नवादा, 15 दिसंबर 2024: न्यायालयों के बोझ को कम करने और सुलहनीय मामलों का त्वरित समाधान करने के लिए नवादा के व्यवहार न्यायालय में National Lok Adalat का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकार, नवादा आशुतोष कुमार झा, जिलाधिकारी रवि प्रकाश, और पुलिस अधीक्षक अभिनव धीमान ने दीप प्रज्वलित कर किया।
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के निर्देश और बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, पटना के मार्गदर्शन में आयोजित इस लोक अदालत में पक्षकारों को सुलह के आधार पर न्याय दिया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य न्यायालयों पर बढ़ते मामलों के बोझ को कम करना और संविधान के अनुच्छेद 39A के तहत समान न्याय और निःशुल्क कानूनी सहायता को लागू करना था।
लोक अदालत: न्यायालयों की बढ़ती चुनौती का समाधान
लोक अदालत की शुरुआत का इतिहास 1980 के दशक से जुड़ा है, जब पहली बार गुजरात में इसे शुरू किया गया था। इसके बाद 1987 में कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम (Legal Services Authorities Act) लागू हुआ, जिसने इसे देशभर में एक सशक्त माध्यम बना दिया। यह न्यायिक प्रक्रिया का एक ऐसा रूप है, जहां विवादित पक्ष आपसी सहमति से समाधान करते हैं।
जिला एवं सत्र न्यायाधीश आशुतोष कुमार झा ने अपने संबोधन में कहा, "लोक अदालत का मकसद यही है कि कोई भी पक्षकार निराश न लौटे।" उन्होंने बताया कि यहां वादों का निपटारा इस तरह किया जाता है कि न केवल न्याय मिलता है, बल्कि समय और धन की बचत भी होती है।
जिलाधिकारी रवि प्रकाश ने अपने संबोधन में संविधान के अनुच्छेद 39A का उल्लेख करते हुए कहा, "राष्ट्रीय लोक अदालत भारतीय न्यायिक प्रणाली में समान न्याय और निःशुल्क कानूनी सहायता प्रदान करने का सशक्त माध्यम है। इससे न्यायालयों पर अतिरिक्त भार भी नहीं बढ़ता है।"
सचिव का नजरिया और नतीजे
सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार कुमारी सरोज कीर्ति ने बताया कि लोक अदालत के माध्यम से विवादों का समाधान सबसे सरल और प्रभावी तरीका है। यहां सुलह के आधार पर न्याय दिया जाता है, जिससे वादी और प्रतिवादी दोनों संतुष्ट होकर लौटते हैं।
आज आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 713 मामलों का निपटारा किया गया, जिसमें 370 मामले सुलह योग्य न्यायालय आधारित थे और 343 मामले प्री-लिटिगेशन (वित्तीय) से जुड़े थे। यह आंकड़ा स्पष्ट रूप से दिखाता है कि लोक अदालत विवाद समाधान का कितना प्रभावी तरीका है।
लोक अदालत का महत्व
राष्ट्रीय लोक अदालत वर्ष में चार बार आयोजित की जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य है कि लंबित मामलों को सुलझाने में तेजी लाई जाए और साथ ही पक्षकारों को महंगे और लंबी प्रक्रियाओं से बचाया जाए।
पुलिस अधीक्षक अभिनव धीमान ने कहा कि यह मंच विवादित पक्षों को बातचीत और सहमति के जरिए समाधान का अवसर देता है। लोक अदालत न केवल विवादों को सुलझाने का मंच है, बल्कि यह जनता के बीच न्यायपालिका में विश्वास को भी मजबूत करती है।
जनता की प्रतिक्रिया
इस आयोजन में भाग लेने वाले पक्षकारों ने भी लोक अदालत की सराहना की। एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा, "यह प्रक्रिया बहुत सरल और सुलभ है। हमें जल्द न्याय मिला और समय की भी बचत हुई।"
क्या है लोक अदालत का भविष्य?
राष्ट्रीय लोक अदालत भारतीय न्यायिक प्रणाली को अधिक प्रभावी और सुलभ बनाने की दिशा में एक अनोखी पहल है। जैसे-जैसे लोगों में इसकी जागरूकता बढ़ रही है, यह न्यायालयों पर बोझ कम करने और जनता को त्वरित न्याय प्रदान करने में सफल हो रही है।
नवादा की यह लोक अदालत एक बार फिर से साबित करती है कि आपसी सहमति और बातचीत से बड़ी से बड़ी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।