Sonahatu Verdict: नाबालिग छात्रा से दुष्कर्म के दोषी साईनाथ महतो को 20 साल की सजा
सोनाहातू के साईनाथ महतो को नाबालिग छात्रा से दुष्कर्म के मामले में 20 साल की सजा। POCSO कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला, 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। पीड़िता की मां ने 2023 में दर्ज कराई थी शिकायत।

सोनाहातू (झारखंड): बाल यौन शोषण के एक जघन्य मामले में POCSO (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेज एक्ट) की विशेष अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए अभियुक्त साईनाथ महतो को 20 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई है। विशेष न्यायाधीश आसिफ इकबाल की अदालत ने इसके साथ ही दोषी पर 20,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है। यह फैसला झारखंड में नाबालिगों के खिलाफ यौन हिंसा के मामलों में सख्त रुख अपनाने की मिसाल पेश करता है।
क्या था पूरा मामला?
- 22 नवंबर 2023 को पीड़िता की मां ने सोनाहातू थाना में केस दर्ज कराया था।
- आरोप था कि साईनाथ महतो ने नाबालिग छात्रा के साथ बलात्कार किया और बाद में धमकी देकर लगातार यौन शोषण जारी रखा।
- पीड़िता सोनाहातू थाना क्षेत्र के एक स्कूल में पढ़ती थी, जबकि आरोपी राहे गांव का निवासी है।
- 8 अप्रैल 2024 को अदालत ने साईनाथ को दोषी करार दिया था, जिसके बाद बुधवार को सजा सुनाई गई।
कोर्ट में क्या-क्या सबूत पेश हुए?
अभियोजन पक्ष ने मामले की सुनवाई के दौरान चार गवाह पेश किए, जिनमें पीड़िता भी शामिल थी। मेडिकल रिपोर्ट और फोरेंसिक साक्ष्यों ने भी आरोपी के खिलाफ मजबूत आधार बनाया। पुलिस की जांच में यह भी पता चला कि आरोपी ने नाबालिग को गंभीर शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना दी थी।
POCSO एक्ट के तहत क्यों है यह मामला खास?
- POCSO कानून के तहत नाबालिगों (18 वर्ष से कम आयु) के साथ यौन शोषण के मामलों में सख्त सजा का प्रावधान है।
- इस मामले में धारा 6 (गंभीर यौन हमला) और धारा 506 (आपराधिक धमकी) लगाई गई थी।
- 20 साल की सजा इस बात का संकेत है कि न्यायपालिका अब ऐसे मामलों में ज़ीरो टॉलरेंस की नीति पर चल रही है।
सोनाहातू में पहले भी हुए हैं ऐसे मामले
सोनाहातू और आसपास के इलाकों में नाबालिग लड़कियों के खिलाफ यौन हिंसा के कई मामले सामने आ चुके हैं। पिछले साल भी एक अन्य मामले में एक शिक्षक को POCSO कोर्ट ने दोषी ठहराया था। हालांकि, इस बार की सजा ने एक स्पष्ट संदेश दिया है कि ऐसे अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा।
स्थानीय लोगों और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
- "यह फैसला नाबालिग सुरक्षा के लिए एक मिसाल बनेगा।" — सामाजिक कार्यकर्ता
- "गांवों में ऐसे मामले अक्सर दबा दिए जाते हैं, लेकिन इस बार न्याय मिला है।" — स्थानीय निवासी
- "पुलिस और अदालत ने त्वरित कार्रवाई करके न्याय सुनिश्चित किया।" — कानूनी विशेषज्ञ
अब क्या होगा आगे?
- आरोपी को झारखंड की किसी केंद्रीय जेल में भेजा जाएगा।
- जुर्माने की राशि पीड़िता को मुआवजे के रूप में दी जाएगी।
- पुलिस अब ऐसे अन्य मामलों की जांच तेज करने पर विचार कर रही है।
यह फैसला न सिर्फ नाबालिगों के खिलाफ होने वाले अपराधों के खिलाफ एक सशक्त संदेश है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कानून का डंडा अब ज्यादा मजबूती से चलेगा। समाज और प्रशासन को मिलकर ऐसे मामलों में शीघ्र न्याय सुनिश्चित करना चाहिए, ताकि भविष्य में कोई भी दरिंदा ऐसी हरकत करने से पहले सौ बार सोचे।
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