Betla Hunters Arrested: बेतला नेशनल पार्क में 4 शिकारी हथियारों के साथ गिरफ्तार, वन विभाग अलर्ट
झारखंड के पलामू जिले के बेतला नेशनल पार्क में पेट्रोलिंग के दौरान 4 शिकारियों को हथियारों के साथ गिरफ्तार किया गया। शिकारी आसपास के गांवों के बताए जा रहे हैं। पढ़ें पूरी खबर।

झारखंड का बेतला नेशनल पार्क, जिसे देश के सबसे पुराने टाइगर रिजर्व्स में से एक माना जाता है, एक बार फिर सुर्खियों में है। यहां वन विभाग की सतर्क पेट्रोलिंग टीम ने शिकार की नीयत से घुसे चार शिकारियों को हथियारों के साथ गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी उस वक्त हुई जब पार्क के आसपास लगातार शिकार की गतिविधियों की सूचना मिल रही थी।
शिकारी कौन हैं?
जानकारी के मुताबिक, गिरफ्तार किए गए सभी शिकारी बेतला नेशनल पार्क से सटे गांवों के रहने वाले हैं। ये लोग लंबे समय से पार्क के अंदर वन्यजीवों का शिकार करने की कोशिश कर रहे थे। पेट्रोलिंग टीम ने शक के आधार पर इन्हें घेरा और तलाशी के दौरान इनके पास हथियार और धारदार औजार बरामद किए गए।
बेतला नेशनल पार्क का महत्व
बेतला नेशनल पार्क केवल झारखंड ही नहीं, बल्कि पूरे भारत का गौरव है। यह पार्क 1974 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत शामिल हुआ था। यहां बाघ, तेंदुआ, हाथी, गौर, हिरण, भालू और कई दुर्लभ पक्षी प्रजातियां पाई जाती हैं। यही वजह है कि यहां शिकार की घटनाओं को वन विभाग बेहद गंभीरता से लेता है।
शिकार पर कड़ी कार्रवाई
वन अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि शिकारियों के खिलाफ वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी। अगर दोष सिद्ध होता है, तो इन्हें कई साल की जेल और भारी जुर्माना हो सकता है।
कैसे पकड़े गए शिकारी?
सूत्रों के मुताबिक, हाल ही में पार्क क्षेत्र में कई बार जंगली जानवरों के शव मिलने की सूचना आई थी। इससे वन विभाग की टीम और अधिक सतर्क हो गई। शनिवार रात को पेट्रोलिंग के दौरान संदिग्ध गतिविधियों को देखकर टीम ने चारों को धर दबोचा। तलाशी में देशी कट्टा, जाल और धारदार हथियार बरामद हुए।
बेतला का इतिहास और शिकार की चुनौती
बेतला नेशनल पार्क का इतिहास समृद्ध है। 1989 में जब इसे टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था, तब यहां बाघों की संख्या अच्छी खासी थी। लेकिन समय के साथ अवैध शिकार और मानव गतिविधियों ने वन्यजीवों की संख्या पर असर डाला। पिछले दशक में यहां बाघों की संख्या लगातार कम होने की चिंता जताई जाती रही है। यही वजह है कि शिकार की हर घटना वन्यजीव संरक्षण के लिए गंभीर खतरा मानी जाती है।
स्थानीय लोगों की भूमिका
स्थानीय ग्रामीणों का मानना है कि शिकार केवल जंगल की जैव विविधता को नुकसान नहीं पहुंचाता, बल्कि उनकी आजीविका पर भी असर डालता है। पार्क से जुड़ी पर्यटन गतिविधियां गांववालों की कमाई का साधन हैं। यदि शिकार जारी रहा, तो यहां पर्यटन पर भी संकट आ सकता है।
वन विभाग का अलर्ट
गिरफ्तारी के बाद वन विभाग ने आसपास के गांवों में चेतावनी जारी की है। साथ ही पेट्रोलिंग और बढ़ाने के आदेश दिए गए हैं। विभाग ने स्पष्ट किया कि अब से किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर तुरंत कार्रवाई होगी और शिकारी किसी भी सूरत में बख्शे नहीं जाएंगे।
नतीजा
यह घटना सिर्फ चार शिकारियों की गिरफ्तारी नहीं, बल्कि इस बात की चेतावनी भी है कि अगर जंगल और वन्यजीवों को बचाना है, तो शिकार जैसी गतिविधियों पर पूरी तरह रोक लगानी होगी। बेतला जैसे नेशनल पार्क सिर्फ झारखंड ही नहीं, पूरे देश की धरोहर हैं।
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