Ex Airman Sanjeev Singh Final Journey : पूर्व वायु सैनिक संजीव सिंह पंचतत्व में विलीन, अंतिम यात्रा में उमड़ा भावनाओं का सैलाब

जमशेदपुर के पूर्व वायु सैनिक संजीव सिंह को उनकी अंतिम विदाई में पूर्व सैनिकों और समाज ने दी श्रद्धांजलि। पढ़ें, कैसे उनका जीवन देश सेवा को समर्पित रहा।

Dec 31, 2024 - 20:43
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Ex Airman Sanjeev Singh Final Journey : पूर्व वायु सैनिक संजीव सिंह पंचतत्व में विलीन, अंतिम यात्रा में उमड़ा भावनाओं का सैलाब
Ex Airman Sanjeev Singh Final Journey : पूर्व वायु सैनिक संजीव सिंह पंचतत्व में विलीन, अंतिम यात्रा में उमड़ा भावनाओं का सैलाब

पूर्व वायु सैनिक संजीव सिंह: अंतिम विदाई में उमड़ा सम्मान और संवेदनाओं का सैलाब

जमशेदपुर: पूर्व वायु सैनिक जूनियर वारंट ऑफिसर संजीव सिंह, जिन्होंने भारतीय वायुसेना में 20 वर्षों तक देश सेवा की, अब पंचतत्व में विलीन हो गए। उनका निधन 30 दिसंबर 2024 को बेंगलुरु में इलाज के दौरान हुआ। उनके निधन की खबर से परिवार, मित्र और पूर्व सैनिक समुदाय में गहरा शोक व्याप्त है। उनकी अंतिम यात्रा में उमड़ी भीड़ ने उनके प्रति असीम श्रद्धा और सम्मान व्यक्त किया।

संजीव सिंह: एक जीवन, देश सेवा को समर्पित

संजीव सिंह का जन्म जमशेदपुर के बारीडीह इलाके के शांति नगर में हुआ। बचपन से ही उनका सपना भारतीय सेना में जाकर देश की सेवा करना था। यह सपना उन्होंने 2001 में भारतीय वायुसेना में शामिल होकर पूरा किया। वायुसेना में अपने 20 वर्षों के कार्यकाल के दौरान उन्होंने देश की सुरक्षा के लिए अद्भुत समर्पण और निष्ठा दिखाई। जून 2021 में वे सेवानिवृत्त हुए।

सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने अपने परिवार के साथ जीवन जीने की कोशिश की, लेकिन उनकी बीमारी ने सब बदल दिया। पिछले महीने लिवर की समस्या के इलाज के लिए उन्हें बेंगलुरु ले जाया गया, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था।

अंतिम यात्रा: श्रद्धांजलि और सम्मान का दृश्य

उनकी अंतिम यात्रा भुइयांडीह के स्वर्णरेखा घाट से निकाली गई। पूर्व सैनिक सेवा परिषद के सदस्य, समाजसेवी और स्थानीय नागरिक इस यात्रा में शामिल हुए। समाजसेवी शिव शंकर सिंह ने उनकी अंतिम यात्रा के लिए मोक्ष वाहन उपलब्ध कराया।

पूर्व सैनिक सेवा परिषद के पूर्व प्रदेश महामंत्री सुशील कुमार सिंह और अन्य पूर्व सैनिकों ने पुष्प चक्र अर्पित कर उन्हें अंतिम विदाई दी। उनकी विदाई में शामिल हुए सभी ने एक स्वर में कहा कि संजीव सिंह जैसे सैनिकों का योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता।

परिवार के लिए कठिन समय

संजीव सिंह अपने पीछे पत्नी अर्चना कुमारी और दो बेटियों को छोड़ गए हैं। बड़ी बेटी अंशिका सिंह, जो 18 वर्ष की हैं, कक्षा 11 में पढ़ती हैं, और छोटी बेटी तंशु मात्र 5 वर्ष की है। उनके निधन से परिवार पर भावनात्मक और आर्थिक दोनों रूप से बड़ा आघात हुआ है।

ऐतिहासिक संदर्भ: सैनिकों के लिए समाज का समर्थन

संजीव सिंह की कहानी हमें याद दिलाती है कि हमारे देश के सैनिक सिर्फ वर्दी पहनकर लड़ाई के मैदान में नहीं बल्कि अपने जीवन के हर मोर्चे पर योद्धा होते हैं। इतिहास में भी ऐसे कई सैनिक हुए हैं, जिनकी कहानियां प्रेरणादायक हैं। चाहे 1971 के युद्ध के नायक हो या कारगिल के वीर, हर सैनिक का योगदान अमूल्य है।

आज जब हम संजीव सिंह को श्रद्धांजलि दे रहे हैं, तो यह हमारा कर्तव्य है कि हम उनके परिवार का समर्थन करें। यह सिर्फ एक सैनिक के प्रति हमारा सम्मान नहीं, बल्कि राष्ट्र के प्रति हमारी जिम्मेदारी है।

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।