Jharkhand Jackpot: 49 रुपये से शुरू हुई किस्मत की उड़ान, रातों-रात बन गए करोड़पति
49 रुपये की छोटी सी टीम और किस्मत की बड़ी छलांग! झारखंड के दो युवाओं ने ड्रीम 11 पर करोड़ों रुपये जीतकर सबको चौंका दिया। जानिए कैसे हुई इनकी जिंदगी रातों-रात बदल।

कहते हैं ना कि किस्मत कब पलटी मारे, इसका कोई भरोसा नहीं। झारखंड के दो आम युवाओं की किस्मत ने ऐसी ही पलटी मारी कि आज वो करोड़ों के मालिक बन बैठे। और ये सब हुआ एक मोबाइल ऐप पर महज 49 रुपये की टीम बनाकर।
यह कहानी है हजारीबाग के टाटीझरिया प्रखंड के सोनू कुमार और गिरिडीह जिले के कुंदन कुमार मोदी की, जिनकी सादगी भरी ज़िंदगी में अचानक आया एक ऐसा मोड़, जिसने उनकी तकदीर बदल दी।
सोनू की सादा ज़िंदगी और चमकता मुकाम
सोनू कुमार, जो केवल आठवीं पास हैं, आम ग्रामीण युवाओं की तरह ज़िंदगी जी रहे थे। भराजो पंचायत के एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखने वाले सोनू का सपना कभी भी करोड़पति बनने का नहीं था, लेकिन किस्मत ने उन्हें उसी मोड़ पर ला खड़ा किया।
वर्ष 2023 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए टी-20 मुकाबले में सोनू ने ड्रीम 11 पर टीम बनाई, और ये फैसला उनकी ज़िंदगी का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट बन गया। महज़ 49 रुपये की इस टीम ने उन्हें 1 करोड़ रुपये का विजेता बना दिया।
सोनू कहते हैं, "मैं एक साल से लगातार टीम बना रहा था, कई बार हारा, कई बार उम्मीदें टूटीं, लेकिन कभी हार नहीं मानी। भारत-पाकिस्तान मैच में बस सोचा कि एक बार और ट्राय कर लेते हैं… और वही ट्राय मेरी किस्मत बना गया।"
कुंदन की पांच साल की मेहनत रंग लाई
अब बात करते हैं गिरिडीह के कुंदन कुमार मोदी की। उन्होंने भी 49 रुपये खर्च कर ड्रीम 11 पर टीम बनाई और दक्षिण अफ्रीका बनाम ऑस्ट्रेलिया के एक मुकाबले में 1 करोड़ रुपये जीत लिए।
कुंदन ने बताया कि वो पिछले 5 सालों से इस फैंटेसी क्रिकेट ऐप पर टीम बना रहे थे। अब तक उन्होंने करीब 3000 से ज्यादा बार टीम बनाई, लेकिन हर बार हार ही मिली। जब करोड़ों का जैकपॉट लगा, तो खुद उन्हें यकीन नहीं हुआ।
उनका कहना है, "मैंने कभी इस गेम को पैसे कमाने का जरिया नहीं बनाया। ये शौक था जो जुनून बन गया। लेकिन मैं दूसरों को यही सलाह दूंगा कि इस खेल को सोच-समझ कर ही खेलें। ये किस्मत और समझ का खेल है, लेकिन इसमें जोखिम भी बहुत है।"
Dream 11 और भारत में Fantasy Gaming का इतिहास
ड्रीम 11 भारत में फैंटेसी गेमिंग का सबसे बड़ा नाम बन चुका है। इसकी शुरुआत 2008 में हुई थी, और IPL की लोकप्रियता के साथ-साथ इसका भी क्रेज़ बढ़ता गया। इसमें लोग क्रिकेट, फुटबॉल और अन्य खेलों के रियल-टाइम मैचों पर अपनी वर्चुअल टीम बनाकर पॉइंट्स के आधार पर जीत दर्ज करते हैं।
हालांकि ड्रीम 11 को लेकर अक्सर विवाद भी होते रहे हैं—कई राज्यों ने इसे जुआ करार देते हुए बैन किया है, तो कई जगह इसे 'कौशल आधारित गेम' माना गया है।
लोगों के लिए सबक या सपना?
सोनू और कुंदन की ये कहानियां भले ही चमत्कार लगें, लेकिन ये दिखाती हैं कि डिजिटल युग में किस्मत कहीं से भी बदल सकती है। मगर यह भी याद रखना जरूरी है कि जहां एक तरफ ये सफलता की मिसाल हैं, वहीं दूसरी तरफ हजारों लोग इस खेल में अपना पैसा गंवा चुके हैं।
ड्रीम 11 जैसी प्लेटफॉर्म्स पर खेलने से पहले समझदारी और संयम ज़रूरी है। यह खेल जितना रोमांचक है, उतना ही जोखिम भरा भी। कुछ लोग किस्मत से जीतते हैं, पर बहुत से लोग हारते भी हैं।
झारखंड के सोनू और कुंदन की कहानी सिर्फ जैकपॉट की नहीं, बल्कि धैर्य, उम्मीद और एक मौके की कहानी है। ऐसे प्रेरणादायक किस्से हमें यह सिखाते हैं कि ज़िंदगी में कभी हार नहीं माननी चाहिए। कौन जाने, अगला मौका किसका इंतजार कर रहा हो?
तो अगली बार जब आप ड्रीम 11 पर टीम बनाएं, तो याद रखें — यह सिर्फ एक गेम नहीं, कभी-कभी किस्मत का दरवाज़ा भी बन सकता है।
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