Ranchi Loot: फ्लावर शॉप में हथियार से लूट, CCTV से खुला चौंकाने वाला राज
रांची के कांके रोड स्थित एक फ्लावर शॉप में हथियार के बल पर लूट की घटना हुई। पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। CCTV फुटेज से केस में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।

रांची: कांके रोड की भीड़भाड़ वाली सड़कों पर मौजूद ‘फ्रेश पेटल’ नाम की फ्लावर डेकोरेशन की दुकान में बीते दिनों कुछ ऐसा हुआ जिसने शहर को हिला कर रख दिया। दिनदहाड़े दुकान में हथियार लेकर घुसे दो युवकों ने 1.67 लाख रुपये लूटने की वारदात को अंजाम दिया। लेकिन जब जांच आगे बढ़ी तो हकीकत कुछ और ही निकली।
इस सनसनीखेज घटना की जांच में जुटी रांची पुलिस ने शनिवार को दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है— मेहुल कुमार और अमनजय सिंह। डीआईजी सह एसएसपी चंदन कुमार सिन्हा ने प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि दोनों आरोपियों को उनके घर से गिरफ्तार किया गया और उनके खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत अलग से मामला भी दर्ज किया गया है।
एक छोटी दुकान, बड़ी साजिश
घटना 1.67 लाख रुपये की लूट की बताई गई थी, जिसमें कहा गया कि दुकान मालिक से 1.5 लाख और कर्मचारी से 17 हजार रुपये छीने गए थे। लेकिन जब पुलिस ने दुकान में लगे CCTV फुटेज की जांच की तो चौकाने वाला खुलासा हुआ— 1.5 लाख की लूट का कोई स्पष्ट सबूत नहीं मिला।
मेहुल के कर्ज की कहानी
छापेमारी में पुलिस को जानकारी मिली कि मेहुल कुमार, जो जयप्रकाश नगर, चूना भट्ठा का निवासी है, उस पर करीब 6 लाख रुपये का कर्ज चढ़ा हुआ था। यह कर्ज चुकाने की जल्दी में ही उसने लूट की योजना बनाई। उसने अपने साथी अमनजय सिंह, जो मूल रूप से औरंगाबाद जिले के अंबा थाना क्षेत्र का रहने वाला है और फिलहाल इंद्रपुरी, बिरला मैदान में रह रहा है, को इसमें शामिल किया।
देसी पिस्टल और I10 कार
पुलिस ने इस घटना में प्रयुक्त देसी पिस्टल मेहुल के घर से बरामद की है। वारदात के दौरान अमनजय ने ही पिस्टल से दुकान संचालक को धमकाया था। इसके अलावा घटना को अंजाम देने के बाद आरोपियों ने यह भ्रम फैलाने की कोशिश की कि वे पैदल भाग गए। जबकि सच्चाई ये थी कि उन्होंने एक I10 कार का इस्तेमाल किया था, जिसे घटनास्थल से 350 मीटर दूर खड़ा कर दिया गया था ताकि पुलिस गुमराह हो सके।
इसी कार के रजिस्ट्रेशन नंबर को ट्रैक कर पुलिस मेहुल तक पहुंची। फिर मेहुल ने पूछताछ में लूट की बात स्वीकार करते हुए अमनजय का नाम उजागर किया।
11,500 रुपये में खत्म हो गया पूरा प्लान!
पूछताछ में दोनों आरोपियों ने बताया कि उन्होंने दुकान से सिर्फ 11,500 रुपये लूटे थे, जिसे उन्होंने आपस में बांट लिया और खाने-पीने में उड़ा दिया। यह बात भी साफ हो गई कि केस दर्ज करते समय जो रकम बताई गई थी, वह वास्तविकता से काफी अलग थी।
अमनजय का आपराधिक इतिहास
इस केस की तह में जाने पर यह भी सामने आया कि अमनजय सिंह कोई नया अपराधी नहीं है। वर्ष 2015 में कोतवाली थाना में उस पर छेड़खानी सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया गया था। यानी अपराध उसके लिए नया नहीं था।
सामाजिक प्रश्न: लूट या सिस्टम की असफलता?
इस घटना ने एक बार फिर ये सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या सामाजिक और आर्थिक दबाव में लोग अपराध की ओर मुड़ते हैं? क्या सरकारी स्तर पर कर्ज से दबे युवाओं को बाहर निकालने के लिए कोई ठोस व्यवस्था है?
कई बार अपराध महज "अपराध" नहीं होते—वे किसी सिस्टम की असफलता का नतीजा भी होते हैं। यदि मेहुल को समय रहते कोई समाधान या सहायता मिल जाती, तो शायद वह लूट जैसे रास्ते पर न जाता।
पुलिस की तत्परता, लेकिन कई सवाल बाकी
इस केस में रांची पुलिस ने सराहनीय तत्परता दिखाई और कुछ ही दिनों में आरोपियों को पकड़ लिया। लेकिन अब बड़ा सवाल ये है कि क्या दुकान मालिक द्वारा बताई गई रकम की सच्चाई सामने लाई जाएगी? क्या इस केस में फर्जीवाड़ा भी शामिल है?
रांची की इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि अपराध कभी-कभी योजना नहीं, बल्कि परिस्थिति की उपज होता है। लेकिन जब पिस्तौल उठती है और किसी की जान को खतरा होता है, तब अपराध को नज़रअंदाज़ करना संभव नहीं। अब देखना यह है कि इस केस में पुलिस आगे और क्या खुलासे करती है।
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