Pakistan Exposed: पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट में खुली कुलभूषण जाधव की फाइल, अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक और शर्मिंदगी
भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान ने अपील का अधिकार नहीं दिया, सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे से खुलासा। जानिए क्या है इस पूरे मामले का सच।

इस्लामाबाद की फिजाओं में एक बार फिर वही पुरानी गूंज सुनाई दी — कुलभूषण जाधव को न्याय नहीं मिला! पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट में एक ऐसे खुलासे ने सबको चौंका दिया जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी साख को और गिरा दिया।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करते हुए खुलकर मान लिया है कि कुलभूषण जाधव को अपील करने का कोई अधिकार नहीं दिया गया है। जबकि अंतरराष्ट्रीय अदालत (ICJ) ने अपने 2019 के आदेश में पाकिस्तान को स्पष्ट रूप से जाधव को राजनयिक पहुंच देने और उनकी सजा की समीक्षा करने का निर्देश दिया था।
यह बयान पाकिस्तान के अटॉर्नी ख्वाजा हारिस अहमद द्वारा दर्ज किया गया, जिसमें यह साफ किया गया कि भारत के नागरिक को सिर्फ कांसुलर एक्सेस मिला है, लेकिन उसके पास अपील दायर करने का कानूनी हक नहीं है।
पाकिस्तानी वकीलों का दोहरा चेहरा
पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में वकीलों ने दावा किया कि जाधव को अपील का अधिकार प्राप्त है। लेकिन जब यह मुद्दा सैन्य अदालत से सजा पाए 9 मई 2023 के दंगाइयों से जोड़ा गया, तब यह अंतरविरोध और भी स्पष्ट हो गया।
इस दलील के जवाब में ही पाकिस्तान सरकार के रक्षा मंत्रालय ने यह कबूलनामा सौंपा कि जाधव को अपील करने का हक नहीं है। इसका मतलब ये हुआ कि पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय अदालत के निर्देशों की अनदेखी की है, और खुद ही अपने दावों को झूठा सिद्ध कर दिया है।
9 मई की हिंसा और इमरान खान
गौरतलब है कि यह मामला उस वक्त का है जब 9 मई 2023 को इमरान खान की गिरफ्तारी के विरोध में पाकिस्तान में हिंसा भड़की थी। सैन्य ठिकानों पर हमले हुए और देश भर में अराजकता फैल गई।
पाकिस्तानी सरकार ने इसे 'काला दिवस' घोषित किया और सैकड़ों लोगों को सैन्य अदालत में घसीटा गया। अब वकीलों का कहना है कि अगर जाधव को अपील का अधिकार है, तो इन पाकिस्तानी नागरिकों को क्यों नहीं? यह तुलना ही पाकिस्तान के न्याय तंत्र की कमजोरी को दर्शाती है।
कुलभूषण जाधव: गिरफ्तारी या अपहरण?
पाकिस्तान ने 2016 में यह दावा किया कि उसने जाधव को बलूचिस्तान से जासूसी के आरोप में पकड़ा है। जबकि भारत सरकार ने स्पष्ट कहा कि जाधव सेवानिवृत्त नौसेना अधिकारी हैं और उन्हें ईरान के चाबहार पोर्ट से अगवा किया गया, जहां वह व्यापारिक काम से गए थे।
भारत ने तुरंत ही अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का रुख किया, और 2019 में ICJ ने पाकिस्तान को फटकार लगाते हुए भारत के पक्ष में निर्णय सुनाया।
ICJ का फैसला और पाकिस्तान की अनदेखी
ICJ ने पाकिस्तान को स्पष्ट रूप से कहा था कि जाधव को राजनयिक पहुंच दी जाए, और उनकी सजा की समीक्षा तक फांसी पर रोक लगाई जाए। लेकिन पाकिस्तान ने सिर्फ दिखावे के लिए राजनयिक पहुंच दी और उसके बाद भी जाधव को न्यायिक अपील का अधिकार नहीं दिया गया।
यह सीधे तौर पर वियना कन्वेंशन का उल्लंघन है, जिसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय गंभीरता से देखता है।
क्या पाकिस्तान को है डर?
यह सवाल अब सबके सामने है — क्या पाकिस्तान को इस बात का डर है कि अगर जाधव को अपील का अधिकार दिया गया, तो उसकी फर्जी कहानी पूरी तरह से उजागर हो जाएगी?
आज पाकिस्तान की ही सुप्रीम कोर्ट में यह मान लिया गया है कि जाधव को कानूनी अधिकार नहीं दिए गए, तो यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी एक और नाकामी मानी जाएगी।
कुलभूषण जाधव का मामला न सिर्फ एक भारतीय नागरिक की कहानी है, बल्कि यह भारत-पाक रिश्तों, अंतरराष्ट्रीय न्याय व्यवस्था, और मानवाधिकारों की भी असली परीक्षा है।
अब यह देखना बाकी है कि क्या अंतरराष्ट्रीय दबाव में पाकिस्तान अपने रुख में बदलाव करेगा या फिर एक बार फिर शर्मिंदगी का सामना करेगा।
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