उत्कृष्ट सोच से मिलती है मोक्ष की राह: अंतरराष्ट्रीय मानवीय मूल्यों की काव्य गोष्ठी में उठी आवाज
25 अगस्त 2024 को आयोजित काव्य गोष्ठी में 'उत्कृष्ट है सोच, द्वार है मोक्ष' विषय पर साहित्यकारों ने अपने विचार साझा किए। मोक्ष का सही अर्थ और आत्मा की पवित्रता पर चर्चा की गई।
25 अगस्त 2024, रविवार - अंतरराष्ट्रीय मानवीय मूल्यों की माला मंच द्वारा रविवार को एक अनूठी काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का विषय था "उत्कृष्ट है सोच, द्वार है मोक्ष", और इसका आयोजन 25 अगस्त 2024 को दोपहर 1:00 बजे से 3:30 बजे तक हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री महेश प्रसाद शर्मा और आदरणीय माला सिंह जी ने की। इस अवसर पर मुख्य अतिथि उर्मिला कुमारी जी और विशिष्ट अतिथि रतिराम गढ़ेवाल जी मौजूद रहे।
इस गोष्ठी में अनुभवी साहित्यकारों और रचनाकारों ने अपनी बेहतरीन रचनाओं और विचारों के माध्यम से मोक्ष के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। सभी की रचनाओं का सार यह था कि मोक्ष एक गहन दार्शनिक शब्द है, जिसका अर्थ है गलत विचारों, बुरी आदतों और लालसा से मुक्ति। मोक्ष की प्राप्ति तब होती है, जब मनुष्य सभी विकारों, मोह-माया से ऊपर उठकर, उत्कृष्ट सोच और कर्म के माध्यम से अपनी आत्मा का साक्षात्कार करता है।
कार्यक्रम के दौरान साहित्यकारों ने यह भी समझाया कि मोक्ष की यात्रा में आत्मा का परमात्मा से मिलन महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि जब व्यक्ति अपने जीवनकाल में ही अपनी पवित्र आत्मा के माध्यम से परमसत्ता का अनुभव कर लेता है, तब उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस कार्यक्रम का आयोजन श्री सुनील कुमार पाठक जी की देखरेख में हुआ। मंच संचालन आदरणीय सुरेंद्र गुणवंदी और सुनंदा गावंडे जी ने किया। उनके द्वारा प्रस्तुत कविता और विचारों ने कार्यक्रम में एक खास ऊर्जा का संचार किया।
अंत में, इस कार्यक्रम में उपस्थित सभी साहित्यकारों और श्रोताओं ने मोक्ष की सही परिभाषा को समझा और इस दिशा में अपने कार्यों को सुधारने का संकल्प लिया। इस आयोजन ने न केवल आध्यात्मिक ज्ञान का प्रसार किया, बल्कि समाज में उत्कृष्ट सोच और नैतिक मूल्यों को भी बढ़ावा दिया।
कार्यक्रम के समाप्त होने पर सभी प्रतिभागियों ने आयोजकों को धन्यवाद दिया और इस तरह के आयोजन को समाज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताया।
What's Your Reaction?