AMU का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार: सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रखा। 7 जजों की बेंच ने 4-3 के बहुमत से यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया। पढ़ें पूरी खबर।
नई दिल्ली, शुक्रवार, 8 नवंबर 2024: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) का अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा बरकरार रखा है। 7 जजों की बेंच ने 4-3 के बहुमत से इस महत्वपूर्ण निर्णय को दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि AMU संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक दर्जे का हकदार है, जिससे मुस्लिम समुदाय को उच्च शिक्षा का अधिकार मिला हुआ है।
फैसले का आधार
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले पर विस्तृत चर्चा के बाद अल्पसंख्यक दर्जे को बरकरार रखने का निर्णय लिया। बेंच में मौजूद न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, जेडी पारदीवाला और मनोज मिश्रा ने भी मुख्य न्यायाधीश का समर्थन किया। इस फैसले में कोर्ट ने अनुच्छेद 30 को प्रमुख आधार बनाते हुए कहा कि यह अनुच्छेद धार्मिक अल्पसंख्यकों को अपने शिक्षण संस्थान स्थापित करने और संचालित करने का अधिकार देता है।
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने इस मामले में कहा कि “कोई भी धार्मिक समुदाय अपने शिक्षण संस्थान स्थापित कर सकता है, लेकिन संचालन संविधान और सरकारी नियमों के तहत ही होगा।” कोर्ट ने यह भी कहा कि इस फैसले में संविधान के अनुच्छेद 30 को विशेष तौर पर ध्यान में रखा गया है ताकि अल्पसंख्यकों को उनके अधिकार दिए जा सकें।
बहुमत के आधार पर लिया गया फैसला
सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बेंच में 4 जज इस निर्णय के पक्ष में थे, जबकि 3 जज इसके खिलाफ थे। इस बहुमत के आधार पर AMU को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा दिया गया। कोर्ट का मानना है कि यह दर्जा अल्पसंख्यकों के अधिकारों को संरक्षण देने के उद्देश्य से है। कोर्ट ने इस मामले पर केंद्र सरकार और संघ को भी प्रतिक्रिया देने का अवसर दिया था।
क्या है अनुच्छेद 30?
संविधान का अनुच्छेद 30 अल्पसंख्यक समुदायों को उनके शिक्षण संस्थानों को स्थापित करने और संचालित करने का अधिकार प्रदान करता है। यह अनुच्छेद अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों को सुरक्षित रखता है और यह सुनिश्चित करता है कि उन्हें भेदभाव का सामना न करना पड़े। इस अनुच्छेद के तहत AMU जैसे संस्थानों को अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त है, जिससे वे अपनी नीतियों के अनुसार छात्रों को शिक्षा दे सकते हैं।
कोर्ट के निर्णय के बाद क्या होगा?
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद AMU का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रहेगा। इसका मतलब है कि AMU अपने अल्पसंख्यक दर्जे के आधार पर दाखिले में भी कुछ विशेष सुविधाएं और कोटा प्रदान कर सकता है। यह निर्णय मुस्लिम समुदाय के लिए एक बड़ी राहत मानी जा रही है।
सामाजिक प्रतिक्रिया
इस फैसले पर विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया भी आई हैं। कई मुस्लिम संगठनों ने इसे अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों के लिए महत्वपूर्ण कदम बताया है। वहीं, कुछ संगठनों ने इसे भेदभाव के रूप में देखा है और कहा है कि इससे दूसरे समुदायों के अधिकारों पर असर पड़ सकता है।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला भारतीय संविधान में अल्पसंख्यकों के अधिकारों के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस निर्णय से यह स्पष्ट हो गया है कि संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक संस्थानों को अधिकार दिए गए हैं, जिन्हें सुरक्षित और संरक्षित रखना सर्वोच्च न्यायालय की प्राथमिकता है।
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