घाटशिला में वन अधिकार अधिनियम पर कार्यशाला आयोजित, सामुदायिक वन अधिकारों की जानकारी साझा
घाटशिला में स्वाधीना संस्था के बैनर तले वन अधिकार अधिनियम पर कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें सामुदायिक वन अधिकारों की जानकारी दी गई और दखलदारों की समस्याओं पर चर्चा की गई।
घाटशिला: झारखंड के घाटशिला में स्वाधीना संस्था के बैनर तले वन अधिकार अधिनियम पर एक महत्वपूर्ण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य समुदाय को वन अधिकारों के प्रति जागरूक करना और उन्हें उनके अधिकारों की जानकारी प्रदान करना था। कार्यशाला में घाटशिला जिला परिषद सदस्य और जिला वनाधिकार समिति की सदस्य, श्रीमती देवयानी मुर्मू ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की और वन अधिकारों के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की।
श्रीमती मुर्मू ने वनाधिकार अधिनियम की बारीकियों को समझाते हुए बताया कि केवल वही व्यक्ति वनपट्टा पाने के पात्र होते हैं जो वास्तविक दखलदार हैं। उन्होंने बताया कि वनपट्टा व्यक्तिगत और सामुदायिक दोनों प्रकार का होता है और इसके लिए निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य होता है। लेकिन, जागरूकता की कमी के कारण अक्सर आवेदन निरस्त हो जाते हैं।
इस अवसर पर उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि वनाधिकार अधिनियम के तहत 2005 के पूर्व से वनभूमि पर काबिज दखलदारों को जबरन बेदखल नहीं किया जा सकता है। उन्होंने झारखंड में वनपट्टा देने की प्रक्रिया की धीमी गति पर चिंता व्यक्त की और सरकार से इस प्रक्रिया को तेजी से पूरा करने की मांग की।
कार्यशाला के दौरान, दखलदारों ने वनपट्टा प्राप्त करने में आने वाली समस्याओं को साझा किया और अधिकारियों से समाधान की मांग की। इस अवसर पर सास्वती राय, अदिति राय, सुप्रीति मुर्मू, संदीप महतो, कार्मी किस्कू, पापिया शर्मा, नीलिमा सरकार, शुभरो पानी, यस्वती सिंह, पुजा किस्कू, सरस्वती मांडी, सूरज हांसदा, मधुमिता सरकार, लादूराम महतो, पायल पातर सहित कई अन्य लोग उपस्थित थे।
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