Jamsheshpur Scam Exposed: कंबल वितरण में गड़बड़ी! विधायक सरयू राय ने सीएम हेमंत सोरेन को लिखा पत्र

जमशेदपुर में कंबल वितरण घोटाले का खुलासा, विधायक सरयू राय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर की जांच की मांग। जानें पूरा मामला।

Jan 17, 2025 - 13:26
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Jamsheshpur Scam Exposed: कंबल वितरण में गड़बड़ी! विधायक सरयू राय ने सीएम हेमंत सोरेन को लिखा पत्र
Jamsheshpur Scam Exposed: कंबल वितरण में गड़बड़ी! विधायक सरयू राय ने सीएम हेमंत सोरेन को लिखा पत्र

जमशेदपुर। ठंड के मौसम में गरीबों को राहत पहुंचाने के लिए राज्य के सामाजिक सुरक्षा विभाग ने 30 करोड़ रुपये के कंबल खरीदे थे। लेकिन अब इस योजना में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। कंबलों की गुणवत्ता और वजन को लेकर सवाल उठने लगे हैं। इसे लेकर जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।

क्या है पूरा मामला?

सामाजिक सुरक्षा विभाग द्वारा हरियाणा, पानीपत और धनबाद के प्रतिष्ठानों से ठंड के मद्देनजर 30 करोड़ रुपये के कंबल खरीदे गए थे। निविदा की शर्तों के मुताबिक, कंबलों में 70% ऊन और 30% सिंथेटिक धागे होने चाहिए थे। लेकिन सरयू राय का आरोप है कि अधिकांश कंबलों में केवल 35-40% ऊन ही पाया गया।

कंबल वितरण में गड़बड़ी के मुख्य बिंदु:

  • वजन में कमी: धुलाई के बाद कंबल का वजन 2 किलो होना चाहिए, लेकिन वास्तविक वजन काफी कम पाया गया।
  • क्वालिटी में गड़बड़ी: ऊन की मात्रा 70% होनी चाहिए थी, लेकिन सिर्फ 35-40% ऊन ही मिला।
  • पुराने धागों का उपयोग: कंबलों में पॉलिएस्टर धागे की जगह पुराने कपड़ों के धागे का उपयोग किया गया।
  • निविदा शर्तों का उल्लंघन: शर्तों के अनुसार हैंडलूम निर्मित कंबल होने चाहिए थे, लेकिन सभी पावरलूम से तैयार किए गए हैं।

विधायक सरयू राय ने क्या कहा?

सरयू राय ने अपने पत्र में सीएम हेमंत सोरेन से मांग की है कि प्रत्येक जिले के ग्रामीण इलाकों में वितरित किए जा रहे कंबलों का सैंपल लेकर उनकी जांच करवाई जाए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि 10% कंबल निविदा के अनुरूप हैं, जबकि 90% कंबल घटिया गुणवत्ता के हैं।

कंबल वितरण घोटाले का ऐतिहासिक संदर्भ

झारखंड में सरकारी योजनाओं में गड़बड़ी की घटनाएं पहले भी सामने आती रही हैं। 2017 के राशन कार्ड घोटाले और 2021 के छात्रवृत्ति घोटाले की तरह यह मामला भी राज्य में भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। गरीबों के हक को इस तरह छीना जाना प्रशासन की विफलता को दर्शाता है।

क्या होनी चाहिए कार्रवाई?

  • सभी जिलों में कंबल की जांच हो।
  • गड़बड़ी करने वाले ठेकेदारों पर कानूनी कार्रवाई।
  • शेष कंबलों की गुणवत्ता सुधारकर पुनः वितरण।

गरीबों के लिए खरीदे गए 30 करोड़ के कंबल घोटाले ने एक बार फिर प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस मामले में क्या कदम उठाते हैं। क्या दोषियों पर कार्रवाई होगी या मामला यूं ही ठंडे बस्ते में चला जाएगा?

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।