Anandpur Suicide Note: ‘तुम्हें नहीं पा सका, मैं जा रहा हूं’… इमली के पेड़ से मिला युवक का सन्देश और अधूरी दास्तां!
आनंदपुर शहरी क्षेत्र में एक युवक का शव इमली के पेड़ से लटका मिला। जेब से मिला भावनात्मक नोट, परिजनों ने किया प्रेम प्रसंग से इनकार। क्या है इस रहस्यमयी घटना के पीछे की कहानी?

आनंदपुर, पश्चिमी सिंहभूम: झारखंड के आनंदपुर शहरी क्षेत्र की सुबह एक रहस्यमयी घटना के साथ शुरू हुई, जिसने पूरे मोहल्ले को सन्न कर दिया। 25 वर्षीय मृत्युंजय नायक उर्फ पीकू, जो सामान्य दिनों की तरह शनिवार रात तक दोस्तों के साथ मौज-मस्ती कर रहा था, अगली सुबह अपने ही घर के पीछे इमली के पेड़ से मृत अवस्था में पाया गया।
घटना रविवार सुबह करीब 4 बजे की है, जब मोहल्ले वालों की नजर उस इमली के पेड़ पर पड़ी जो कुम्हार टोला में स्थित है। शव झूलता देख तुरंत आनंदपुर थाना पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस मौके पर पहुंची और पंचनामा की कार्रवाई के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए चक्रधरपुर अस्पताल भेजा गया।
जेब से मिला भावनाओं से भरा अधूरा संदेश
मृत्युंजय की पैंट की जेब से पुलिस को एक कागज मिला, जिसमें लिखा था —
"तुम्हें नहीं पा सका, मैं जा रहा हूं…"
इसके साथ ही उसमें कुछ अधूरी पंक्तियां भी थीं जो प्रेम संबंधों की ओर इशारा कर रही थीं।
हालांकि, सबसे चौंकाने वाली बात ये रही कि मृतक के परिजनों ने किसी भी प्रकार के प्रेम प्रसंग या पारिवारिक तनाव से साफ इनकार किया है। परिजनों के मुताबिक, "पीकू" हमेशा खुशमिजाज और सामाजिक स्वभाव का था। उसे लेकर किसी ने ऐसी कोई संभावना भी नहीं जताई थी।
क्या ये कोई अधूरी प्रेम कहानी थी?
पुलिस के हाथ लगे इस नोट से यह संकेत मिल रहा है कि पीकू के जीवन में कोई अनकही दास्तान रही होगी, जो शायद केवल वही जानता था। “तुम्हें नहीं पा सका…” जैसी भावनात्मक पंक्तियां किसी गहरे प्रेम की ओर इशारा करती हैं।
लेकिन अगर परिजन इसकी पुष्टि नहीं कर रहे, तो क्या ये एकतरफा भावनाएं थीं? या फिर कोई ऐसी कहानी जो कभी शुरू ही नहीं हो पाई?
ये सवाल अब पुलिस जांच का हिस्सा बन चुके हैं और पीकू की कॉल डिटेल्स, सोशल मीडिया गतिविधियों और दोस्तों से पूछताछ के बाद ही सच्चाई सामने आ सकती है।
आनंदपुर की शांत फिजा में गूंज रही है खामोशी
आनंदपुर, जो आमतौर पर एक शांत और सामूहिक जीवन जीने वाला कस्बा है, वहां इस तरह की घटनाएं विरले ही सामने आती हैं। इस मामले ने न केवल इलाके को झकझोर दिया है, बल्कि युवाओं की भावनात्मक स्थिति पर भी सवाल खड़े किए हैं।
इस तरह की घटनाएं यह दर्शाती हैं कि कई बार युवा अपने जीवन में चल रही मानसिक परेशानियों को व्यक्त नहीं कर पाते। विशेषज्ञों का मानना है कि भावनात्मक संवाद की कमी, सामाजिक दबाव और आत्म-प्रतीक मूल्य में गिरावट ऐसे कदमों का कारण बन सकती है।
जरूरी है कि समाज, परिवार और संस्थाएं ऐसे युवाओं के लिए संवाद के अवसर और मानसिक स्वास्थ्य के समर्थन के लिए खुले रास्ते दें।
पीकू की कहानी अधूरी रह गई — शायद एक अनकही मोहब्बत, या एक अज्ञात तनाव, जिसने उसे खुद से दूर कर दिया। आनंदपुर की सुबह अब उस इमली के पेड़ के नीचे कुछ देर रुक जाती है… शायद उस सवाल के जवाब के इंतज़ार में — “क्यों?”
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