Chakradharpur Action: जंगल-पहाड़ों से चोरी छुपे हो रहा था बालू का खेल, प्रशासन ने मारी रेड
चक्रधरपुर में अवैध बालू परिवहन पर प्रशासन की बड़ी कार्रवाई, बिना चालान के बालू लदे दो ट्रैक्टर और दो हाईवा जब्त, जानिए कहां से उठाया जा रहा था बालू और कैसे चल रहा था गुप्त खेल।

झारखंड में अवैध खनन और बालू तस्करी कोई नई बात नहीं है, लेकिन अब प्रशासन ने इसके खिलाफ सख्त रवैया अपनाना शुरू कर दिया है। शनिवार, 13 अप्रैल को चक्रधरपुर अनुमंडल पदाधिकारी (एसडीओ) ने पश्चिमी सिंहभूम के उपायुक्त के निर्देश पर बड़ी कार्रवाई की।
कैसे हुआ खुलासा?
एसडीओ द्वारा चक्रधरपुर-सोनुआ-गोईलकेरा मुख्य मार्ग पर की गई जांच में दो ट्रैक्टर और दो हाईवा बालू से लदे हुए पकड़े गए। इन सभी वाहनों में न तो खनन चालान था और न ही किसी प्रकार की वैध अनुमति। यह स्पष्ट रूप से अवैध बालू परिवहन का मामला था।
वाहनों को तुरंत जब्त कर सोनुआ थाना को सौंप दिया गया और आगे की कार्रवाई के लिए जिला खनन विभाग को सूचना दी गई।
इतिहास में झांके तो…
झारखंड में बालू की मांग लगातार बनी हुई है, खासकर निर्माण कार्यों के लिए। लेकिन इस मांग ने एक बड़े अवैध कारोबार को जन्म दे दिया है। नदियों से बिना अनुमति और पर्यावरण नियमों को ताक पर रखकर बालू उठाव का सिलसिला वर्षों से जारी है। इस कारोबार में कई बार प्रशासनिक मिलीभगत के आरोप भी लगते रहे हैं।
चक्रधरपुर, सोनुआ और गोईलकेरा जैसे इलाकों में जहां से यह बालू उठाव हो रहा था, वह क्षेत्र काफी दुर्गम और वनाच्छादित है, जिससे इन माफियाओं को छिपकर कार्य करने में सुविधा मिलती है।
बालू माफियाओं का नेटवर्क कितना फैला है?
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, इन इलाकों में बालू माफिया का एक संगठित नेटवर्क काम करता है। कई बार यह वाहन देर रात या भोर के समय निकलते हैं, जिससे वे प्रशासन की निगाह से बच सकें। इन ट्रैक्टर और हाईवा का संचालन आमतौर पर नकली नंबर प्लेट या बिना किसी वैध कागजात के किया जाता है।
इस नेटवर्क में शामिल लोग बालू को बड़े ठेकेदारों और निजी निर्माण कंपनियों तक पहुंचाते हैं। इसके एवज में भारी मुनाफा कमाया जाता है, लेकिन न सरकार को टैक्स मिलता है और न ही खनन से मिलने वाला राजस्व।
प्रशासन की बड़ी चेतावनी:
अनुमंडल पदाधिकारी ने स्पष्ट किया है कि यह कार्रवाई सिर्फ शुरुआत है। यदि भविष्य में भी कोई वाहन अवैध रूप से बालू का परिवहन करता पाया गया, तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
जिला खनन विभाग को भी निर्देश दिया गया है कि वह इन क्षेत्रों में नियमित निरीक्षण करे और बालू माफियाओं पर नकेल कसने के लिए स्थायी निगरानी तंत्र विकसित करे।
स्थानीय जनता की प्रतिक्रिया:
इस कार्रवाई को लेकर स्थानीय लोगों ने प्रशासन की सराहना की है। उन्होंने कहा कि इससे पर्यावरण का नुकसान रुकेगा और जो अवैध कारोबार कई वर्षों से चलता आ रहा था, उस पर विराम लगेगा। कई ग्रामीणों ने मांग की है कि प्रशासन इस तरह की छापेमारी को नियमित बनाए ताकि जंगलों और नदियों का अवैध दोहन न हो सके।
चक्रधरपुर में हुई यह कार्रवाई न सिर्फ एक चेतावनी है, बल्कि यह संकेत भी देती है कि झारखंड में अब अवैध खनन और तस्करी के खिलाफ 'नो टॉलरेंस पॉलिसी' की शुरुआत हो चुकी है। प्रशासन की यह सख्ती यदि जारी रही, तो आने वाले समय में बालू माफियाओं का साम्राज्य ढहता हुआ दिख सकता है।
कहानी अभी खत्म नहीं हुई... अब देखना यह है कि जिला प्रशासन इस कार्रवाई को कितनी मजबूती से आगे बढ़ाता है।
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