प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ छत्तीसगढ़ के मंजीत अदब ने बनाया खास गीत
प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या को देखते हुए छत्तीसगढ़ के मंजीत अदब ने एक सार्थक गीत की रचना की। इस गीत के जरिए लोगों को प्लास्टिक की रोकथाम के लिए जागरूक करने का प्रयास किया गया है।
भिलाई, 24 अक्टूबर 2024: प्लास्टिक प्रदूषण, जो आज के समय में पर्यावरण के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है, पर छत्तीसगढ़ के मंजीत अदब ने एक सार्थक पहल की है। उन्होंने इस समस्या के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए एक खास गीत की रचना की है। मंजीत अदब, जो संगीत संगति संस्थान ध्वनि संस्कार के संचालक हैं, ने इस गीत को स्वयं संगीतबद्ध किया है और उनके छात्रों ने इसे गाया है। यह गीत प्लास्टिक के दुष्प्रभावों को उजागर करता है और लोगों से प्लास्टिक के उपयोग को कम करने की अपील करता है।
स्वच्छ पर्यावरण की आवश्यकता पर जोर
मंजीत अदब ने बताया, "एक स्वस्थ जीवन के लिए स्वच्छ पर्यावरण बेहद जरूरी है। जिस प्रकृति ने हमें जीवन दिया है, उसे स्वच्छ पर्यावरण के रूप में उपहार देना हमारा कर्तव्य है।" लेकिन, उन्होंने अफसोस जताया कि इंसान ने अपनी सुविधाओं के लिए पर्यावरण को इतना प्रदूषित कर दिया है कि अब स्वच्छ वातावरण केवल एक कल्पना बनकर रह गया है।
उन्होंने कहा कि प्लास्टिक प्रदूषण, जिसने जल, थल और वायु को बुरी तरह प्रभावित किया है, आज सबसे गंभीर समस्याओं में से एक है। कई सरकारी और गैर-सरकारी प्रयासों के बावजूद यह समस्या एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
गीत के माध्यम से जागरूकता फैलाने का प्रयास
मंजीत अदब ने छत्तीसगढ़ आस-पास न्यूज संवाददाता को बताया कि उन्होंने पॉलीथिन की रोकथाम के लिए एक बहुत ही सार्थक गीत की रचना की है। उनकी यह रचना लोगों को प्लास्टिक के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करने का एक प्रयास है। इस गीत को छत्तीसगढ़ आस-पास न्यूज चैनल, वेब पोर्टल, और यूट्यूब पर साझा किया गया है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसे सुनें और प्लास्टिक के उपयोग को कम करने की दिशा में कदम उठाएं।
गीत का लिंक यूट्यूब पर उपलब्ध है और मंजीत अदब चाहते हैं कि इसे अधिक से अधिक लोग सुनें और अमल में लाएं। उनका मानना है कि अगर हम सभी मिलकर छोटे-छोटे प्रयास करेंगे, तो प्लास्टिक प्रदूषण जैसी भयानक समस्या से निपटा जा सकता है।
इस गीत के माध्यम से मंजीत अदब ने प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में अपनी अनोखी भागीदारी निभाई है। अब यह हम पर निर्भर करता है कि हम उनके इस संदेश को कितना गंभीरता से लेते हैं और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाते हैं।
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