Dhanbad Drugs: नसों में घुल रहा ज़हर, भिखारियों से स्टूडेंट्स तक ड्रग पेडलर्स का शिकंजा

धनबाद में नशे का कारोबार खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका है। स्कूल-कॉलेज के छात्रों से लेकर कोलियरी क्षेत्र के युवाओं तक, ड्रग पेडलर्स का जाल तेजी से फैल रहा है। जानिए कैसे यह लत बढ़ रही है और इसके पीछे की वजह।

Dec 5, 2024 - 12:04
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Dhanbad Drugs: नसों में घुल रहा ज़हर, भिखारियों से स्टूडेंट्स तक ड्रग पेडलर्स का शिकंजा
Dhanbad Drugs: नसों में घुल रहा ज़हर, भिखारियों से स्टूडेंट्स तक ड्रग पेडलर्स का शिकंजा

धनबाद में नशे का कारोबार अब एक गंभीर समस्या बन चुका है। ड्रग पेडलर्स ने अपने जाल में गरीब भिखारियों से लेकर स्कूल-कॉलेज के छात्रों को भी फंसा लिया है। कोलियरी क्षेत्र के युवा भी अब इस लत का शिकार हो रहे हैं। यह स्थिति न केवल समाज के लिए खतरनाक है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के भविष्य पर भी गहरा असर डाल रही है।

फैशन बन रहा नशे का कारण

विशेषज्ञों के अनुसार, नशे की लत एक मानसिक और शारीरिक बीमारी है, लेकिन धनबाद के युवाओं के लिए यह अब फैशन बनता जा रहा है। पढ़ाई का तनाव, रोजगार की चिंता और परिवार से दूरी जैसे कारण युवाओं को इस खतरनाक रास्ते पर धकेल रहे हैं।

धनबाद में नशे का असर अब कोलियरी क्षेत्रों तक फैल चुका है। पहले यह सिर्फ शहरी इलाकों तक सीमित था, लेकिन अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी इसकी जड़ें गहरी हो चुकी हैं।

पुलिस और प्रशासन पर उठे सवाल

हेरोइन, गांजा और अन्य मादक पदार्थों की बिक्री खुलेआम हो रही है। भुली, पांडरपाला, वासेपुर, स्टेशन रोड, और हीरापुर जैसे इलाकों में हेरोइन की डिलीवरी तेजी से हो रही है। यहां तक कि स्कूल-कॉलेज के बाहर यह गिरोह उधार पर नशे का सामान उपलब्ध कराते हैं।

सरायढेला, बलियापुर रोड, निरसा, और कतरास जैसे इलाकों में भी मादक पदार्थों की बिक्री की खबरें सामने आ रही हैं। पान की दुकानों और चाय की टपरियों पर गांजा और हेरोइन चोरी-छिपे बेचे जा रहे हैं।

स्कूल-कॉलेज के छात्र बने मुख्य शिकार

ड्रग पेडलर्स स्कूल-कॉलेज के छात्रों को अपना प्रमुख ग्राहक बना रहे हैं। वे युवाओं को आकर्षित करने के लिए उधार में ड्रग्स देते हैं और बाद में पैसे की वसूली करते हैं।

गांजे की डिमांड सबसे अधिक बढ़ी है। यहां तक कि छोटे कस्बों और ग्रामीण बाजारों में भी गांजा आसानी से उपलब्ध हो रहा है।

झारखंड में नशे का इतिहास

झारखंड के कोलियरी क्षेत्रों में नशे का चलन कई वर्षों से मौजूद है। कोयला खदानों में काम करने वाले मजदूरों से लेकर गरीब वर्ग तक, नशे की लत ने कई परिवार तबाह किए हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, झारखंड में हर साल मादक पदार्थों के सेवन से संबंधित अपराध और मौतें बढ़ रही हैं।

धनबाद में बढ़ते नशे के कारोबार ने प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। पुलिस की सक्रियता की कमी और स्थानीय प्रशासन की उदासीनता ने ड्रग पेडलर्स को हौसला दिया है।

समाज के लिए खतरा

धनबाद में नशे का बढ़ता कारोबार न केवल युवाओं को बर्बाद कर रहा है, बल्कि यह पूरे समाज के लिए खतरा बनता जा रहा है। कमजोर कानून व्यवस्था और जागरूकता की कमी ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है।

नशे के खिलाफ सख्त कदम उठाने की जरूरत है। पुलिस और प्रशासन को मिलकर इस समस्या से निपटने के लिए प्रभावी रणनीति बनानी होगी। साथ ही, अभिभावकों को भी अपने बच्चों के साथ समय बिताने और उनकी गतिविधियों पर नजर रखने की जरूरत है।

क्या किया जा सकता है?

  1. सख्त कानून: नशे के कारोबारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
  2. जागरूकता अभियान: स्कूल-कॉलेजों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए।
  3. परिवार का समर्थन: अभिभावकों को बच्चों के साथ संवाद बढ़ाना चाहिए।
  4. पुलिस की सक्रियता: संदिग्ध इलाकों में पुलिस की गश्त बढ़ाई जानी चाहिए।

धनबाद में नशे के खिलाफ लड़ाई तभी जीती जा सकती है, जब समाज, पुलिस, और प्रशासन मिलकर कदम उठाएं। आने वाली पीढ़ी को बचाने के लिए अब कार्रवाई का समय है।

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