गढ़वा में हाथियों का आतंक: दो माह में 4 मौतें, वन विभाग नाकाम

झारखंड के गढ़वा जिले में हाथियों के झुंड ने तबाही मचा दी है, जिसमें अब तक 4 लोगों की मौत हो चुकी है और कई लोग घायल हुए हैं। वन विभाग की कई कोशिशों के बावजूद हाथियों को भगाना अब तक असंभव रहा है।

Sep 11, 2024 - 12:09
Sep 12, 2024 - 00:28
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गढ़वा में हाथियों का आतंक: दो माह में 4 मौतें, वन विभाग नाकाम
गढ़वा में हाथियों का आतंक: दो माह में 4 मौतें, वन विभाग नाकाम

झारखंड के गढ़वा जिले में हाथियों का आतंक एक गंभीर समस्या बनकर उभरा है। हाथियों के आक्रामक व्यवहार ने इस क्षेत्र के लोगों में भय और असुरक्षा का माहौल पैदा कर दिया है। लगभग 40-45 हाथियों का झुंड इस इलाके में तबाही मचा रहा है, जिसमें अब तक 4 लोगों की मौत हो चुकी है और कई लोग घायल हो चुके हैं। हाथियों को भगाने के लिए वन विभाग ने कई प्रयास किए हैं, लेकिन अभी तक कोई प्रभावी परिणाम नहीं मिल सका है।

गढ़वा में हाथियों का आतंक:
गढ़वा के रंका अनुमंडल का क्षेत्र हाथियों के आतंक से सबसे ज्यादा प्रभावित है। ये हाथी न केवल लोगों की जान के लिए खतरा बन रहे हैं, बल्कि किसानों की फसलों को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। हाथियों के झुंड ने कच्चे घरों को ध्वस्त कर दिया, जिससे गरीब किसानों का अनाज और खाने-पीने का सामान बर्बाद हो गया। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, इस इलाके में 40-45 हाथियों का झुंड मौजूद है, जो लगातार घातक घटनाओं का कारण बन रहा है।

मौत का कारण और वन विभाग की असफलता:
पिछले दो महीनों में हाथियों के कुचलने से 4 लोगों की जान जा चुकी है। वन विभाग के अधिकारियों ने भी यह स्वीकार किया है कि हाथियों को इस इलाके से भगाना उनके लिए अब तक संभव नहीं हो पाया है। यह सवाल अब उठ रहा है कि वन विभाग पिछले 2 वर्षों में हाथियों को भगाने में क्यों नाकाम रहा, जबकि कई प्रयास किए गए।

बांकुरा टीम का बुलावा और भविष्य की चिंता:
हाल ही में, वन विभाग ने दूसरे राज्य से बांकुरा की टीम को बुलाया है ताकि हाथियों के इस झुंड को गढ़वा से भगाया जा सके। लेकिन अगर यह प्रयास भी असफल होता है, तो और कितनी जानें हाथियों के हमले की भेंट चढ़ेंगी, यह एक बड़ा सवाल बना हुआ है। गढ़वा के वन प्रमंडल पदाधिकारी एबिन बेन अब्राहम ने पुष्टि की है कि हाथियों के हमलों में पिछले दो महीनों में 3 लोगों की मौत हो चुकी है, और एक व्यक्ति की हालत हाल ही में बिगड़ गई थी।

हाथियों का आगमन और उनका प्रभाव:
रेंजर राम रतन पांडे के मुताबिक, हाथियों का एक अपना "कॉरिडोर रोड मैप" होता है जिससे वे वापस अपने रास्ते पर लौट जाते हैं। लेकिन मानव बस्तियों और घरों के बनने से ये हाथी भटक जाते हैं और इलाके में तबाही मचा देते हैं। इस पर वन विभाग ने नुकसान के लिए मुआवजे की घोषणा की है और लोगों से आवेदन लेने का काम शुरू कर दिया है।

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Chandna Keshri चंदना केशरी, जो गणित-विज्ञान में इंटरमीडिएट हैं, स्थानीय खबरों और सामाजिक गतिविधियों में निपुण हैं।