Manoharpur Naxal Operation: जंगल के सीने से निकली 5 किलो IED, सुरक्षा बलों को मिली नक्सल नेटवर्क को तोड़ने वाली बड़ी कामयाबी!
पश्चिमी सिंहभूम के मनोहरपुर में सुरक्षा बलों ने जंगल में चलाए सर्च ऑपरेशन के दौरान 5 किलो की IED बरामद की और नक्सलियों के बंकरों को किया ध्वस्त। जानिए ऑपरेशन से जुड़ी पूरी डिटेल।

मनोहरपुर, पश्चिमी सिंहभूम: झारखंड के घने जंगलों में नक्सल विरोधी अभियान ने एक और बड़ी सफलता हासिल की है। मनोहरपुर प्रखंड के जराइकेला थाना क्षेत्र के बाबूडेरा जंगल में रविवार को सुरक्षा बलों की टीम ने तलाशी अभियान के दौरान 5 किलो वजनी आईईडी बरामद कर उसे सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया। इसके साथ ही, भारी मात्रा में नक्सलियों के उपयोग की सामग्री और दस्तावेजों को भी जब्त किया गया है।
इस ऑपरेशन की जानकारी पुलिस अधीक्षक आशुतोष शेखर ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से साझा की।
Babudera जंगल में था नक्सलियों का प्लान
पुलिस को खुफिया सूचना मिली थी कि बाबूडेरा के जंगल में नक्सलियों ने सुरक्षाबलों को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से आईईडी लगाया है। इस सूचना के आधार पर शुरू हुए सर्च ऑपरेशन में न केवल IED को बरामद किया गया, बल्कि उसे मौके पर ही निष्क्रिय भी कर दिया गया।
यह ऑपरेशन सिर्फ एक बम तक सीमित नहीं था। टीम को नक्सलियों के तीन बंकर भी मिले, जिन्हें मौके पर ध्वस्त कर दिया गया। बंकरों से मिले सामान यह संकेत देते हैं कि वहां नक्सलियों की सक्रियता बनी हुई थी और वे किसी बड़ी तैयारी में थे।
क्या-क्या मिला जंगल से?
इस ऑपरेशन के दौरान जो वस्तुएं बरामद हुईं, उनमें शामिल हैं:
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एक इलेक्ट्रॉनिक डेटोनेटर
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दो पिट्ठू बैग
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नक्सली झंडा, बैनर, वर्दी
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प्रिंटर, पोस्टर और दस्तावेज
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मैन्युअल हैंड ड्रिल, रेडियो, बोल्ट कटर
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पटाखे, बेल्ट, मल्टीमीटर
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सात जोड़ी जूते, चार चप्पलें
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कपड़े (टी-शर्ट, ट्राउजर, टोपी)
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चार्जर, मच्छरदानी, पेंट केन व ब्रश
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जीवन रक्षक दवाइयां और दैनिक उपयोग की सामग्री
ये सभी चीजें नक्सलियों के एक संगठित बेस की मौजूदगी को दर्शाती हैं, जो कि जंगल में लंबे समय से ऑपरेट कर रहा था।
4 मार्च से चल रहा है ऑपरेशन
पुलिस अधीक्षक ने जानकारी दी कि 4 मार्च 2025 से सुरक्षा बलों की ओर से सारंडा और कोल्हान के जंगलों में निरंतर नक्सल विरोधी अभियान चलाया जा रहा है। यह अभियान न केवल नक्सल प्रभाव वाले क्षेत्रों को सुरक्षित करने के लिए है, बल्कि युवाओं को भटकाव से बचाने के लिए भी आवश्यक कदम है।
क्या कहती है झारखंड की नक्सल इतिहास?
झारखंड एक समय नक्सल गतिविधियों का गढ़ माना जाता था, लेकिन हाल के वर्षों में पुलिस और अर्धसैनिक बलों की लगातार कार्रवाइयों ने उनके नेटवर्क को धीरे-धीरे कमजोर किया है। मनोहरपुर और सारंडा जैसे इलाके, जो कभी नक्सलियों के ‘सेफ जोन’ माने जाते थे, अब सुरक्षा बलों के लिए ऑपरेशनल फ्रंट बन चुके हैं।
यह ऑपरेशन एक बार फिर इस बात का संकेत है कि झारखंड अब नक्सलियों के लिए पहले जैसा आसान इलाका नहीं रहा। सुरक्षा बलों की सतर्कता और मजबूत प्लानिंग से नक्सल नेटवर्क में सेंध लगाई जा रही है।
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