Nawada Crisis: खाद की किल्लत से परेशान किसान, गेहूं की बुआई पर संकट
नवादा जिले में खाद की भारी किल्लत ने किसानों को संकट में डाल दिया है। घंटों लाइन में खड़े रहने के बावजूद यूरिया और डीएपी की कमी ने गेहूं की बुआई पर असर डाला है।
Nawada Crisis: खाद की किल्लत और परेशान किसान
नवादा जिले के किसानों के लिए इस बार का रबी सीजन मुश्किलों भरा साबित हो रहा है। गेहूं की बुआई के चरम समय में खाद की भारी किल्लत ने किसानों की परेशानियां बढ़ा दी हैं। किसान बिस्कोमान भवन के सामने घंटों लंबी कतारों में खड़े होकर खाद खरीदने की कोशिश कर रहे हैं।
इस समय जिले में यूरिया और डीएपी की जबरदस्त मांग है। किसानों का कहना है कि बुआई और पटवन के लिए खाद उपलब्ध न होने से उनकी मेहनत पर पानी फिर सकता है।
खाद की किल्लत: खेती पर गहरा संकट
धान की कटाई और गेहूं की बुआई का यह समय कृषि के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
- डीएपी और यूरिया की मांग: किसानों को पटवन और बुआई के लिए खाद की सख्त जरूरत है।
- लंबी कतारें: बिस्कोमान में सुबह से ही सैकड़ों किसान खाद के लिए लाइन लगाते हैं।
- सीमित वितरण: प्रति किसान केवल दो बैग खाद मिल रहा है, जो बड़े किसानों के लिए पर्याप्त नहीं है।
इतिहास में खाद संकट का प्रभाव
भारत में खेती-किसानी की समस्याएं नई नहीं हैं।
- 1960 के दशक का खाद संकट: हरित क्रांति से पहले, देश में उर्वरक और आधुनिक तकनीकों की कमी से खाद्यान्न उत्पादन प्रभावित होता था।
- खाद का महत्व: हरित क्रांति के बाद डीएपी और यूरिया जैसे उर्वरकों ने कृषि उत्पादन में अहम भूमिका निभाई।
आज भी खाद की कमी, खासकर रबी और खरीफ के मौसम में, किसानों को परेशान करती है।
किसानों की मांग: काउंटर और स्टाफ बढ़ाया जाए
बिस्कोमान भवन पर जुटे किसानों का कहना है कि
- काउंटर की संख्या बढ़ाई जाए: एक काउंटर पर ही खाद वितरण होने से भारी भीड़ हो रही है।
- स्टाफ की कमी: खाद वितरण के लिए अतिरिक्त कर्मियों की नियुक्ति की जाए।
- खुले बाजार में खाद: खुले बाजार में भी खाद की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
किसान बताते हैं कि उनकी महिलाएं भी लाइन में खड़ी होने को मजबूर हैं।
किसानों की समस्याओं पर प्रशासन की चुप्पी
बिस्कोमान के गोदाम प्रबंधक रितेश कुमार ने कहा कि यह डीएपी की पहली खेप है और जल्द ही नई खेप आने की उम्मीद है।
- हालांकि, किसानों का कहना है कि जिला कृषि विभाग को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए।
- खाद की कमी से अगर बुआई प्रभावित होती है, तो इसका असर सीधा उत्पादन पर पड़ेगा।
खुले बाजार में खाद की अनुपलब्धता
किसानों ने शिकायत की है कि खुले बाजार में डीएपी और यूरिया उपलब्ध नहीं हैं।
- उर्वरकों की कमी से ब्लैक मार्केटिंग का खतरा बढ़ रहा है।
- प्रशासन को इस पर ध्यान देने की जरूरत है।
स्थिति को संभालने के लिए जरूरी कदम
- खाद की खेप बढ़ाई जाए: किसानों की मांग को देखते हुए अतिरिक्त खाद की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए।
- काउंटर और स्टाफ बढ़ाया जाए: खाद वितरण की प्रक्रिया को तेज और सुगम बनाया जाए।
- खुले बाजार की निगरानी: उर्वरकों की ब्लैक मार्केटिंग पर लगाम लगाई जाए।
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