World AIDS Day: मुरली पैरामेडिकल कॉलेज में जागरूकता कार्यक्रम, युवाओं को किया गया प्रेरित
विश्व एड्स दिवस पर मुरली पैरामेडिकल कॉलेज, जमशेदपुर में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन। एचआईवी एड्स की रोकथाम, उपचार, और सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण पर व्याख्यान।
विश्व एड्स दिवस पर मुरली पैरामेडिकल कॉलेज में जागरूकता कार्यक्रम
जमशेदपुर के कालाझोर स्थित मुरली पैरामेडिकल कॉलेज में 37वें विश्व एड्स दिवस के अवसर पर एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस वर्ष की थीम थी:
“सामूहिक कार्रवाई: प्रगति को बनाए रखना और तेज करना।”
इस कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं और समाज में एचआईवी/एड्स को लेकर जागरूकता फैलाना, इस बीमारी से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना और सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण को बढ़ावा देना था।
एड्स दिवस: एक ऐतिहासिक पहल
विश्व एड्स दिवस पहली बार 1 दिसंबर 1988 को मनाया गया था। यह दिन वैश्विक स्तर पर एचआईवी/एड्स महामारी पर ध्यान केंद्रित करने और इससे जुड़ी जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा शुरू किया गया था।
भारत में एचआईवी संक्रमण के मामले चिंताजनक हैं। देश में 2021 में अनुमानित 2.3 मिलियन लोग एचआईवी पॉजिटिव थे, और हर साल लगभग 42,000 लोगों की मौत एड्स से होती है। यह स्थिति स्वास्थ्य और जागरूकता दोनों के मोर्चे पर अधिक सामूहिक प्रयासों की मांग करती है।
कार्यक्रम की झलकियां
मुरली पैरामेडिकल कॉलेज के इस आयोजन में कई खास पहलुओं को शामिल किया गया, जैसे:
- विशेष व्याख्यान: स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने एचआईवी/एड्स की रोकथाम, उपचार, और उससे बचाव के तरीकों पर जानकारी दी।
- जागरूकता अभियान: राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) के माध्यम से समाज में एड्स से जुड़ी भ्रांतियों और कुरीतियों को दूर करने का संदेश दिया गया।
- युवाओं के लिए संदेश: इस कार्यक्रम में युवाओं को विशेष रूप से संबोधित किया गया ताकि वे एचआईवी के बारे में सही जानकारी हासिल कर इसे रोकने में भूमिका निभा सकें।
शिक्षकों और गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति
कार्यक्रम में मुरली पैरामेडिकल कॉलेज की शिक्षिका श्रीमती विजया बोस ने कहा:
“हमारा मुख्य उद्देश्य है कि लोग एचआईवी एड्स को लेकर जागरूक और समझदार बनें। यह जरूरी है कि समाज सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण अपनाए और एड्स से जुड़े भेदभाव को खत्म करे।”
कॉलेज की कोऑर्डिनेटर श्रीमती शशि कला, नमिता बेरा, और वीरू ने भी कार्यक्रम को सफल बनाने में योगदान दिया। छात्र-छात्राओं, सहायक प्राध्यापकों और अन्य गणमान्य नागरिकों ने इस आयोजन में हिस्सा लिया और इसे प्रेरणादायक बनाया।
युवाओं के लिए संदेश
एचआईवी/एड्स न केवल एक स्वास्थ्य चुनौती है, बल्कि यह समाज में जागरूकता और सहानुभूति की भी मांग करता है। इस कार्यक्रम ने यह साबित किया कि यदि सामूहिक प्रयास किए जाएं, तो इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है।
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