Jamshedpur illegal Building | जमशेदपुर की अवैध बिल्डिंग को लेकर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई
Jamshedpur illegal Building | जमशेदपुर की अवैध बिल्डिंग को लेकर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई
जमशेदपुर अक्षेस क्षेत्र के अतिक्रमण और अवैध निर्माण के मामले में झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। न्यायाधीश रंगन मुखोपाध्याय और न्यायाधीश दीपक रौशन की पीठ में जनहित याचिका 2078/2018 की सुनवाई हुई। साकची एसएनपी एरिया 105 में स्थित एचडीएफसी बैंक ने उच्च न्यायालय में एक आवेदन देकर कहा कि उक्त भवन में वह 2008 से किरायेदार है और जून 2024 में बिना कोई नोटिस तालीम किए अक्षेस उक्त भवन को गिराने चली आई।
हाईकोर्ट द्वारा याचिकाकर्ता का पक्ष रखने के लिए अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव को निर्देश देने पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि एचडीएफसी बैंक अदालत में झूठ बोल रही है। उन्होंने अक्षेस द्वारा जून 2023 में दायर हलफनामा के एक अनुलग्नक को उद्धृत कर अदालत को बताया कि एसएनपी एरिया 105 को अक्षेस ने 31 मार्च 2011 को अदालत के आदेश पर सील किया था और एचडीएफसी बैंक कह रही है कि उसे कुछ पता नहीं है।
इस पर अदालत ने अक्षेस के अधिवक्ता से पूछा कि अक्षेस ने एचडीएफसी बैंक के अवैध रूप से निर्मित भवन में 13 वर्षों तक व्यवसाय कैसे चलाने दिया? इस पर अक्षेस के अधिवक्ता ने कहा कि अदालत के आदेश पर अक्षेस ने सीलिंग हटा ली थी। अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने इस पर तुरंत आपत्ति जताते हुए अदालत को बताया कि यह सरासर झूठ है। अदालत का ऐसा कोई आदेश नहीं है।
अक्षेस ने खुद ही सीलिंग हटा ली और उन 46 भवनों में और अधिक अवैध निर्माण हो गए। अदालत ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता से पूछा कि एचडीएफसी वाले भवन में अनियमितता क्या है? अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने अदालत को बताया कि उक्त भवन एक रिहायशी भवन है, जी+3 का नक्शा पारित है और उसमें व्यवसायिक गतिविधियां संचालित हैं। उन्होंने आगे बताया कि यह प्लॉट 1615 वर्ग फीट है, जो 235 वर्ग मीटर से कम है और ऐसे प्लॉट पर 70 फीसदी से अधिक निर्माण नहीं हो सकता जबकि यह भवन 100 फीसदी से ज्यादा क्षेत्र में निर्मित है।
उन्होंने आगे बताया कि कुल लगभग 1800 अवैध निर्मित भवनों में पहले 46 भवनों की सीलिंग की गई और अब अक्षेस का दावा है कि उसने और 62 भवनों की सीलिंग की है पर किसी भी भवन में अवैध निर्माण को तोड़ा नहीं है। उन्होंने बिष्टुपुर ड्रीम हाईट्स का उदाहरण देकर बताया कि वह भवन का सिर्फ जी+2 का नक्शा पारित है, पर वह जी+7 तक बना है और उसमें दो बेसमेंट भी बने हैं जो अवैध हैं, जिस पर अक्षेस ने आज तक कोई कार्रवाई नहीं की है।
अदालत ने इस पर अक्षेस के अधिवक्ता से पूछा कि अक्षेस ने सीलिंग की गई कितने भवनों में अवैध निर्माणों को गिराया है? इस पर अक्षेस के अधिवक्ता ने अदालत के समक्ष स्वीकार किया कि पिछले 14 सालों में किसी भी अवैध निर्माण को तोड़ा नहीं गया है सिर्फ 35 बेसमेंट खाली कराए गए हैं। लेकिन उन्होंने अदालत को बताया कि अक्षेस ने एक कमिटी बनाई है जो चुनाव के चलते काम नहीं कर सकी। अब वह काम करने लगी है और उस कमिटी के निर्देश पर अवैध निर्माणों को तोड़ने की कार्रवाई जल्द ही शुरू की जाएगी।
अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने अदालत को आगे बताया कि अक्षेस ने 1800 अवैध भवनों में सिर्फ 28 को कंपलीशन सर्टिफिकेट दिया है जबकि टाटा स्टील और टाटा स्टील यूआईएसएल (पहले जुस्को) ने म्युनिसिपल कानून की धारा 440 का घोर उल्लंघन कर सभी अवैध बने भवनों में बिजली और पानी का कनेक्शन उपायुक्त की सहमति से दिया है। अतः अदालत उपायुक्त को यह निर्देश दे कि वे म्युनिसिपल कानून का टाटा स्टील और टाटा स्टील यूआईएसएल से पालन करवाएं। उन्होंने कहा कि यह अक्षेस की भी प्रार्थना है।
अदालत ने इस पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को टाटा स्टील और टाटा स्टील यूआईएसएल को पार्टी बनाने का निर्देश दिया। इसके पश्चात सेंटर प्वाइंट के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि उनके भवन पर भी गिराए जाने का खतरा है। इस पर अखिलेश श्रीवास्तव ने अदालत को बताया कि सेंटर प्वाइंट ने 5×4×3×3 सेट बैक नहीं छोड़ा है और 100 फीसदी से ज्यादा निर्माण किया है। अतः अवैध निर्माण गिराए जाने चाहिए।
इस पर सेंटर प्वाइंट के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि एसडीएम ने उनके भवन की जांच की और कोई विचलन नहीं पाया और वे एसडीएम के उक्त जांच रिपोर्ट को अदालत में दायर करेंगे। इस पर अखिलेश श्रीवास्तव ने आश्चर्य व्यक्त किया कि एसडीएम कैसे जांच कर सकती है और सेंटर प्वाइंट के पक्ष में रिपोर्ट दे सकती है? इस पर अदालत ने सेंटर प्वाइंट के अधिवक्ता से एसडीएम की रिपोर्ट एक हलफनामे के द्वारा दायर करने का निर्देश दिया।
अदालत ने अक्षेस को निर्देश देते हुए कहा कि बेसमेंट और ग्राउंड फ्लोर पर पार्किंग बहाल करना है लेकिन अवैध निर्माणों को और अवैध बने तल्लों व मंजिलों को अक्षेस कब गिरा रही है इस पर एक विस्तृत हलफनामा दायर करें। याचिकाकर्ता को अदालत ने सभी हलफनामों की प्रतियां टाटा स्टील और टाटा स्टील यूआईएसएल के अधिवक्ता को देने को कहा ताकि वे अगर चाहें तो अपने-अपने हलफनामें दायर करें कि उन्होंने कैसे अवैध भवनों में बिना कंपलीशन सर्टिफिकेट के बिजली पानी का कनेक्शन दिया। अदालत ने झारखंड स्टेट को भी इस संदर्भ में अपना हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। अगली तारीख़ 31 जुलाई को सुनिश्चित की गई है। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव, रोहित सिन्हा, निर्मल घोष और एम आई हसन ने सुनवाई में हिस्सा लिया।
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