Ranchi Attack: बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे पर बरसे इरफान अंसारी, कहा- "तानाशाही की ओर बढ़ रहे हैं"

रांची से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के सुप्रीम कोर्ट पर दिए बयान के बाद झारखंड सरकार के मंत्री इरफान अंसारी ने तीखा हमला बोला है। उन्होंने लोकसभा से बर्खास्तगी की मांग की है।

Apr 20, 2025 - 19:35
 0
Ranchi Attack: बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे पर बरसे इरफान अंसारी, कहा- "तानाशाही की ओर बढ़ रहे हैं"
Ranchi Attack: बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे पर बरसे इरफान अंसारी, कहा- "तानाशाही की ओर बढ़ रहे हैं"

इस सवाल ने आज देश की राजनीति को झकझोर कर रख दिया है, और इसकी वजह हैं बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे। झारखंड के रांची से सांसद दुबे ने सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश (CJI) पर जो टिप्पणी की, उसने संविधान और न्यायपालिका की गरिमा को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है। और इसी पर झारखंड सरकार के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने तीखा पलटवार किया है।

क्या कहा था निशिकांत दुबे ने?

हाल ही में, निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में लिखा,
"अगर सुप्रीम कोर्ट कानून बनाएगा, तो संसद को बंद कर देना चाहिए।"
उन्होंने सीधे तौर पर CJI संजीव खन्ना पर आरोप लगाया कि देश में जारी ‘गृहयुद्ध’ जैसी स्थिति के लिए वे जिम्मेदार हैं और अदालत अपनी सीमा लांघ रही है।

यह बयान न केवल आपत्तिजनक था, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की तीनों प्रमुख संस्थाओं – विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका – के बीच संतुलन को चुनौती देता है।

इरफान अंसारी का तीखा हमला

इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए झारखंड सरकार के मंत्री इरफान अंसारी ने एक्स पर लिखा:
"भाजपा देश को धर्म और जाति के नाम पर बांटने की कोशिश कर रही है, लेकिन हम संविधान को मानने वाले उनके नफरत भरे मंसूबों को कभी पूरा नहीं होने देंगे।"

उन्होंने आगे कहा कि वह न्यायपालिका और संविधान की रक्षा के लिए हर संघर्ष करने को तैयार हैं। उनका आरोप है कि निशिकांत दुबे जैसे लोग खुद को संविधान से ऊपर समझने लगे हैं और तानाशाही की ओर बढ़ रहे हैं

लोकसभा से बर्खास्तगी की उठी मांग

इरफान अंसारी ने खुलकर कहा कि निशिकांत दुबे के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए और उन्हें लोकसभा से बर्खास्त किया जाना चाहिए। उनका कहना है कि
"यह टिप्पणी सिर्फ सुप्रीम कोर्ट पर नहीं, बल्कि संविधान और लोकतंत्र की आत्मा पर हमला है, जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।"

बीजेपी ने खुद को किया अलग

बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने इस पूरे विवाद से खुद को अलग करते हुए बयान जारी किया है।
पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि यह दुबे की व्यक्तिगत राय है और इसका बीजेपी से कोई संबंध नहीं।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पार्टी संविधान और न्यायपालिका का पूरा सम्मान करती है और दुबे को ऐसे बयान देने से सख्ती से मना किया गया है।

इतिहास की नज़र से देखें तो...

भारतीय लोकतंत्र में यह कोई पहली बार नहीं जब संसद और न्यायपालिका आमने-सामने आए हों।
1973 में केसवानंद भारती केस और उसके बाद आपातकाल (1975-77) के दौरान भी सुप्रीम कोर्ट और सरकार के बीच तनाव चरम पर था।
परंतु हर बार संविधान ने खुद को साबित किया है – न्यायपालिका का स्वतंत्र अस्तित्व लोकतंत्र की रीढ़ है।

जनता में भी आक्रोश

सोशल मीडिया से लेकर न्यूज डिबेट्स तक, देशभर में लोग निशिकांत दुबे के बयान से नाराज और चिंतित हैं।
विपक्षी दलों ने इसे बीजेपी की तानाशाही सोच बताया है, जबकि कई नागरिक इसे न्यायपालिका के अपमान के रूप में देख रहे हैं।

अब आगे क्या?

सवाल यही है कि क्या इस बयान पर सिर्फ निंदा से काम चल जाएगा, या कोई कानूनी कदम भी उठाया जाएगा?
क्या निशिकांत दुबे को उनकी कुर्सी छोड़नी पड़ेगी या पार्टी इस मामले को सिर्फ ‘विचारों की स्वतंत्रता’ कहकर टाल देगी?

एक लोकतांत्रिक देश में जब नेता खुद संविधान को चुनौती देने लगें, तो जनता की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है।

रांची से शुरू हुई यह बहस अब राष्ट्रीय मुद्दा बन गई है।
विरोधी दलों के साथ-साथ जनता की नजर अब इस बात पर है कि क्या संसद अपने सदस्यों पर अनुशासन लागू कर पाएगी या नहीं।
एक तरफ इरफान अंसारी की चेतावनी है, दूसरी तरफ दुबे की विवादित सोच – और बीच में खड़ा है भारत का संविधान।

अब देखने वाली बात होगी कि आने वाले दिनों में ये मामला किस दिशा में जाता है – सिर्फ राजनीतिक बहस तक सीमित रहेगा या न्यायपालिका की गरिमा को बचाने की कोई ठोस कार्रवाई होगी।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।