Chatra Violence: रामनवमी के जुलूस में युवक की गर्दन पर चला दी तलवार! क्या ये हादसा था या साज़िश?
चतरा में रामनवमी के जुलूस के दौरान युवक पर तलवार से हमला, गर्दन पर गंभीर चोट। आरोपी डीएम यादव ने इसे गलती बताया, लेकिन सवाल उठ रहे हैं – क्या ये हादसा था या साजिश? जानिए पूरी कहानी।

रामनवमी का पावन पर्व... जब हर गली, हर मोहल्ला जय श्रीराम के नारों से गूंज रहा था। अखाड़ों में युवा दमखम दिखा रहे थे और भक्तों की भीड़ रामभक्ति में लीन थी। लेकिन इसी पर्व के बीच झारखंड के चतरा जिले में एक ऐसी घटना घट गई जिसने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया।
एक युवक पर रामनवमी के जुलूस के दौरान तलवार से हमला किया गया। घायल युवक का नाम अविनाश कुमार है जो चुड़ीहार मोहल्ले का रहने वाला है। उसके गले पर तलवार से वार किया गया, जिससे वह बुरी तरह जख्मी हो गया। मामला सदर थाना तक पहुंचा और पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
क्या हुआ उस रात रामनवमी के जुलूस में?
घटना शनिवार की रात की है। अविनाश कुमार का कहना है कि वह अव्वल मुहल्ले में रामनवमी का जुलूस देखने गया था। वहां मौजूद एक युवक, जिसका नाम अभिमन्यु यादव उर्फ डीएम यादव बताया जा रहा है, ने अचानक उसकी गर्दन पर तलवार से वार कर दिया। अविनाश के गले से खून बहने लगा और वहां मौजूद लोग तुरंत उसे सदर अस्पताल ले गए, जहां उसे कई टांके लगे।
इस हमले से डर और तनाव का माहौल बन गया है, खासकर उन इलाकों में जहां रामनवमी का जुलूस निकलता है।
आरोप vs सफाई: सच्चाई क्या है?
जहां अविनाश ने जानलेवा हमले का आरोप लगाया है, वहीं डीएम यादव ने सफाई दी है कि
“यह सब नाचते समय हुआ। गलती से तलवार लग गई। मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था।”
लेकिन सवाल ये उठता है कि अगर ये सचमुच एक "गलती" थी, तो तलवार हाथ में लेकर नाचने की इजाज़त किसने दी? और क्या ऐसे जुलूसों में सुरक्षा इंतज़ाम नाकाफी थे?
पुलिस क्या कर रही है?
सदर थाना प्रभारी विपिन कुमार ने बताया कि अविनाश के लिखित आवेदन के आधार पर मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच जारी है।
लेकिन अब जनता यह जानना चाहती है कि क्या ये मामला सिर्फ लापरवाही का है या इसके पीछे कोई व्यक्तिगत रंजिश छिपी है?
रामनवमी के इतिहास में पहली बार नहीं!
रामनवमी झारखंड समेत पूरे देश में धार्मिक उत्साह से मनाई जाती है। लेकिन चतरा, बोकारो, हजारीबाग जैसे कई जिलों में पिछले कुछ वर्षों में यह पर्व तनाव का कारण भी बना है।
2018 में भी चतरा में रामनवमी के दौरान दो गुटों के बीच मारपीट हुई थी। तब भी हथियारों के इस्तेमाल की खबर आई थी। ऐसे में हर साल सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठते रहे हैं, लेकिन समाधान आज भी अधूरा है।
लोग क्या कह रहे हैं?
घटना के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने जुलूसों में तलवार और हथियार लहराने की परंपरा पर सवाल उठाए हैं।
-
"क्या ये आस्था है या दिखावा?"
-
"क्यों नहीं होती ऐसे आयोजनों में तलवारों पर पाबंदी?"
-
"त्योहारों को हिंसक क्यों बना रहे हैं कुछ लोग?"
क्यों जरूरी है जांच?
चतरा की यह घटना अकेली नहीं है। देशभर में कई बार धार्मिक जुलूसों के दौरान हिंसा, झगड़े और विवाद होते रहे हैं।
अब सवाल है – क्या डीएम यादव की सफाई सही है, या यह सोची-समझी साजिश?
क्या पुलिस निष्पक्ष जांच करेगी या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा?
What's Your Reaction?






