India Appointment: के संजय मूर्ति बने नए CAG, जानें उनकी पृष्ठभूमि और संवैधानिक भूमिका
के संजय मूर्ति बने भारत के नए नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG)। जानें उनकी पृष्ठभूमि, CAG की भूमिका और यह नियुक्ति क्यों महत्वपूर्ण है।
भारत सरकार ने के संजय मूर्ति को नया नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) नियुक्त किया है। हिमाचल प्रदेश कैडर के 1989 बैच के IAS अधिकारी मूर्ति, मौजूदा CAG गिरीश चंद्र मुर्मू की जगह लेंगे। यह घोषणा देश के सार्वजनिक वित्तीय प्रशासन और पारदर्शिता में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। मूर्ति वर्तमान में उच्च शिक्षा विभाग में सचिव के पद पर कार्यरत हैं और अब इस महत्वपूर्ण संवैधानिक जिम्मेदारी को संभालने के लिए तैयार हैं।
के संजय मूर्ति: उनकी पृष्ठभूमि और अनुभव
के संजय मूर्ति, हिमाचल प्रदेश कैडर के 1989 बैच के IAS अधिकारी हैं। उन्होंने प्रशासन और शिक्षा क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है। वर्तमान में वे शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग के सचिव हैं। अपने प्रशासनिक अनुभव और नेतृत्व क्षमता के कारण उन्हें भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के रूप में चुना गया है।
पदभार ग्रहण की तारीख
मूर्ति 20 नवंबर, 2024 को गिरीश चंद्र मुर्मू का कार्यकाल समाप्त होने के बाद यह पदभार संभालेंगे।
CAG की संवैधानिक भूमिका और जिम्मेदारियां
संवैधानिक प्रावधान (अनुच्छेद 148)
CAG का पद भारत के संविधान के अनुच्छेद 148 के तहत स्थापित है। इसे भारत के वित्तीय प्रशासन की नींव माना जाता है। इस पद का उद्देश्य सार्वजनिक व्यय की निगरानी और वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित करना है।
मुख्य जिम्मेदारियां
- सार्वजनिक व्यय का लेखा-जोखा: केंद्र और राज्य सरकारों के वित्तीय रिकॉर्ड की जांच।
- वित्तीय अनियमितताओं को उजागर करना: सरकारी खर्चों में गड़बड़ियों की पहचान करना।
- बेहतर प्रशासन में योगदान: अपनी रिपोर्ट्स के माध्यम से शासन को और प्रभावी बनाना।
CAG के कार्यकाल की शर्तें
CAG का कार्यकाल 6 साल या 65 वर्ष की आयु तक होता है। CAG को केवल संसद में महाभियोग प्रक्रिया के तहत ही हटाया जा सकता है, जो इसे एक स्वतंत्र और निष्पक्ष पद बनाता है।
गिरीश चंद्र मुर्मू का कार्यकाल
गिरीश चंद्र मुर्मू ने 8 अगस्त, 2020 से CAG के रूप में कार्य किया। उनके कार्यकाल को वित्तीय जवाबदेही और निगरानी को मजबूत करने के लिए सराहा गया।
उनका योगदान
मुर्मू ने कई महत्वपूर्ण वित्तीय मुद्दों पर पारदर्शिता लाई और सार्वजनिक व्यय की प्रभावशीलता सुनिश्चित की। उनकी जगह अब के संजय मूर्ति लेंगे, जिनसे इन सुधारों को और आगे बढ़ाने की उम्मीद है।
CAG की ऐतिहासिक भूमिका
भारत में CAG का इतिहास ब्रिटिश शासन से शुरू होता है। इसे 1858 में भारत के वित्तीय प्रशासन में शामिल किया गया। स्वतंत्र भारत में, यह पद और भी महत्वपूर्ण हो गया, क्योंकि यह लोकतांत्रिक जवाबदेही को सुनिश्चित करता है। CAG की रिपोर्ट अक्सर घोटालों और वित्तीय गड़बड़ियों को उजागर करती हैं।
प्रमुख घोटाले और CAG की रिपोर्ट
CAG की रिपोर्ट ने 2G स्पेक्ट्रम, कोयला घोटाला जैसे बड़े मुद्दों को उजागर किया, जिससे देश की वित्तीय नीतियों और सरकारी प्रक्रियाओं में सुधार हुआ।
के संजय मूर्ति की नियुक्ति का महत्व
वित्तीय पारदर्शिता पर जोर
के संजय मूर्ति के अनुभव और विशेषज्ञता से यह उम्मीद की जा रही है कि वे CAG कार्यालय की भूमिका को और प्रभावी बनाएंगे। उनकी नियुक्ति यह भी दर्शाती है कि सरकार सार्वजनिक वित्तीय प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही को प्राथमिकता दे रही है।
आगे की चुनौतियां
मूर्ति के लिए सबसे बड़ी चुनौती सरकार और नागरिकों के बीच वित्तीय विश्वास बनाए रखना होगा।
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