Baghroda: सोलर जलमीनार की खराबी से पेयजल संकट, क्या होगी समाधान?
बहरागोड़ा के मुटूरखाम गांव में सोलर जलमीनार की खराबी से 35 परिवार पेयजल संकट से जूझ रहे हैं। पढ़ें पूरी खबर और जानें विभाग की ओर से क्या कदम उठाए गए हैं।
बहरागोड़ा, झारखंड: बहरागोड़ा प्रखंड के मुटूरखाम पंचायत के मुटूरखाम गांव में मुख्यमंत्री हर घर नल जल योजना के तहत स्थापित सोलर जलमीनार पिछले दो साल से खराब पड़ी है, जिससे पार्वन टोला के करीब 35 परिवार पेयजल संकट से जूझ रहे हैं। यह संकट उन ग्रामीणों के लिए लगातार बढ़ता जा रहा है, जो अब कुआं से पानी भरने के लिए मजबूर हैं। बावजूद इसके, सरकारी विभाग की ओर से जलमीनार की मरम्मत के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
सोलर जलमीनार की खराबी से पेयजल संकट:
मुटूरखाम पंचायत के ग्रामीणों ने बताया कि जब से सोलर जलमीनार खराब हुई है, तब से उन्हें पीने के पानी के लिए खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री हर घर नल जल योजना का उद्देश्य ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल मुहैया कराना था, लेकिन इस योजना के तहत स्थापित जलमीनारों की खराबी ने इन परिवारों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। पार्वन टोला में रहने वाले 35 परिवार अब कुएं से पानी निकालने को मजबूर हैं, जबकि जलमीनार के जरिए उन्हें स्वच्छ और आसानी से पानी मिल सकता था।
क्यों नहीं हो रही मरम्मत?
ग्रामीणों ने कई बार पेयजल एवं स्वच्छता विभाग को जलमीनार की मरम्मत के लिए सूचित किया, लेकिन विभाग की ओर से कोई सक्रिय कदम नहीं उठाया गया। मुखिया सिंगो मुर्मू के प्रतिनिधि लुगू मुर्मू ने बताया कि न सिर्फ मुटूरखाम गांव, बल्कि पंचायत के अन्य गांवों में भी कई जलमीनार खराब पड़ी हैं। उन्होंने बताया कि जाड़ाबनी, बरौल, सियालबिंदा और कोंदर जैसे गांवों में जलमीनार महीनों से खराब पड़ी हैं, जिसके कारण यहां के ग्रामीण पेयजल के लिए कुएं और अन्य संसाधनों पर निर्भर हैं।
क्या है विभाग की जिम्मेदारी?
लुगू मुर्मू ने यह भी कहा कि पंचायत स्तर पर इन जलमीनारों की मरम्मत कर पाना संभव नहीं है। इन जलमीनारों की मरम्मत का दायित्व सीधे तौर पर पेयजल एवं स्वच्छता विभाग का है। लेकिन, विभाग ने अब तक इस गंभीर समस्या का समाधान नहीं निकाला है। वह सवाल उठाते हैं कि जब योजना के तहत यह जलमीनार स्थापित की गई थीं, तो अब इनकी मरम्मत क्यों नहीं की जा रही है?
ग्रामीणों की बढ़ती परेशानी:
पार्वन टोला के उपमुखिया युगल हेंब्रम ने बताया कि सोलर जलमीनार के खराब होने से ग्रामीणों की जिंदगी मुश्किल हो गई है। उन्हें पानी लाने के लिए कुएं और अन्य पारंपरिक स्रोतों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। यह न केवल समय लेने वाला है, बल्कि पानी की गुणवत्ता पर भी सवाल उठता है। अगर जलमीनार काम कर रही होती, तो इन ग्रामीणों को स्वच्छ और सुरक्षित पानी आसानी से मिल सकता था।
समाज और सरकार के लिए चुनौती:
यह घटना न केवल एक स्थानीय समस्या है, बल्कि यह सरकारी योजनाओं के अमल और उनके कार्यान्वयन पर भी सवाल उठाती है। मुख्यमंत्री हर घर नल जल योजना जैसे महत्वपूर्ण योजनाओं के बावजूद, अगर जलमीनारों की मरम्मत नहीं की जाती तो इससे योजना का उद्देश्य ही सवालों के घेरे में आ जाता है। क्या सरकार और विभागों को इन गंभीर समस्याओं पर जल्द कदम नहीं उठाना चाहिए?
समाधान की दिशा में उम्मीद:
अब सवाल यह उठता है कि पेयजल एवं स्वच्छता विभाग इस समस्या का समाधान कब तक करेगा। विभाग को जल्द से जल्द इस मामले को गंभीरता से लेकर इन जलमीनारों की मरम्मत करनी चाहिए ताकि गांवों के लोग स्वच्छ पानी के बिना किसी परेशानी के अपने जीवन का संचालन कर सकें। साथ ही, विभाग को ऐसी समस्याओं के समाधान के लिए एक दीर्घकालिक योजना बनानी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह के संकट का सामना न करना पड़े।
बहरागोड़ा में सोलर जलमीनारों की खराबी ने ग्रामीणों को पेयजल संकट में डाल दिया है, और सरकार तथा संबंधित विभागों की जिम्मेदारी बनती है कि वे जल्द से जल्द इस संकट का समाधान निकालें। ग्रामीणों के जीवन की गुणवत्ता और स्वच्छ जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए जलमीनारों की मरम्मत जरूरी है। इस मुद्दे पर सख्त कार्रवाई और जिम्मेदारी की आवश्यकता है ताकि बहरागोड़ा के ग्रामीणों को राहत मिल सके।
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