Santhali Writter : संताली महिला लेखकों का ऐतिहासिक सम्मेलन: झाड़ग्राम में आदिवासी साहित्य का भव्य उत्सव

झाड़ग्राम में आयोजित द्वितीय अखिल भारतीय संताली महिला लेखिका सम्मेलन ने साहित्य और संस्कृति की समृद्धि का जश्न मनाया। पैनल चर्चा, कवि सम्मेलन, और शोध पत्रों के साथ यह कार्यक्रम आदिवासी आवाज़ों को बढ़ावा देने में एक मील का पत्थर साबित हुआ।

Dec 1, 2024 - 22:35
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Santhali Writter : संताली महिला लेखकों का ऐतिहासिक सम्मेलन: झाड़ग्राम में आदिवासी साहित्य का भव्य उत्सव
Santhali Writter : संताली महिला लेखकों का ऐतिहासिक सम्मेलन: झाड़ग्राम में आदिवासी साहित्य का भव्य उत्सव

Santhali Writters: झाड़ग्राम में संताली साहित्य का उत्सव: महिला लेखकों की आवाज़ों ने रचा इतिहास

झाड़ग्राम, पश्चिम बंगाल के घोराधोरा में द्वितीय अखिल भारतीय संताली महिला लेखिका सम्मेलन और संताली साहित्य सम्मेलन का आयोजन हुआ। ऑल इंडिया संताली लेखक संघ (AISWA) की महिला शाखा और झारग्राम जनजातीय परिषद (JTC) द्वारा आयोजित इस दो दिवसीय कार्यक्रम ने आदिवासी साहित्य, संस्कृति, और संताली महिला लेखकों की भूमिका को उजागर किया।

सम्मेलन की शुरुआत: पारंपरिक और प्रेरणादायक अनुष्ठान

सम्मेलन का उद्घाटन पारंपरिक अनुष्ठानों और दीप प्रज्वलन के साथ हुआ।
मुख्य अतिथि, सुश्री बीरबाहा हांसदा, माननीय मंत्री और पश्चिम बंगाल संताली अकादमी की अध्यक्ष, ने उद्घाटन भाषण में कहा:

"आदिवासी साहित्य और संस्कृति के संरक्षण में महिलाओं की भूमिका बेहद अहम है। संताली साहित्य महिलाओं को सशक्त करने और आदिवासी पहचान को मजबूत करने का एक सशक्त माध्यम है।"

विशेष अतिथियों में श्रीमती चिन्मयी हांसदा मरांडी, झारग्राम जिला परिषद की सवाधिपति, और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। पद्मश्री डॉ. दमयंती बेशरा सहित AISWA और साहित्य अकादमी के प्रतिनिधियों ने अपनी उपस्थिति से इस आयोजन को गौरवान्वित किया।

सम्मेलन की मुख्य झलकियां: साहित्य और संस्कृति का संगम

1. पैनल चर्चा: आदिवासी साहित्य में महिला लेखकों की भूमिका

AISWA महिला विंग की सचिव, श्रीमती सुचित्रा हांसदा, ने "संताली साहित्य और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में महिला लेखकों की भूमिका" पर पैनल चर्चा का संचालन किया।

  • प्रमुख पैनलिस्ट: अंजली किस्कू, पबित्रा हेम्ब्रम, और पापिया मांडी।
  • चर्चा में साहित्य, लिंग, और पहचान के बीच संबंध पर गहन विचार-विमर्श हुआ।

2. शोध पत्र प्रस्तुतियां:

संताली साहित्य पर आधारित शोध पत्रों ने समकालीन मुद्दों को समझने में मदद की।

  • सुश्री सलीमा मरांडी: "संथाली में रचनात्मक लेखन के माध्यम से महिलाओं का सशक्तिकरण।"
  • सुश्री सम्पा हांसदा: "समकालीन संताली साहित्यिक रुझान और उभरते लेखक।"
  • सुश्री सुरजमुनि मुर्मू: संताली लोक संगीत और नृत्य पर एक अंतर्दृष्टि।

3. कवि सम्मेलन:

कवि सम्मेलन में महिला कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से संताली समाज की सांस्कृतिक और सामाजिक जड़ों को उजागर किया।

  • इस सत्र की अध्यक्षता श्रीमती शोभा हांसदा ने की।
  • प्रमुख कवियों में मानिक हांसदा, वीर प्रताप मुर्मू, और सरस्वती हांसदा शामिल थे।

डिजिटलीकरण और वैश्वीकरण की चुनौतियां

सम्मेलन ने संताली साहित्य के सामने मौजूद आधुनिक चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला:

  • डिजिटलीकरण: संताली साहित्य को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाने और अधिक लोगों तक पहुंचाने की जरूरत।
  • वैश्वीकरण: संताली संस्कृति को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने के लिए साहित्यिक प्रयासों को बढ़ावा देना।

आदिवासी पहचान और साहित्य का महत्व

AISWA के महासचिव, श्री रवींद्र नाथ मुर्मू, ने कहा:

"संताली महिला लेखकों ने न केवल साहित्य को समृद्ध किया है, बल्कि आदिवासी समुदाय की पहचान को भी संरक्षित किया है। युवा पीढ़ी को अपनी भाषाई और सांस्कृतिक धरोहर पर गर्व करना चाहिए।"

सम्मेलन के प्रभाव और भविष्य की योजनाएं

इस सम्मेलन ने आदिवासी साहित्य में महिलाओं की भूमिका को न केवल सम्मानित किया, बल्कि इसे बढ़ावा देने के लिए एक ठोस मंच प्रदान किया।

  • AISWA और झारग्राम जनजातीय परिषद ने भविष्य में भी ऐसे आयोजनों की प्रतिज्ञा की।
  • सम्मेलन में भाग लेने वाली सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र और स्मृति चिन्ह प्रदान किए गए।

कार्यक्रम का महत्व

द्वितीय अखिल भारतीय संताली महिला लेखिका सम्मेलन ने यह दिखाया कि साहित्य केवल लेखन नहीं है, बल्कि यह संस्कृति, पहचान, और समाज को जोड़ने का माध्यम भी है। यह आयोजन संताली साहित्य के भविष्य को उज्ज्वल बनाने और वैश्विक मंच पर आदिवासी आवाज़ों को सुनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।