Ranchi Traffic: राजधानी में हेलमेट नहीं पहनने पर चालान की बाढ़, 10 महीनों में ₹5.71 करोड़ वसूले
रांची में यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों पर ट्रैफिक पुलिस ने सख्ती बढ़ा दी है। हेलमेट न पहनने, रेड लाइट तोड़ने और ओवरस्पीडिंग पर 10 महीनों में ₹5.71 करोड़ के चालान काटे गए हैं। जानिए कैसे बदले नियम और उनकी सख्ती।
रांची के चौक-चौराहों पर अब बिना हेलमेट बाइक चलाना या पीछे बैठे सवारी के लिए भारी पड़ सकता है। यातायात नियमों के उल्लंघन पर ट्रैफिक पुलिस ने डिजिटल निगरानी को बढ़ावा दिया है। जनवरी से अक्टूबर तक के 10 महीनों में ट्रैफिक नियम तोड़ने वालों से ₹5.71 करोड़ का चालान वसूला गया है।
सीसीटीवी की पैनी नजर
शहर के मुख्य चौक-चौराहों पर लगाए गए सीसीटीवी कैमरों की मदद से चालान काटने का काम हो रहा है। हेलमेट न पहनने वाले पिलियन राइडर से लेकर रेड लाइट जंप, ओवरस्पीडिंग और रॉन्ग पार्किंग जैसे मामलों में भी चालान की संख्या में इजाफा हुआ है।
इतिहास में झांकें: ट्रैफिक नियमों की शुरुआत और सख्ती का दौर
भारत में यातायात नियमों की शुरुआत 20वीं सदी के मध्य में हुई थी। बढ़ते वाहनों और सड़क दुर्घटनाओं ने ट्रैफिक कानूनों को अनिवार्य बना दिया। 2019 में लागू मोटर व्हीकल एक्ट ने दंड के प्रावधानों को और कड़ा कर दिया। इसका असर अब छोटे शहरों जैसे रांची में भी दिख रहा है, जहां तकनीकी और मैन पावर का उपयोग ट्रैफिक नियम लागू करने में किया जा रहा है।
सबसे अधिक चालान बिना हेलमेट वालों का
रांची के ट्रैफिक एसपी के मुताबिक, सबसे ज्यादा चालान हेलमेट न पहनने वालों का काटा जा रहा है।
- पिलियन राइडर का चालान: बाइक पर पीछे बैठे व्यक्ति के लिए हेलमेट जरूरी है, लेकिन इसकी अनदेखी भारी पड़ रही है।
- रेड लाइट जंप: सिग्नल तोड़ने पर भी अब चालान में वृद्धि हुई है।
- ओवरस्पीडिंग और रॉन्ग पार्किंग: मुख्य बाजार और भीड़भाड़ वाले इलाकों में नियम तोड़ने वालों पर विशेष नजर रखी जा रही है।
केस स्टडी: चालान से परेशान लोग
कोकर चौक की कहानी
कोकर चौक पर रहने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि बाइक पर सात साल के बच्चे को बिना हेलमेट बैठाने पर भी चालान काटा गया। यह सुनकर कई लोग हैरान हैं कि अब छोटे बच्चों को भी इस नियम के दायरे में लाया जा रहा है।
बरियातू का मामला
बरियातू में स्कूल के पास एक व्यक्ति ने कहा, "घर पास में है, इसलिए हेलमेट नहीं पहनते। लेकिन सीसीटीवी ने चालान काट दिया।"
डिजिटल युग में ट्रैफिक नियम
अब चालान प्रक्रिया पहले से ज्यादा प्रभावी हो चुकी है।
- ऑनलाइन चालान: वाहन मालिकों को उनके पंजीकृत मोबाइल नंबर पर चालान की सूचना भेजी जाती है।
- मैनुअल से डिजिटल तक का सफर: पहले चालान मैनुअली काटे जाते थे, लेकिन अब डिजिटल तरीके से यह प्रक्रिया तेज और सटीक हो गई है।
ट्रैफिक पुलिस के मुताबिक, यह सिस्टम न केवल कानून का पालन सुनिश्चित करता है बल्कि शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को भी दुरुस्त करता है।
चालान में वृद्धि के कारण
- मैन पावर में इजाफा: पहले कम पुलिसकर्मी होने से कम चालान कटते थे।
- तकनीक का उपयोग: उन्नत सीसीटीवी कैमरे और ऑनलाइन सिस्टम ने प्रक्रिया को तेज कर दिया है।
- जागरूकता की कमी: लोग अब भी यातायात नियमों को गंभीरता से नहीं लेते।
क्या हो सकते हैं समाधान?
- जागरूकता अभियान: स्कूल-कॉलेज और सार्वजनिक स्थानों पर यातायात नियमों को लेकर जागरूकता बढ़ाई जानी चाहिए।
- सख्त नियम: बार-बार नियम तोड़ने वालों के लाइसेंस रद्द किए जाने चाहिए।
- सुरक्षा पर ध्यान: लोगों को यह समझना होगा कि हेलमेट या सीट बेल्ट पहनना उनकी सुरक्षा के लिए है।
रांची में बढ़ते चालान यह संकेत देते हैं कि शहर में यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। हालांकि, आम जनता को भी अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा। ट्रैफिक नियम केवल दंड के लिए नहीं, बल्कि जीवन बचाने के लिए हैं।
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