Jamshedpur Meeting: टाटा स्टील को 'जीरो एक्सीडेंट' बनाने की प्लानिंग शुरू, यूनियन ने बदली रणनीति

जमशेदपुर में टाटा स्टील की अधिकृत यूनियन टाटा वर्कर्स यूनियन की अहम बैठक में 'जीरो एक्सीडेंट' लक्ष्य को लेकर बड़ी रणनीति तैयार की गई। ऑफिस बियरर्स को दिए गए अलग-अलग एरिया सेफ्टी टारगेट।

Apr 19, 2025 - 13:25
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Jamshedpur Meeting: टाटा स्टील को 'जीरो एक्सीडेंट' बनाने की प्लानिंग शुरू, यूनियन ने बदली रणनीति
Jamshedpur Meeting: टाटा स्टील को 'जीरो एक्सीडेंट' बनाने की प्लानिंग शुरू, यूनियन ने बदली रणनीति

जमशेदपुर: देश की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित इस्पात कंपनी टाटा स्टील ने अपने ‘जीरो एक्सीडेंट मिशन’ को लेकर अब बेहद आक्रामक और गंभीर रुख अपना लिया है। शुक्रवार को टाटा वर्कर्स यूनियन की एक महत्वपूर्ण बैठक में कंपनी की सुरक्षा यात्रा को नए आयाम देने की रणनीति पर गहन चर्चा हुई। यह बैठक इसलिए भी खास रही क्योंकि इसमें न केवल कंपनी के बड़े अधिकारी बल्कि यूनियन के सभी ऑफिस बियरर्स शामिल हुए।

बैठक की अध्यक्षता टाटा स्टील के वीपी सेफ्टी राजीव मंगल ने की, जबकि यूनियन के अध्यक्ष संजीव चौधरी टुन्नू ने सुरक्षा को लेकर कई अहम पहलुओं को सामने रखा।

क्यों उठी 'जीरो एक्सीडेंट' की जरूरत?

आपको जानकर हैरानी होगी कि टाटा स्टील की स्थापना 1907 में हुई थी और तभी से यह कंपनी देश में सुरक्षा मानकों की मिसाल रही है। लेकिन समय के साथ कर्मचारियों की संख्या और वेंडर बेस में बढ़ोतरी के कारण सेफ्टी मैनेजमेंट एक नई चुनौती बन गया है।

संजीव चौधरी टुन्नू ने कहा कि यदि टाटा स्टील को सच में ‘जीरो एक्सीडेंट’ कंपनी बनाना है तो हमें सिर्फ कर्मचारियों को नहीं, बल्कि वेंडर कर्मचारियों को भी जागरूक करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि यूनियन के हर ऑफिस बियरर को अब न सिर्फ अपना क्षेत्र सुरक्षित बनाना है, बल्कि सेफ्टी ट्रेनिंग और लाइन वर्क सुपरविजन पर भी खास ध्यान देना होगा।

क्या थी बैठक में चर्चा?

बैठक में यह तय हुआ कि यूनियन के हर ऑफिस बियरर को उनका विशिष्ट एरिया ऑफ ऑपरेशन सौंपा जाएगा। यह अधिकारी अपने-अपने क्षेत्र में सुरक्षा ऑडिट, कर्मचारियों से संवाद, लाइन वर्क समीक्षा और रूटीन चेकअप की जिम्मेदारी निभाएंगे।

मीटिंग में मौजूद सभी बियरर्स ने अपने-अपने सुझाव दिए और इस बात पर सहमति जताई कि अगर यूनियन और मैनेजमेंट एक साथ मिलकर चले तो ‘जीरो हार्म जोन’ की दिशा में कदम बढ़ाना बिल्कुल मुमकिन है।

VP सेफ्टी का क्या था नजरिया?

राजीव मंगल, जो खुद सेफ्टी के वीपी हैं, ने स्पष्ट किया कि टाटा स्टील की सेफ्टी जर्नी कोई एक दिन का अभियान नहीं, बल्कि एक सतत प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि हम समय-समय पर इन कार्यों का रिव्यू करेंगे और जहां कमी होगी, उसे तुरंत दूर किया जाएगा। उनका मानना है कि जीरो एक्सीडेंट सिर्फ स्लोगन नहीं, बल्कि इसे संस्कृति का हिस्सा बनाना होगा।

मीटिंग में कौन-कौन थे शामिल?

बैठक में यूनियन के सभी ऑफिस बियरर्स के साथ-साथ चीफ सेफ्टी ऑफिसर नीरज सिन्हा भी शामिल हुए। उन्होंने कहा कि जब तक कर्मचारी और यूनियन साथ न आएं, तब तक कोई भी सेफ्टी पहल पूरी तरह सफल नहीं हो सकती।

क्या बदलेगी रणनीति?

इतिहास बताता है कि टाटा स्टील ने 1980 के दशक में भी कई बार सेफ्टी को लेकर बड़ी पहल की थी, लेकिन अब वक्त है डिजिटल और व्यवहारिक बदलावों का। इस बार रणनीति सिर्फ पोस्टर और वर्कशॉप तक सीमित नहीं, बल्कि मैदान में उतरकर कर्मचारियों के साथ मिलकर काम करने की है

अब सवाल यह है कि क्या यह नया रोडमैप टाटा स्टील को सच में भारत की पहली जीरो एक्सीडेंट इंडस्ट्रियल यूनिट बना पाएगा?

या फिर यह भी बीते सालों की तरह कागज़ों में दबकर रह जाएगा?

एक बात तय है — जमीनी बदलाव की यह कोशिश आने वाले वक्त में पूरे इंडस्ट्री सेक्टर के लिए मिसाल बन सकती है।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।