Jamshedpur Accident: भुइयांडीह में पलटा चूना पत्थर से लदा ट्रेलर, रातभर जाम में फंसे रहे वाहन
जमशेदपुर के सीतारामडेरा थाना क्षेत्र में भुइयांडीह गोलचक्कर के पास चूना पत्थर से लदा एक ट्रेलर अनियंत्रित होकर पलट गया। गनीमत रही कि कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन सड़क पर घंटों जाम की स्थिति बनी रही।

जमशेदपुर शहर की रफ्तार उस समय थम गई जब भुइयांडीह गोलचक्कर के समीप बीती रात एक भारी-भरकम ट्रेलर अचानक पलट गया। सीतारामडेरा थाना क्षेत्र में हुई इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या भारी वाहनों की आवाजाही पर कोई ठोस निगरानी है?
राजस्थान से आया ट्रेलर बना जाम का कारण
ट्रेलर राजस्थान नंबर प्लेट वाला था, जिसमें चूना पत्थर लदा हुआ था। हादसे के वक्त ट्रेलर अनियंत्रित हो गया और सीधे सड़क पर पलट गया। इसकी वजह से न सिर्फ यातायात बाधित हुआ, बल्कि लोगों को घंटों परेशानी झेलनी पड़ी।
ट्रेलर की लंबाई और उसमें भरे माल की मात्रा इतनी ज्यादा थी कि सड़क का एक बड़ा हिस्सा पूरी तरह ब्लॉक हो गया। गाड़ियों की लंबी कतारें लग गईं, और स्थानीय लोगों को रास्ता बदलकर जाना पड़ा।
गनीमत रही, नहीं हुआ कोई बड़ा हादसा
हालांकि इस दुर्घटना में कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन हादसे की गंभीरता को देखकर यही कहा जा सकता है कि यह एक बड़ा हादसा भी बन सकता था। जिस स्थान पर ट्रेलर पलटा, वहां अक्सर लोग चाय-नाश्ते के लिए रुकते हैं। लेकिन सौभाग्य से रात का समय होने के कारण राहगीर कम थे।
इतिहास से सबक नहीं ले रहे ट्रांसपोर्टर?
जमशेदपुर में भारी वाहनों की दुर्घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं। इससे पहले भी मानगो, बर्मामाइंस और टेल्को इलाकों में ट्रेलर या भारी ट्रकों के पलटने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। बावजूद इसके ट्रांसपोर्ट एजेंसियां और ट्रक ड्राइवर सुरक्षा मानकों को लेकर गंभीर नहीं दिखते।
चूना पत्थर जैसे भारी माल को ट्रांसपोर्ट करना आसान नहीं होता। इसके लिए संतुलन और रफ्तार का सटीक तालमेल जरूरी होता है। अक्सर देखा गया है कि ड्राइवर लंबी दूरी की थकान या तेज रफ्तार में नियंत्रण खो बैठते हैं, जो ऐसे हादसों की वजह बनता है।
पुलिस की तत्परता ने बचाई स्थिति
घटना की सूचना मिलते ही सीतारामडेरा थाना पुलिस मौके पर पहुंची। ट्रेलर को हटाने के लिए क्रेन मंगवाई गई और करीब दो घंटे की मशक्कत के बाद सड़क को फिर से चालू किया गया। पुलिस ने स्थानीय ट्रैफिक को वैकल्पिक मार्गों से डायवर्ट कर स्थिति पर नियंत्रण पाया।
क्या अब आएगा कोई स्थायी समाधान?
ऐसे हादसे बार-बार यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि क्या शहर में भारी वाहनों के लिए कोई तय समय सीमा और रूट निर्धारित नहीं होना चाहिए? क्या ट्रक ड्राइवरों की फिटनेस और ट्रेफिक नियमों की समीक्षा नहीं होनी चाहिए?
जब तक ट्रांसपोर्ट सिस्टम में अनुशासन नहीं लाया जाएगा, तब तक ऐसे हादसे होते रहेंगे और आम जनता को परेशानी उठानी पड़ेगी।
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