Rajasthan Shock: कफ सिरप ने 9 बच्चों की ली जान! सरकारी 'फ्री दवा' बनी जहर
राजस्थान के सीकर और भरतपुर के सरकारी अस्पतालों में 'मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना' के तहत बांटी गई जेनेरिक कफ सिरप (डेक्स्ट्रोमेथॉरफन हाइड्रोब्रोमाइड) पीने से 9 बच्चों की मौत हो गई है। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में भी 6 मौतें हुईं। स्वास्थ्य मंत्री ने जांच समिति गठित की और विपक्ष ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाया।

भारत में स्वास्थ्य सेवाओं पर एक बार फिर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। राजस्थान के सीकर और भरतपुर के सरकारी अस्पतालों में 'मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना' के तहत मुफ्त बांटी गई एक जेनेरिक खांसी की दवा बच्चों के लिए जहर साबित हुई है। इस कफ सिरप के सेवन से 9 मासूम बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई है। यह घटना न केवल सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में दवाओं की गुणवत्ता पर एक भयानक प्रश्नचिह्न लगाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे 'फ्री' की दवाएं जानलेवा बन सकती हैं।
भारतीय चिकित्सा इतिहास में, दवाओं की गुणवत्ता को लेकर ऐसी त्रासदियां पहले भी हुई हैं, लेकिन सरकारी वितरण प्रणाली के तहत इतनी बड़ी संख्या में मौतों ने पूरे सिस्टम को कटघरे में खड़ा कर दिया है। यह सिर्फ एक संयोग नहीं है कि मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में भी इसी तरह के कफ सिरप के इस्तेमाल से छह बच्चों की जान गई है। ये लगातार हो रही मौतें बता रही हैं कि कहीं न कहीं दवा निर्माण और उसकी सप्लाई चेन में गंभीर खामी मौजूद है।
सरकारी योजना, मौत का सामान
यह त्रासदी उन परिवारों के लिए दोहरी मार है जो मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना पर निर्भर थे। उन्हें मुफ्त में मिली खांसी की दवा, यानी डेक्स्ट्रोमेथॉरफन हाइड्रोब्रोमाइड सिरप, ही उनके बच्चों की मौत का कारण बन गई।
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डॉक्टर भी बीमार: मामले की गंभीरता तब और बढ़ गई, जब बताया गया कि एक अस्पताल के डॉक्टर ने भी एक बच्चे की तबीयत बिगड़ने पर यही कफ सिरप पीया था और उनकी भी तबीयत बिगड़ गई थी। यह साफ संकेत है कि दवा की गुणवत्ता में ही घातक गड़बड़ी थी।
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह ने घटना का संज्ञान लिया है और जयपुर पहुंचकर तत्काल कार्रवाई करने का भरोसा दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस घटना पर दुख जाहिर किया है और जांच का भरोसा दिया है।
ड्रग कंट्रोलर का एक्शन और विपक्ष का आक्रोश
इस घटना के सामने आते ही ड्रग कंट्रोलर हरकत में आया और उसने सिरप के इस्तेमाल पर तत्काल रोक लगा दी है। आगे की जांच के लिए सिरप के सैंपल लैब में भेजे गए हैं। इन 9 मौतों के अलावा, कई अन्य जगहों पर भी इस तरह के सिरप को पीने के बाद कुछ बच्चे बीमार हो गए थे।
राजस्थान सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने मामले की जांच के लिए 3 सदस्यों की समिति गठित की है, लेकिन विपक्षी दल कांग्रेस ने इसे सरकार की घोर लापरवाही और भ्रष्टाचार का आलम बताया है। कांग्रेस ने पीड़ित परिवारों के लिए न्याय की मांग करते हुए राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला है।
यह मामला केवल राजस्थान तक सीमित नहीं है। चूंकि मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में भी 6 बच्चों की जान इसी तरह के सिरप से गई है, इसलिए कफ सिरप की क्वालिटी पर राष्ट्रीय स्तर पर गहन जांच की जरूरत महसूस हो रही है। इस बात की आशंका है कि यह खराब गुणवत्ता वाली दवा अन्य राज्यों में भी सप्लाई की गई हो सकती है।
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