यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, मौलाना मदनी ने बताया न्याय की जीत

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट की वैधता को बरकरार रखते हुए ऐतिहासिक फैसला सुनाया। जमीअत उलेमा हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने फैसले को मदरसा समुदाय के लिए न्याय की जीत और प्रेरणा का स्रोत बताया।

Nov 6, 2024 - 12:53
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यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, मौलाना मदनी ने बताया न्याय की जीत
यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, मौलाना मदनी ने बताया न्याय की जीत

नई दिल्ली, बुधवार: उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड एक्ट की वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। कोर्ट ने आज (बुधवार) को अपने फैसले में इस एक्ट को वैध करार दिया। जमीअत उलेमा हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने इस फैसले का स्वागत किया और इसे मदरसा समुदाय के लिए न्याय की जीत बताया।

मौलाना मदनी ने इस निर्णय पर खुशी जाहिर की और कहा कि यह भारतीय मुसलमानों और विशेष रूप से मदरसों से जुड़े लोगों के लिए संतोषजनक है। उन्होंने कहा कि यह फैसला केवल मदरसा बोर्ड से संबंधित नहीं है, बल्कि उन सभी तत्वों के लिए एक कड़ा संदेश भी है जो बिना किसी ठोस आधार के मदरसों के खिलाफ नकारात्मक अभियान चलाते हैं। मौलाना मदनी ने इसे संविधान की विजय के रूप में भी देखा और कहा कि यह निर्णय उन सभी सरकारी और गैर-सरकारी तत्वों को रोकने का संकेत है जो देश में धार्मिक शिक्षण संस्थानों को लेकर दुष्प्रचार करते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को पलटा

इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के पुराने निर्णय को पलटते हुए संवैधानिक सिद्धांतों का पालन सुनिश्चित किया। मौलाना मदनी ने सुप्रीम कोर्ट के इस कदम को सराहा और कहा कि निचली अदालतों में कई बार फैसले संतुलित नहीं होते हैं और सरकारी पक्ष को ध्यान में रखते हुए निर्णय सुनाए जाते हैं। इस बार सुप्रीम कोर्ट ने अपनी गहरी समझ का परिचय दिया और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा की।

मौलाना मदनी ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की “जियो और जीने दो” की टिप्पणी को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि इस विचार को समझना हर भारतीय के लिए आवश्यक है, ताकि समाज में सद्भावना और आपसी समझ को बढ़ावा मिल सके।

मदरसा समुदाय के लिए राहत भरा फैसला

मौलाना मदनी ने कहा कि यह फैसला मदरसा समुदाय के लिए एक बड़ी राहत है। मदरसों से जुड़ी शिक्षा प्रणाली को निशाना बनाकर कई बार नकारात्मक प्रोपेगंडा चलाया जाता है। यह निर्णय उन सभी को एक स्पष्ट जवाब है कि देश के संविधान में सभी के लिए स्थान है, और धार्मिक संस्थानों को निशाना बनाना संविधान के खिलाफ है। मौलाना मदनी ने कहा कि यह फैसला मदरसा शिक्षा प्रणाली को नए आत्मविश्वास से भरने वाला है।

यूपी मदरसा टीचर्स एसोसिएशन की सराहना

मौलाना मदनी ने इस मौके पर यूपी मदरसा टीचर्स एसोसिएशन की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि इस संस्था ने लगातार न्याय के लिए प्रयास किए हैं और उनके प्रयासों का यह परिणाम है। मदनी ने एसोसिएशन के सदस्यों को उनकी मेहनत और संघर्ष का फल बताया और इसे सभी मदरसा समुदाय के लिए प्रेरणा का स्रोत माना।

संवैधानिक अधिकारों की जीत

मौलाना मदनी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय भारतीय संविधान के मूल सिद्धांतों की रक्षा करता है। उन्होंने कहा कि इस फैसले से स्पष्ट है कि संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा सर्वोपरि है, और किसी भी संस्थान या समुदाय के अधिकारों को छीनने का प्रयास संविधान का अपमान है। यह फैसला सभी को याद दिलाता है कि संविधान सभी के अधिकारों की रक्षा करने के लिए है और किसी भी धर्म विशेष या शिक्षा प्रणाली के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता।

फैसले पर सकारात्मक प्रतिक्रिया

मौलाना मदनी के साथ-साथ देश के कई अन्य धार्मिक संगठनों और मदरसा समुदाय के नेताओं ने भी इस फैसले पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। वे इसे धार्मिक स्वतंत्रता और शिक्षा के अधिकार के प्रति न्यायिक प्रणाली का समर्थन मानते हैं।

यह फैसला एक मिसाल है कि देश में सभी के लिए बराबरी का स्थान है, और संवैधानिक व्यवस्था किसी भी प्रकार के भेदभाव को समाप्त करने के लिए काम कर रही है। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय ने न केवल मदरसा समुदाय को बल्कि पूरे समाज को यह संदेश दिया है कि हर नागरिक को अपने अधिकारों के साथ जीने का हक है।

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