Ranchi Protest : हेमंत सरकार की अपील खारिज, भाजपा नेताओं को मिली बड़ी राहत
झारखंड में भाजपा नेताओं को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली। जानिए क्यों हेमंत सोरेन सरकार की अपील को खारिज किया गया और इस फैसले ने झारखंड की राजनीति में क्या तूफान मचाया।
झारखंड की राजनीति में एक नई करवट तब आई जब सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की अपील को खारिज कर दिया और भाजपा के कई बड़े नेताओं को राहत दी। यह मामला उस समय का है जब झारखंड के धुर्वा थाने में भाजपा के कई नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। अब, तीन साल बाद, सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिया कि झारखंड हाईकोर्ट का आदेश बरकरार रहेगा, जिसमें उन नेताओं के खिलाफ मामला खारिज कर दिया गया था।
क्यों हुआ था यह विवाद?
यह घटना अप्रैल 2023 में घटी, जब पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, रघुवर दास, अर्जुन मुंडा, सांसद संजय सेठ, और निशिकांत दुबे समेत भाजपा के कई नेता प्रदर्शन करने के लिए धुर्वा थाने के पास पहुंचे थे। उनके विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए पुलिस ने बैरिकेडिंग की थी, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेडिंग तोड़ दी थी। इसके बाद, पुलिस ने उन नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार ने इस मामले में हस्तक्षेप की याचिका दायर की थी, लेकिन जस्टिस अभय एस. ओका और उज्जल भुइयां की पीठ ने साफ तौर पर यह कहा कि धारा 144 का दुरुपयोग हो रहा है। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि विरोध करना ही है, तो निषेधाज्ञा क्यों लागू की जाती है? कोर्ट के इस फैसले ने दिखा दिया कि सरकार की ओर से किए गए प्रशासनिक कदमों पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
राजनीतिक ड्रामा: बाबूलाल मरांडी का आरोप
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने इस फैसले के बाद झारखंड सरकार पर कड़ा निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि हेमंत सोरेन सरकार ने भ्रष्टाचार के जरिए युवाओं के रोजगार के अवसरों को खा लिया। उन्होंने दावा किया कि पिछले दो सालों में राज्य में रिक्त पदों की संख्या 4.66 लाख से घटकर अब महज 1.59 लाख रह गई है, और यह सब बिना किसी परीक्षा के हुआ।
क्या यह केवल एक राजनीतिक झटका था?
यहां से जो राजनीतिक माहौल बनता है, वह केवल भाजपा और हेमंत सोरेन सरकार के बीच का संघर्ष नहीं बल्कि झारखंड के विकास, रोजगार, और सरकार की नीतियों पर गंभीर सवाल खड़े करता है। इस मामले ने न केवल झारखंड की राजनीति को गरमाया है, बल्कि राज्य सरकार की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए हैं।
आखिर क्या है आगामी घटनाक्रम?
अब सवाल यह उठता है कि झारखंड के राजनीतिक परिदृश्य में यह मामला कैसे नया मोड़ लेगा। भाजपा नेता और राज्य सरकार दोनों ही अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए अगली रणनीति क्या अपनाएंगे? क्या हेमंत सोरेन के खिलाफ भाजपा का हमला तेज होगा या फिर यह मामले सिर्फ राजनीति के साधन बनकर रह जाएंगे?
इस फैसले ने झारखंड की राजनीति में हलचल मचा दी है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी दिनों में इस पर क्या असर पड़ेगा। फिलहाल, भाजपा नेताओं को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल चुकी है, लेकिन क्या सरकार इसका राजनीतिक फायदा उठाएगी या इस मामले को शांत करने के प्रयास करेगी, यह तो वक्त ही बताएगा।
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