी को रंगेहाथ पकड़ लिया।
भ्रष्टाचार का 'राशन मॉडल' – कैसे होती थी उगाही?
सरकारी राशन दुकानों से गरीबों को मुफ्त और सस्ते दामों पर अनाज मिलता है, लेकिन भ्रष्ट अधिकारी इसे कमाई का जरिया बना लेते हैं।
क्या था अधिकारी का खेल?
राशन दुकानदारों से हर महीने 'सेवा शुल्क' के नाम पर पैसे वसूले जाते थे।
अगर कोई पैसा नहीं देता तो उसे झूठे आरोप लगाकर परेशान किया जाता।
जिन्होंने रिश्वत दी, उनकी दुकानों पर कोई जांच नहीं होती थी।
राशन की कालाबाजारी में शामिल अधिकारियों को हिस्सा मिलता था।
मतलब BSO अभिजीत चैल जैसे अधिकारी सिर्फ अपनी जेब भरने के लिए गरीबों के राशन पर डाका डाल रहे थे।
झारखंड में भ्रष्टाचार – कोई नई बात नहीं!
झारखंड में भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं है।
2011 में भी ACB ने खाद्य आपूर्ति विभाग के एक अधिकारी को 50 हजार रुपये घूस लेते पकड़ा था।
2017 में धनबाद में एक PDS दुकानदार से 15 हजार रुपये मांगने पर BSO को सस्पेंड किया गया था।
2022 में गोड्डा जिले में ACB ने एक BSO को 30 हजार की रिश्वत लेते हुए दबोचा था।
यह साबित करता है कि PDS सिस्टम में भ्रष्टाचार गहराई तक फैला हुआ है।
अब सवाल ये उठता है कि—
क्या सिर्फ एक अधिकारी की गिरफ्तारी से भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा?
क्या झारखंड सरकार ऐसे मामलों पर सख्त एक्शन लेगी?
क्या PDS दुकानदारों को अब राहत मिलेगी या फिर रिश्वतखोरी जारी रहेगी?
ACB ने क्या एक्शन लिया?
गिरफ्तार अभिजीत चैल को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया है।
ACB अब इस बात की जांच कर रही है कि क्या और अधिकारी भी इस गोरखधंधे में शामिल थे।
अब देखना होगा कि क्या यह मामला सिर्फ एक गिरफ्तारी तक सीमित रहेगा, या फिर झारखंड सरकार भ्रष्टाचार पर बड़ी कार्रवाई करेगी?
राशन घोटाले पर जनता क्या सोचती है?
"गरीबों के राशन से खेलना सबसे बड़ा पाप है।" – राकेश, तमाड़ निवासी
"राशन दुकानदारों से पैसे मांगना बंद होना चाहिए, नहीं तो PDS सिस्टम बर्बाद हो जाएगा।" – दिनेश, सामाजिक कार्यकर्ता
"ACB को सिर्फ एक गिरफ्तारी नहीं, बल्कि पूरी भ्रष्टाचार चेन तोड़नी चाहिए।" – सुमित, रांची निवासी
क्या सरकार अब जागेगी?
झारखंड में भ्रष्टाचार का जड़ से सफाया करने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
ACB को PDS सिस्टम की नियमित जांच करनी चाहिए।
रिश्वतखोरी के खिलाफ सख्त कानून लागू होना चाहिए।
आम जनता को जागरूक किया जाना चाहिए कि अगर कोई अधिकारी रिश्वत मांगे, तो तुरंत शिकायत करें।
अगर झारखंड सरकार ने इस मामले में सिर्फ औपचारिक कार्रवाई की, तो ऐसे भ्रष्ट अधिकारी फिर से बहाल हो जाएंगे और गरीबों का राशन लूटते रहेंगे।
What's Your Reaction?






