Jharkhand Campaign: फाइलेरिया खत्म करने के लिए 10 फरवरी से चलेगा बड़ा अभियान!

पूर्वी सिंहभूम में 10 फरवरी से फाइलेरिया उन्मूलन अभियान शुरू होगा। जानें कैसे मिलेगी फाइलेरिया की दवा, किन्हें इसका सेवन करना जरूरी है, और क्यों यह बीमारी अब भी चिंता का विषय बनी हुई है।

Feb 9, 2025 - 20:01
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Jharkhand Campaign: फाइलेरिया खत्म करने के लिए 10 फरवरी से चलेगा बड़ा अभियान!
Jharkhand Campaign: फाइलेरिया खत्म करने के लिए 10 फरवरी से चलेगा बड़ा अभियान!

क्या आपको पता है कि फाइलेरिया, जिसे आम भाषा में हाथी पांव भी कहा जाता है, आज भी लाखों लोगों के लिए बड़ी समस्या बना हुआ है? अगर आप झारखंड में रहते हैं, तो आपके लिए एक ज़रूरी खबर है! पूर्वी सिंहभूम जिले में 10 फरवरी से फाइलेरिया उन्मूलन अभियान शुरू होने जा रहा है। इस अभियान के तहत मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (MDA) कार्यक्रम के जरिए लोगों को दवा खिलाई जाएगी, ताकि इस बीमारी को पूरी तरह से खत्म किया जा सके।

फाइलेरिया: यह बीमारी आखिर क्या है?

फाइलेरिया एक मच्छर जनित संक्रामक रोग है, जो वुचरेरिया बैंक्रॉफ्टाई नामक परजीवी से फैलता है। जब संक्रमित मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है, तो यह परजीवी शरीर में प्रवेश कर जाता है और धीरे-धीरे लसीका तंत्र (लिम्फैटिक सिस्टम) को नुकसान पहुंचाने लगता है। इसके परिणामस्वरूप हाथ-पैर असामान्य रूप से सूजने लगते हैं, जिससे व्यक्ति के चलने-फिरने और सामान्य जीवन जीने में कठिनाई होती है।

10 फरवरी से शुरू होगा महाअभियान, सभी को दवा खिलाई जाएगी

झारखंड सरकार ने इस बीमारी को पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की अगुवाई में फाइलेरिया उन्मूलन अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान में शिक्षा, पंचायती राज, समाज कल्याण और समेकित बाल विकास विभाग का भी सहयोग लिया जाएगा।

कैसे मिलेगी फाइलेरिया की दवा?

  • 10 फरवरी को जिले के बोड़ाम, पटमदा, पोटका, गोलमुरी और जुगसलाई के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों और विद्यालयों में विशेष बूथ बनाए जाएंगे। यहां बच्चों को मिड-डे मील के बाद दवा दी जाएगी।
  • 11 फरवरी से स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को दवा खिलाएंगी। आशा कार्यकर्ता और अन्य स्वास्थ्य कर्मी सुनिश्चित करेंगे कि कोई भी व्यक्ति दवा लेने से वंचित न रहे।
  • यह दवा उम्र के अनुसार दी जाएगी, लेकिन गर्भवती महिलाएं, गंभीर बीमारी से ग्रसित व्यक्ति और 2 साल से छोटे बच्चों को यह दवा नहीं दी जाएगी

इतिहास में झांकें: फाइलेरिया से कैसे लड़ा जा रहा है?

अगर हम भारत में फाइलेरिया उन्मूलन की यात्रा पर नजर डालें, तो 1955 में सरकार ने इस बीमारी को खत्म करने के लिए राष्ट्रीय फाइलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम (NFCP) की शुरुआत की थी। 2004 में, इसे मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (MDA) कार्यक्रम के तहत और मजबूत किया गया। भारत सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक इस बीमारी को पूरी तरह खत्म कर दिया जाए

जनभागीदारी ही सफलता की कुंजी!

जिला उपायुक्त अनन्य मित्तल ने सभी लोगों से अपील की है कि वे इस अभियान में बढ़-चढ़कर भाग लें और दवा का सेवन अवश्य करें। उन्होंने कहा,
"फाइलेरिया सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे समाज की समस्या है। इसे रोकने के लिए सभी को साथ आना होगा। जितने अधिक लोग इस दवा का सेवन करेंगे, उतनी ही जल्दी हम इस बीमारी को जड़ से खत्म कर पाएंगे।"

आपको क्यों लेना चाहिए यह दवा?

  1. फाइलेरिया से बचाव: एक बार संक्रमित होने के बाद यह बीमारी जिंदगीभर परेशान कर सकती है।
  2. समाज की सुरक्षा: अगर हर कोई दवा लेगा, तो मच्छरों के जरिए संक्रमण फैलने की संभावना खत्म हो जाएगी।
  3. सरकार की मुफ्त सुविधा: यह दवा पूरी तरह से फ्री में दी जा रही है, इसलिए इसे लेने से न चूकें।

बीमारी को हराने का मौका न गंवाएं!

10 फरवरी से 25 फरवरी तक चलने वाले इस अभियान में सभी को भाग लेना चाहिए। अगर हम सभी फाइलेरिया की दवा का सेवन नियमित रूप से करें, तो हम झारखंड को इस बीमारी से पूरी तरह मुक्त बना सकते हैंआपका एक छोटा सा कदम, आने वाली पीढ़ियों के लिए बड़ा बदलाव ला सकता है!

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।