Modi Government: क्या एक साथ होंगे सभी चुनाव? जानें ‘एक देश, एक चुनाव’ विधेयक के बारे में!
मोदी सरकार ने 'एक देश, एक चुनाव' विधेयक को मंजूरी दी है, जो अगले सप्ताह संसद में पेश हो सकता है। जानें क्या बदलाव होगा और इससे चुनाव प्रक्रिया पर क्या असर पड़ेगा।
12 दिसंबर 2024: मोदी सरकार ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए ‘एक देश, एक चुनाव’ विधेयक को कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दे दी। इस विधेयक को लेकर राजनीतिक हलकों में काफी चर्चा हो रही है और इसे भारतीय लोकतंत्र की चुनाव प्रक्रिया में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है। अब इस विधेयक को अगले सप्ताह शीतकालीन सत्र में संसद में पेश करने की संभावना जताई जा रही है। इसके साथ ही, सरकार ने इस प्रक्रिया को और पारदर्शी और लोकतांत्रिक बनाने के लिए जेपीसी (संविधान संशोधन समिति) का गठन करने का निर्णय लिया है।
‘एक देश, एक चुनाव’ का मतलब क्या है?
भारत में आजकल विभिन्न राज्यों के चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं, जिसके कारण देशभर में चुनावी अभियान चलने के दौरान न केवल राजनीतिक अस्थिरता होती है, बल्कि जनता भी थक चुकी होती है। लेकिन अगर यह विधेयक पास हो जाता है, तो देशभर में एक साथ चुनाव कराए जाएंगे। इसका मतलब यह होगा कि लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव एक ही समय पर होंगे।
क्या बदलाव लाएगा यह विधेयक?
‘एक देश, एक चुनाव’ विधेयक लागू होने के बाद देश की चुनावी प्रक्रिया में बुनियादी बदलाव होगा। इस विधेयक के पारित होने के बाद, लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ होंगे। इससे चुनावों की लागत में कमी आएगी और चुनावी प्रक्रिया को समयबद्ध तरीके से पूरा किया जा सकेगा। साथ ही, चुनावी हिंसा और अस्थिरता के खतरों को भी कम किया जा सकता है।
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की रिपोर्ट
इससे पहले, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई थी, जिसने ‘एक देश, एक चुनाव’ के विषय पर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। रिपोर्ट में इस विषय से जुड़े कई पहलुओं पर चर्चा की गई थी और इसे लागू करने के लिए आवश्यक बदलावों की सिफारिश की गई थी। अब सरकार ने इस रिपोर्ट के आधार पर विधेयक को मंजूरी दी है, जो भारतीय राजनीति में एक नई दिशा प्रदान करेगा।
क्या होगा आगे?
इस विधेयक के लिए अब जेपीसी (संविधान संशोधन समिति) का गठन किया जाएगा, जो विधेयक से जुड़ी सभी कानूनी और संवैधानिक पहलुओं का अध्ययन करेगी। इसके बाद विभिन्न राजनीतिक दलों से इस पर सुझाव लिए जाएंगे और फिर इसे संसद में पेश किया जाएगा। यदि यह विधेयक संसद में पास हो जाता है, तो यह भारत की चुनावी प्रणाली में एक ऐतिहासिक बदलाव होगा।
विधेयक का उद्देश्य और भविष्य
इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य चुनावों की प्रक्रिया को सरल बनाना है। चुनावों की तारीखें तय करने में सरकार और चुनाव आयोग को सुविधा होगी, और इससे चुनावी खर्च भी कम होगा। इसके अलावा, इस विधेयक से चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और चुनावों की तिथियों का विवाद भी समाप्त होगा।
राजनीतिक दलों का इस पर क्या कहना है?
हालांकि, इस विधेयक को लेकर कई राजनीतिक दलों के बीच असहमति भी देखी जा रही है। कुछ दलों का मानना है कि यह विधेयक राज्यों की स्वायत्तता को कमजोर कर सकता है, जबकि कुछ का मानना है कि यह विधेयक देश की चुनावी प्रक्रिया को बेहतर बनाएगा। इसलिए इस विधेयक को लेकर आगे चलकर संसद में बहस होने की संभावना है, जिसमें सभी दलों के विचार सामने आएंगे।
भारत की चुनावी प्रक्रिया में एक नई शुरुआत
‘एक देश, एक चुनाव’ विधेयक को लेकर सरकार का कहना है कि इससे देश में चुनावी प्रक्रियाओं का आयोजन सुलभ होगा, जिससे प्रशासनिक खर्चों में कमी आएगी और चुनावी माहौल में स्थिरता आएगी। यदि यह विधेयक पारित होता है, तो यह भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक ऐतिहासिक पल होगा।
एक साथ चुनाव से क्या मिलेगा भारत को?
‘एक देश, एक चुनाव’ विधेयक का प्रस्ताव भारतीय राजनीति में बदलाव की एक नई लहर ला सकता है। इस बदलाव से ना केवल चुनावी खर्च में कमी आएगी, बल्कि चुनावों के आयोजन में भी सुविधा होगी। इस विधेयक को लेकर सभी राजनीतिक दलों के विचार महत्वपूर्ण होंगे और इसे लागू करने से पहले व्यापक विचार-विमर्श की आवश्यकता होगी।
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