LIC एजेंट्स ने कमीशन कटौती और क्लॉबैक नियमों के खिलाफ उठाई आवाज़, देशव्यापी हड़ताल की चेतावनी
LIC एजेंट्स ने नए क्लॉबैक नियम और पहले वर्ष के कमीशन में कटौती का विरोध करते हुए देशव्यापी हड़ताल की धमकी दी। 1 अक्टूबर से लागू नए नियमों से एजेंट्स में गहरी नाराजगी है।
देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी, भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC), इन दिनों अपने 14 लाख एजेंट्स के भारी विरोध का सामना कर रही है। विरोध का कारण हाल ही में लागू किए गए नए क्लॉबैक नियम और पहले वर्ष के कमीशन में कटौती है। एजेंट्स ने इन बदलावों के खिलाफ नाराजगी जाहिर की है और चेतावनी दी है कि अगर इन नियमों को वापस नहीं लिया गया तो वे देशव्यापी हड़ताल पर जाएंगे।
LIC एजेंट्स क्यों कर रहे हैं विरोध?
LIC एजेंट्स की नाराजगी दो प्रमुख बदलावों को लेकर है, जिन्हें 1 अक्टूबर से लागू किया गया है:
- पहले वर्ष के कमीशन में कटौती: पहले जहां एजेंट्स को पहले वर्ष के प्रीमियम पर 35% कमीशन मिलता था, वहीं अब इसे घटाकर 28% कर दिया गया है। यह कटौती ऐसे समय में की गई है, जब एजेंट्स के संचालन खर्च में लगातार वृद्धि हो रही है।
- क्लॉबैक नियम की शुरुआत: यह एक नया नियम है, जिसके तहत यदि कोई पॉलिसीधारक पहला प्रीमियम चुकाने के बाद अपनी पॉलिसी रद्द कर देता है, तो LIC एजेंट्स से उनकी कमीशन वापस लेने का अधिकार रखती है। एजेंट्स का कहना है कि इससे उनकी आय पर अनिश्चितता बढ़ जाएगी और उनके काम पर अतिरिक्त बोझ पड़ जाएगा।
पहले वर्ष के कमीशन में कटौती से एजेंट्स की आय पर असर
पहले, LIC एजेंट्स को पहले वर्ष के प्रीमियम पर 35% तक कमीशन मिलता था। लेकिन हाल ही में किए गए संशोधन के बाद, यह कमीशन घटाकर 28% कर दिया गया है। हालांकि, दूसरे और उसके बाद के वर्षों के लिए नवीकरण कमीशन को 5% से बढ़ाकर 7.5% कर दिया गया है, लेकिन इससे एजेंट्स की शुरुआती आय पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।
एजेंट्स का कहना है कि उनकी आय का मुख्य हिस्सा पहले वर्ष के कमीशन से आता है, और इस कमीशन में कटौती से उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो रही है। ऑल इंडिया लाइफ इंश्योरेंस एजेंट्स फेडरेशन के अनुसार, एजेंट्स मांग कर रहे थे कि पहले वर्ष के कमीशन को 25% के साथ 40% बोनस के रूप में बढ़ाया जाए और दूसरे वर्ष से लेकर पॉलिसी के समाप्त होने तक इसे 9% किया जाए। हालांकि, LIC ने इसके विपरीत कमीशन को और घटा दिया है।
क्लॉबैक नियम: एक बड़ा विवाद का मुद्दा
नए क्लॉबैक नियम को लेकर एजेंट्स में विशेष नाराजगी है। इस नियम के तहत, यदि कोई पॉलिसीधारक पहले वर्ष का प्रीमियम जमा करने के बाद पॉलिसी रद्द करता है, तो LIC एजेंट्स से उनकी कमीशन वापस ले सकती है। एजेंट्स का कहना है कि पॉलिसी बेचने के बाद उनका काम खत्म हो जाता है, और फिर इस तरह से कमीशन वापस लेना उनके लिए अनुचित है।
एक LIC एजेंट ने कहा, "LIC हमसे वो कमीशन वापस लेना चाहती है, जिसे उन्होंने हमें बिजनेस लाने के लिए दिया था, लेकिन पॉलिसीधारक अगर किसी भी कारण से पॉलिसी छोड़ देता है तो हम क्या कर सकते हैं?" एजेंट्स का मानना है कि यह नियम उनके लिए बड़ा नुकसानदायक है और इससे उनकी आय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
नए सरेंडर वैल्यू नियम: LIC की मार्जिन सुरक्षा का प्रयास?
LIC ने पॉलिसीधारकों के लिए नए सरेंडर वैल्यू नियम भी पेश किए हैं, जिसके तहत पहले वर्ष का प्रीमियम जमा करने के बाद पॉलिसी छोड़ने वालों को खर्चों के बाद मामूली राशि वापस मिलेगी। पहले की व्यवस्था में, यदि कोई पॉलिसीधारक केवल पहला प्रीमियम जमा करता था और फिर पॉलिसी छोड़ देता था, तो उसे पूरी प्रीमियम राशि खोनी पड़ती थी। जबकि यह पॉलिसीधारकों के लिए बेहतर बदलाव है, लेकिन एजेंट्स का मानना है कि LIC अपने मार्जिन को सुरक्षित रखने के लिए कमीशन में कटौती कर एजेंट्स पर बोझ डाल रही है।
फेडरेशन की चेतावनी: हड़ताल की तैयारी
LIC के MD और CEO सिद्धार्थ मोहंती को लिखे गए पत्र में ऑल इंडिया लाइफ इंश्योरेंस एजेंट्स फेडरेशन ने इन बदलावों को एजेंट्स के लिए नुकसानदायक बताया है। फेडरेशन ने मांग की है कि क्लॉबैक नियम को तुरंत वापस लिया जाए और पहले वर्ष के कमीशन को पूर्ववत रखा जाए। पत्र में चेतावनी दी गई है कि यदि इन मांगों को पूरा नहीं किया गया तो एजेंट्स देशभर में हड़ताल करने को मजबूर हो जाएंगे।
“हम क्लॉबैक नियम का सख्त विरोध करते हैं और इसे तुरंत वापस लेने की मांग करते हैं। अगर इसे वापस नहीं लिया गया, तो एजेंट्स देशभर में हड़ताल करेंगे,” फेडरेशन ने कहा।
आईआरडीएआई का नियमों में योगदान
भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने जून में एक सर्कुलर जारी किया था, जिसमें पॉलिसीधारकों के हित में बदलाव किए गए थे ताकि वे समय से पहले पॉलिसी छोड़ने पर बेहतर भुगतान प्राप्त कर सकें। ये नियम 1 अक्टूबर से लागू किए गए हैं और इसका उद्देश्य पॉलिसीधारकों को बेहतर सेवाएं प्रदान करना और समय से पहले पॉलिसी छोड़ने पर उन्हें उचित वापसी प्रदान करना है।
हालांकि, इन बदलावों से LIC एजेंट्स नाराज हैं, जो मानते हैं कि इन नियमों से उनकी आय और सुरक्षा को नुकसान हो रहा है। जबकि ये बदलाव पॉलिसीधारकों के लिए लाभकारी साबित हो सकते हैं, लेकिन एजेंट्स को इनसे बाहर किया जा रहा है और उनकी मेहनत को नज़रअंदाज किया जा रहा है।
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