Jamshedpur Tribute: नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय में धूमधाम से मनाई गई J.N. टाटा की जयंती, जानिए खास बातें!
जे.एन. टाटा की 186वीं जयंती पर नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय में श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन। जानिए कैसे जमशेदपुर शहर उनकी दूरदृष्टि का जीवंत प्रमाण है!

जमशेदपुर: भारत के महान उद्योगपति और टाटा समूह के संस्थापक जे.एन. टाटा की 186वीं जयंती के अवसर पर नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय में एक भव्य श्रद्धांजलि सह सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारी, शिक्षाविद, संकाय सदस्य और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।
जे.एन. टाटा: एक दूरदर्शी व्यक्तित्व
जे.एन. टाटा को सिर्फ एक उद्योगपति के रूप में नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी और राष्ट्र निर्माता के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने सिर्फ एक औद्योगिक समूह की नींव नहीं रखी, बल्कि जमशेदपुर शहर की परिकल्पना भी की, जो आज भारत के सबसे विकसित औद्योगिक शहरों में गिना जाता है।
उनकी दूरदृष्टि का ही परिणाम है कि जमशेदपुर शहर, जिसे "टाटानगर" भी कहा जाता है, आधुनिकता और बुनियादी ढांचे के लिहाज से किसी भी वैश्विक औद्योगिक शहर से कम नहीं है।
कार्यक्रम की भव्य शुरुआत
श्रद्धांजलि समारोह की शुरुआत जे.एन. टाटा के चित्र पर माल्यार्पण से की गई। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. पी.के. पाणि ने इस अवसर पर कहा:
"जे.एन. टाटा की दूरदर्शिता का प्रमाण आज का जमशेदपुर शहर है। 100 साल पहले उन्होंने जो परिकल्पना की थी, वह आज भी आधुनिकता के साथ जीवंत है।"
इसके बाद विश्वविद्यालय के संकाय सदस्य, विभागाध्यक्ष और छात्रों ने भी पुष्पांजलि अर्पित कर टाटा की महान उपलब्धियों को नमन किया।
जे.एन. टाटा की विरासत: इतिहास के पन्नों से
जे.एन. टाटा का जन्म 3 मार्च 1839 को हुआ था और उन्होंने भारत में औद्योगिक क्रांति की शुरुआत की। 1907 में स्थापित टाटा स्टील एशिया की पहली स्टील कंपनी बनी। उनके विजन का ही नतीजा है कि भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु और टाटा समूह जैसी संस्थाएं आज भी भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने मोहा मन
श्रद्धांजलि के बाद छात्रों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं, जिनमें जे.एन. टाटा के जीवन और योगदान पर आधारित नृत्य, नाटक और भाषण शामिल थे। इन कार्यक्रमों के माध्यम से छात्रों ने यह संदेश दिया कि जे.एन. टाटा का योगदान सिर्फ उद्योग जगत तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने भारत को एक आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने का सपना देखा था।
विशेष अतिथियों की उपस्थिति
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के प्रतिव कुलपति प्रो. डॉ. आचार्य ऋषि रंजन, कुलसचिव नागेंद्र सिंह, अकादमिक सलाहकार प्रो. दिलीप शोम, प्रशासनिक विभाग के अधिष्ठाता प्रो. नाज़िम खान, परीक्षा नियंत्रक प्रो. मोज़िब अशरफ, आईटी विभाग के प्रमुख डॉ. रंजन मिश्रा सहित कई वरिष्ठ अधिकारी और संकाय सदस्य उपस्थित रहे।
जे.एन. टाटा सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि भारत के औद्योगिक और शैक्षिक उत्थान का प्रतीक हैं। उनकी 186वीं जयंती पर नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय में आयोजित यह श्रद्धांजलि समारोह सिर्फ एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि उनके विचारों को आगे बढ़ाने की प्रेरणा का केंद्र बना।
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