Jamshedpur Review – स्वास्थ्य योजनाओं में देरी पर डीसी सख्त, दिए कड़े निर्देश!
जमशेदपुर में स्वास्थ्य योजनाओं की समीक्षा बैठक में उपायुक्त अनन्य मित्तल ने लंबित परियोजनाओं को जल्द पूरा करने के निर्देश दिए। जानें जिले में कहां-कहां बन रहे हैं नए स्वास्थ्य केंद्र और क्यों हो रही है देरी?
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जमशेदपुर: आखिर कब पूरी होंगी जिले की अधूरी स्वास्थ्य योजनाएं? इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए शुक्रवार को समाहरणालय सभागार में एक अहम बैठक आयोजित की गई। इस बैठक की अध्यक्षता जिला दंडाधिकारी सह उपायुक्त अनन्य मित्तल ने की, जिसमें स्वास्थ्य आधारभूत संरचना से जुड़ी लंबित योजनाओं की समीक्षा की गई।
बैठक में पीएम-अभिम (प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत आधारभूत संरचना निर्माण मिशन) और 15वें वित्त आयोग से संबंधित स्वास्थ्य परियोजनाओं की प्रगति का जायजा लिया गया। उपायुक्त ने स्पष्ट शब्दों में अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी लंबित योजनाओं को जल्द से जल्द पूरा किया जाए, वरना कार्रवाई होगी। लेकिन क्यों अटकी पड़ी हैं ये योजनाएं? कौन है जिम्मेदार? और कब तक मिलेंगी जिले को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं? आइए, जानते हैं पूरी खबर!
जिले की स्वास्थ्य योजनाओं की मौजूदा स्थिति
बैठक में जिले में चल रहे स्वास्थ्य केंद्रों के निर्माण कार्य की समीक्षा की गई। रिपोर्ट के अनुसार:
वित्तीय वर्ष 2021-22 में 25 और 2022-23 में 27 स्वास्थ्य उपकेंद्रों को स्वीकृति मिली, कुल 52 योजनाएं।
इनमें से 29 का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है।
26 स्वास्थ्य केंद्रों को हैंडओवर कर दिया गया है, जबकि 3 अभी प्रक्रिया में हैं।
पीएम-अभिम और 15वें वित्त आयोग के तहत बीपीएचयू (ब्लॉक पब्लिक हेल्थ यूनिट) की 8 योजनाओं को मंजूरी मिली।
इनमें से 7 पर कार्य जारी है, जबकि 1 का शिलान्यास होना बाकी है।
उपायुक्त ने सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि निर्माण कार्यों में तेजी लाई जाए और तय समयसीमा में इन्हें पूरा किया जाए।
किन इलाकों में बन रहे हैं नए स्वास्थ्य केंद्र?
इस योजना के तहत जिले के विभिन्न हिस्सों में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए कई बड़े प्रोजेक्ट चल रहे हैं:
पोटका, बहरागोड़ा, घाटशिला और हल्दीपोखर में बीपीएचयू का निर्माण।
चाकुलिया और गोलमुरी-जुगसलाई में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) की स्थापना।
धालभूमगढ़ में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) का निर्माण।
पटमदा के लवजोरा में प्रस्तावित PHC का जल्द शिलान्यास।
तो आखिर क्यों हो रही है देरी?
बैठक में चर्चा के दौरान यह सामने आया कि जमीन की उपलब्धता और विभागीय समन्वय की कमी सबसे बड़ी बाधा बन रही है।
- कई परियोजनाएं सिर्फ इस कारण रुकी हुई हैं क्योंकि उनके लिए सही जमीन उपलब्ध नहीं हो पा रही है।
- विभिन्न सरकारी विभागों के बीच तालमेल की कमी के चलते योजनाएं अटक रही हैं।
- निर्माण कार्यों में लगे ठेकेदारों और कार्यकारी एजेंसियों की सुस्ती भी एक अहम कारण है।
इस देरी पर उपायुक्त अनन्य मित्तल ने नाराजगी जाहिर की और संबंधित अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया कि जल्द से जल्द इन समस्याओं का समाधान किया जाए।
स्वास्थ्य सुविधाओं का इतिहास – कब मिलेगा सुधार?
अगर झारखंड में स्वास्थ्य सेवाओं के इतिहास पर नजर डालें, तो तस्वीर बहुत साफ नजर आती है।
- 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM) लागू किया गया था, लेकिन कई जिलों में अभी भी स्वास्थ्य सुविधाएं अपर्याप्त हैं।
- 2018 में आयुष्मान भारत योजना शुरू की गई, लेकिन स्वास्थ्य केंद्रों की कमी आज भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है।
- झारखंड के कई ग्रामीण इलाकों में आज भी लोग इलाज के लिए बड़े शहरों पर निर्भर हैं, जिससे उन्हें भारी आर्थिक बोझ उठाना पड़ता है।
अब सवाल यह है कि क्या उपायुक्त के सख्त निर्देशों के बाद जिले की स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार देखने को मिलेगा?
अधिकारियों की जिम्मेदारी तय – नहीं मानी बात तो होगी कार्रवाई!
बैठक में 15वें वित्त आयोग के तहत बनाए जा रहे शहरी-आयुष्मान आरोग्य मंदिर और ग्रामीण स्वास्थ्य उपकेंद्रों की भी समीक्षा की गई।
- उपायुक्त ने साफ कहा कि अगर कोई योजना अधूरी रह जाती है या इसमें अनावश्यक देरी होती है, तो संबंधित अधिकारी और कार्यकारी एजेंसी जिम्मेदार होंगे।
- अब इस बात पर नजर रखी जाएगी कि आखिर कौन अधिकारी कितनी तेजी से काम पूरा कर रहा है।
निष्कर्ष: जिले को कब मिलेंगी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं?
उपायुक्त ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सभी लंबित परियोजनाओं को जल्द पूरा किया जाए।
अगर जमीन की समस्या या समन्वय की कमी आ रही है, तो तत्काल समाधान निकाला जाए।
स्वास्थ्य सुविधाओं में देरी अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी, दोषियों पर कार्रवाई होगी।
अब देखना यह होगा कि क्या इन कड़े निर्देशों के बाद जिले को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी, या फिर यह बैठक भी महज औपचारिकता बनकर रह जाएगी?
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