Jharkhand Protest Delegation: भव्य स्मारक और रिहाई की उठी मांग, जयपाल सिंह मुंडा के सम्मान में कदम
झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा ने जयपाल सिंह मुंडा के नाम पर भव्य स्मारक और आंदोलनकारियों की रिहाई की मांग करते हुए उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा। जानिए पूरी कहानी।
झारखंड (रांची)। झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा के प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को उपायुक्त से मुलाकात की और जयपाल सिंह मुंडा के नाम पर भव्य स्मारक निर्माण और आंदोलनकारियों की बिना शर्त रिहाई की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा। प्रतिनिधियों ने झारखंड आंदोलन के इतिहास और जयपाल सिंह मुंडा के अतुलनीय योगदान का जिक्र करते हुए जिला प्रशासन पर आंदोलनकारियों के प्रति संवेदनहीनता का आरोप लगाया।
कौन थे जयपाल सिंह मुंडा? मरांग गोमके (महान नेता) के नाम से प्रसिद्ध जयपाल सिंह मुंडा झारखंड राज्य के निर्माण में सबसे बड़े आदिवासी नेताओं में से एक थे। उनका जन्म 3 जनवरी 1903 को खूँटी जिले में हुआ था। एक शिक्षाविद, राजनेता, और महान आदिवासी नेता के रूप में वे भारत के संविधान सभा के सदस्य भी रहे। उनकी प्रमुख भूमिका झारखंड के आदिवासी समाज की भाषा, संस्कृति और अधिकारों की रक्षा में रही।
उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ाई की और 1928 के एम्स्टर्डम ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम का नेतृत्व किया। हॉकी के मैदान से लेकर राजनीति के मंच तक, उनका जीवन संघर्ष और आदिवासी अधिकारों की लड़ाई का प्रतीक रहा। इसीलिए झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा ने उनके नाम पर स्मारक की मांग उठाई है।
क्या हैं आंदोलनकारियों की मांगें? प्रतिनिधिमंडल ने उपायुक्त को दिए ज्ञापन में तीन मुख्य मांगे रखीं:
- जयपाल सिंह मुंडा के नाम पर भव्य स्मारक का निर्माण: यह स्मारक आदिवासी समाज के गौरव और इतिहास को संरक्षित करेगा।
- आंदोलनकारियों की नि:शर्त रिहाई: प्रतिनिधियों ने बताया कि झारखंड आंदोलन से जुड़े कुछ व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया है, जिन्हें तुरंत रिहा किया जाना चाहिए।
- आंदोलनकारियों के प्रति सम्मान का अनुरोध: जिला प्रशासन से यह भी आग्रह किया गया कि वे झारखंड आंदोलनकारियों के प्रति संवेदनशीलता दिखाएं और उनकी मान-मर्यादा का सम्मान सुनिश्चित करें।
ज्ञापन में क्या कहा गया? झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा के जिला अध्यक्ष शिबू काली मैथी ने कहा, “जयपाल सिंह मुंडा ने आदिवासी समाज के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। उनका योगदान झारखंड के निर्माण और आदिवासी अधिकारों के संरक्षण में अतुलनीय है। आज उनके नाम पर स्मारक बनाना हमारा कर्तव्य है।"
साथ ही बी हांसदा और गणेश जैसे प्रमुख प्रतिनिधियों ने आंदोलनकारियों की रिहाई की मांग करते हुए कहा कि “आंदोलन में शामिल होकर जेल जाने वाले लोगों ने झारखंड के लिए अपना योगदान दिया है। अब उन्हें हिरासत में रखना अन्याय है।”
प्रशासन के प्रति नाराजगी प्रतिनिधिमंडल ने उपायुक्त को सौंपे ज्ञापन में यह भी आरोप लगाया कि जिला प्रशासन झारखंड आंदोलनकारियों के प्रति उदासीन रवैया अपना रहा है। उन्होंने प्रशासन से अपील की कि आंदोलनकारियों के योगदान को पहचानें और उन्हें उचित सम्मान दें।
इतिहास की याद और भविष्य की उम्मीद झारखंड आंदोलन का इतिहास संघर्ष और बलिदान की कहानियों से भरा है। राज्य का निर्माण 15 नवंबर 2000 को हुआ, लेकिन इससे पहले के आंदोलनकारियों ने अपनी जान की परवाह किए बिना इस सपने को साकार करने के लिए संघर्ष किया।
क्या होगा आगे? झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा के इस कदम ने प्रशासन और जनता के बीच एक नई चर्चा छेड़ दी है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन इस ज्ञापन पर क्या कदम उठाता है और जयपाल सिंह मुंडा के नाम पर भव्य स्मारक की मांग को कैसे पूरा करता है।
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