Nirmal Mahato tribute: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शहीद निर्मल महतो की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया, 74वीं जयंती पर दी श्रद्धांजलि

झारखंड आंदोलन के महान नेता शहीद निर्मल महतो की 74वीं जयंती पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। जानिए इस खास अवसर पर मुख्यमंत्री ने क्या कहा और निर्मल महतो के योगदान को कैसे याद किया जा रहा है।

Dec 25, 2024 - 14:21
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Nirmal Mahato tribute: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शहीद निर्मल महतो की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया, 74वीं जयंती पर दी श्रद्धांजलि
Nirmal Mahato tribute: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शहीद निर्मल महतो की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया, 74वीं जयंती पर दी श्रद्धांजलि

झारखंड के आंदोलन के महानायक शहीद निर्मल महतो की 74वीं जयंती पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रांची के शहीद निर्मल महतो चौक में उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने शहीद निर्मल महतो के योगदान को याद करते हुए कहा, “निर्मल दादा के सपनों को पूरा करना है। इनके विचारों के साथ जनता को साथ लेकर राज्य के विकास की दिशा में काम करना है।”

निर्मल महतो का योगदान और उनकी अमर धरोहर

निर्मल महतो का नाम झारखंड के इतिहास में हमेशा के लिए अमर रहेगा। उनकी निस्वार्थ संघर्ष और समर्पण की वजह से ही झारखंड राज्य की पहचान बनी। झारखंड आंदोलन की जड़ें निर्मल महतो के संघर्षों से जुड़ी हुई हैं, जिन्होंने न सिर्फ अपनी जान की आहुति दी, बल्कि हजारों लोगों को एकजुट किया। यही कारण है कि उनकी जयंती हर साल बड़े धूमधाम से मनाई जाती है और राज्य की जनता उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करती है।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस अवसर पर कहा, “इन नेताओं की वजह से ही राज्य अलग हो सका। इनकी शहादत और संघर्ष को कभी भुलाया नहीं जा सकता। आज भी हर साल हम उन्हें याद करते हैं, और जब तक झारखंड रहेगा, निर्मल महतो का नाम अमर रहेगा।”

क्यों खास है शहीद निर्मल महतो की जयंती?

निर्मल महतो की जयंती हर साल सिर्फ एक सरकारी कार्यक्रम नहीं होती, बल्कि यह दिन झारखंडी जनता के लिए एक विशेष अर्थ रखता है। शहीद निर्मल महतो का योगदान सिर्फ राज्य की स्वतंत्रता में नहीं था, बल्कि उन्होंने झारखंडी संस्कृति, भाषा और अस्मिता की रक्षा के लिए भी कई संघर्ष किए। उनका सपना था कि झारखंडी जनजीवन और संस्कृतियों को एक नया पहचान मिले। यह जयंती उन्हें उन संघर्षों के लिए याद करने का दिन है, जिन्होंने झारखंड को एक नई दिशा दी।

हेमंत सोरेन ने क्या कहा?

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मौके पर राज्य की जनता से अपील की कि निर्मल महतो के विचारों को अपनाएं और उनकी दी गई शहादत को सम्मानित करें। “हम सबका कर्तव्य है कि हम उनके सपनों को साकार करें। जब तक झारखंड रहेगा, तब तक निर्मल महतो का नाम हमें याद रहेगा।” मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि झारखंड के हर कार्यकर्ता के दिल में निर्मल महतो के लिए श्रद्धा और सम्मान है।

निर्मल महतो का इतिहास: कैसे बने झारखंड के आंदोलन के नायक

निर्मल महतो का जन्म 1954 में हुआ था। वह एक किसान परिवार से थे, और अपने जीवन के पहले वर्षों में ही उन्होंने राज्य के शोषण और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना शुरू कर दिया था। 1970 के दशक में उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) से जुड़कर राज्य के अलग होने की मांग की थी। उनका नेतृत्व और संघर्ष झारखंड आंदोलन के प्रमुख स्तंभ बने, और उन्होंने झारखंड के अलग राज्य बनने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

निर्मल महतो की शहादत 1987 में हुई थी, जब पुलिस ने उन पर गोलीबारी की थी। उनकी मौत ने आंदोलन को और तेज किया और अंततः 2000 में झारखंड को अलग राज्य का दर्जा मिला।

राज्य के विकास के लिए मुख्यमंत्री का संदेश

मुख्यमंत्री ने राज्य के विकास की दिशा में कार्यकर्ताओं को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि झारखंड की तरक्की में निर्मल महतो की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। उनका सपना था कि झारखंड को एक समृद्ध, शांतिपूर्ण और समावेशी राज्य बनाया जाए, जहां हर एक व्यक्ति को बराबरी का अधिकार मिले।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर यह भी कहा कि राज्य सरकार इसी दिशा में काम कर रही है और जल्द ही ऐसे योजनाओं का आरंभ होगा, जो झारखंड की जनता के जीवन स्तर को ऊंचा उठाएंगे।

निर्मल महतो की जयंती केवल एक ऐतिहासिक दिन नहीं है, बल्कि यह एक मौका है जब हम अपने संघर्षों और सपनों को पुनः जिंदा करते हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का संदेश स्पष्ट था—झारखंड को एक सशक्त राज्य बनाने के लिए हमें उनके सपनों को पूरा करना है। जब तक झारखंड रहेगा, निर्मल महतो का नाम अमर रहेगा

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।