प्रयागराज में पौष पूर्णिमा के शुभ अवसर पर महाकुंभ मेला आज से भव्य रूप में शुरू हो चुका है। संगम तट पर देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा है। साधु-संतों और श्रद्धालुओं ने पावन संगम में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित किया। इसी आध्यात्मिक माहौल में एक नाम सुर्खियों में छाया रहा – Apple के दिवंगत सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स।
लॉरेन पॉवेल का आध्यात्मिक सफर
लॉरेन पॉवेल सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति के प्रति अपनी गहरी आस्था के चलते महाकुंभ में शामिल होने के लिए प्रयागराज पहुंची हैं। इससे पहले उन्होंने वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन किए थे। बताया जा रहा है कि उन्होंने अपने गुरु स्वामी कैलाशानंद गिरि जी महाराज के सानिध्य में पूजन किया।
स्वामी कैलाशानंद, जो निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर हैं, ने लॉरेन की अध्यात्मिक रुचि को देखते हुए उन्हें अच्युत गोत्र में दीक्षित करते हुए नया नाम 'कमला' दिया है। स्वामी ने बताया, "लॉरेन मुझे पिता समान मानती हैं और मैं उन्हें बेटी की तरह देखता हूं।"
महाकुंभ में संत जीवन अपनाएंगी लॉरेन
लॉरेन पॉवेल 14 जनवरी को मकर संक्रांति और 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दौरान होने वाले शाही स्नान में भाग लेंगी। दिलचस्प बात यह है कि दुनिया के सबसे अमीर परिवारों में से एक से ताल्लुक रखने वाली लॉरेन महाकुंभ के दौरान संन्यासी जीवन अपनाकर अपने गुरु के शिविर में रहेंगी।
स्वामी कैलाशानंद ने जानकारी दी कि लॉरेन सिर्फ ध्यान और साधना के लिए भारत आई हैं। महाकुंभ मेले में उनका रहन-सहन साधु-संतों की तरह ही रहेगा।
लॉरेन पॉवेल का सनातन धर्म से जुड़ाव
लॉरेन पॉवेल का भारतीय संस्कृति से जुड़ाव कोई नई बात नहीं है। उनके दिवंगत पति स्टीव जॉब्स भी आध्यात्मिक खोज के लिए भारत आए थे और नीम करोली बाबा के अनुयायी माने जाते हैं। यह माना जाता है कि भारत यात्रा के बाद ही स्टीव जॉब्स ने Apple जैसी क्रांतिकारी कंपनी की नींव रखी थी।
लॉरेन की भारत यात्रा भी उसी आध्यात्मिक खोज का हिस्सा है।
वाराणसी में हुई थी पूजा
महाकुंभ से पहले लॉरेन ने वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन किए। हालांकि, मंदिर प्रशासन के नियमों के अनुसार उन्हें शिवलिंग के सीधे दर्शन नहीं कराए गए, बल्कि बाहर से दर्शन करवाए गए।
महाकुंभ का ऐतिहासिक महत्व
महाकुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक समागम है, जो हर 12 साल में प्रयागराज में आयोजित होता है। इसका ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व समुद्र मंथन की कथा से जुड़ा है, जहां अमृत कलश से बूंदें धरती पर गिरी थीं। उसी के प्रतीक स्वरूप यह आयोजन होता है।
लॉरेन के आगमन का महत्व
लॉरेन पॉवेल जैसी अंतरराष्ट्रीय हस्ती का महाकुंभ में आना न सिर्फ भारतीय संस्कृति की वैश्विक पहचान को दर्शाता है, बल्कि सनातन धर्म के प्रति दुनिया भर में बढ़ते आकर्षण का भी प्रतीक है।