Nawada Protest: न्याय की आस में परिवार सहित समाहरणालय पर अनशन, आत्मदाह की दी चेतावनी
नवादा के महेशपुर-बकसोती गांव के दुलार यादव ने परिवार सहित समाहरणालय पर आमरण अनशन शुरू किया। जानें, क्यों न्याय की गुहार के बाद भी प्रशासन ने नहीं सुनी फरियाद और क्या है पूरा मामला।
नवादा, 7 दिसंबर 2024: जिले के उग्रवाद प्रभावित थाली थाना क्षेत्र के महेशपुर-बकसोती गांव के रहने वाले दुलार यादव ने न्याय की गुहार लगाते-लगाते थककर आखिरकार समाहरणालय गेट पर परिवार सहित आमरण अनशन शुरू कर दिया। उनका आरोप है कि पुलिस और प्रशासन की मिलीभगत से दबंगों ने उन्हें झूठे हत्या के मामले में फंसा दिया और जेल भेजवा दिया।
अनशन पर क्यों बैठे दुलार यादव?
दुलार यादव ने आरोप लगाया कि दो साल पहले, गांव के दबंगों ने उन्हें और उनके परिवार के 8 अन्य सदस्यों को एक युवक की हत्या के झूठे मामले में फंसा दिया। इसके बाद उनका पूरा परिवार जेल चला गया। जेल जाने के बाद, दबंगों ने उनके घर में घुसकर खिड़की-दरवाजे तोड़ दिए और घर का सारा सामान और संपत्ति लूट ली।
जमानत पर रिहा होने के बाद, दुलार यादव जब घर लौटे तो उन्होंने अपने घर को पूरी तरह खाली और बर्बाद पाया। गांव छोड़ने पर मजबूर हुए इस परिवार ने डीएम और एसपी से न्याय की गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। थक-हारकर, दुलार यादव ने परिवार सहित आमरण अनशन का रास्ता अपनाया।
अनशन का दूसरा दिन, आत्मदाह की धमकी
आमरण अनशन का यह दूसरा दिन है। दुलार यादव ने स्पष्ट कहा है कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलेगा, तब तक उनका अनशन जारी रहेगा। यहां तक कि अगर प्रशासन ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो वह परिवार सहित आत्मदाह करने को मजबूर होंगे।
घटना की पृष्ठभूमि और प्रशासन की चुप्पी
यह मामला महेशपुर-बकसोती गांव से जुड़ा है, जो उग्रवाद प्रभावित इलाका है। यहां के निवासी वर्षों से दबंगों और प्रशासनिक उदासीनता के शिकार रहे हैं।
दुलार यादव का कहना है कि उन्होंने बार-बार पुलिस और अधिकारियों के दरवाजे खटखटाए, लेकिन कहीं से न्याय नहीं मिला। इस बीच, उनके परिवार ने अपमान और सामाजिक बहिष्कार सहा। प्रशासन की निष्क्रियता ने दुलार यादव को इस कठोर कदम के लिए मजबूर कर दिया।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
इस अनशन ने स्थानीय निवासियों के बीच आक्रोश पैदा कर दिया है। लोगों का कहना है कि प्रशासन की लापरवाही और दबंगों की दहशत ने आम लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है।
कानूनी व्यवस्था पर सवाल
यह मामला केवल व्यक्तिगत विवाद का नहीं, बल्कि कानून व्यवस्था और प्रशासनिक जिम्मेदारी पर भी सवाल उठाता है। अगर प्रशासन ने समय रहते कार्रवाई की होती, तो शायद यह स्थिति नहीं आती।
दुलार यादव की मांग
दुलार यादव की मांग है कि:
- दबंगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।
- उनके घर और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
- झूठे मामले में उन्हें और उनके परिवार को फंसाने वालों को सजा दी जाए।
- उन्हें और उनके परिवार को पुनर्वास और मुआवजा दिया जाए।
क्या करेगा प्रशासन?
इस घटना ने प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए, तो यह मामला और बड़ा रूप ले सकता है।
नवादा के इस घटनाक्रम ने न्याय व्यवस्था की खामियों को उजागर किया है। आमरण अनशन जैसे कठोर कदम उठाने से पहले ही प्रशासन को पीड़ितों की समस्याओं का समाधान करना चाहिए। अब देखना यह है कि क्या दुलार यादव और उनके परिवार को न्याय मिलता है या उन्हें अपनी जान गंवाकर न्याय की लड़ाई लड़नी पड़ेगी।
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