Nawada Ambulance: मौत के बाद भी ठेले पर शव ले जाने की मजबूरी, स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल

नवादा में शव वाहन की कमी के कारण लोगों को ठेले पर शव ढोने की मजबूरी। सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की खामियों पर गहराया सवाल। पूरी खबर पढ़ें।

Nov 28, 2024 - 13:41
 0
Nawada Ambulance: मौत के बाद भी ठेले पर शव ले जाने की मजबूरी, स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल
Nawada Ambulance: मौत के बाद भी ठेले पर शव ले जाने की मजबूरी, स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल

नवादा: बिहार के नवादा जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का एक और शर्मनाक मामला सामने आया है। यहां शव वाहन की अनुपलब्धता के चलते लोगों को अपने परिजनों के शव ठेले पर ले जाने की मजबूरी झेलनी पड़ रही है। यह घटना न केवल स्वास्थ्य विभाग की खामियों को उजागर करती है, बल्कि आम जनता के लिए सरकार के दावों की पोल भी खोलती है।

शव वाहन की कमी बनी मुसीबत

नवादा के सदर अस्पताल में शव वाहन की सुविधा लंबे समय से ठप पड़ी है। सरकारी एंबुलेंस सेवाओं में अनियमितताओं के चलते जरुरतमंद लोगों को निजी एंबुलेंस किराए पर लेने या फिर ठेले का सहारा लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। ऐसे ही एक मामले में रेलवे ट्रैक किनारे मिले एक अज्ञात शव को ठेले पर श्मशान घाट तक ले जाना पड़ा।

स्थानीय लोगों के अनुसार, शव वाहन सेवा दो महीने से बंद है क्योंकि उपलब्ध वाहन खराब हो चुका है और उसकी मरम्मत नहीं कराई गई। स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाया, जिससे यह समस्या विकट होती जा रही है।

गरीबों पर बढ़ा बोझ

निजी एंबुलेंस संचालक शवों को ढोने के लिए अधिक राशि की मांग करते हैं। गरीब परिवार, जो पहले ही अपने इलाज पर कर्ज का बोझ झेल रहे होते हैं, उनके लिए यह अतिरिक्त खर्च असहनीय हो जाता है। वहीं, कई बार एंबुलेंस चालक शव ले जाने से मना कर देते हैं, खासकर अज्ञात शवों के मामले में।

स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल

बिहार सरकार और स्वास्थ्य विभाग यह दावा करते हैं कि राज्य में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर हो रही हैं। लेकिन इस घटना से साफ है कि ये दावे केवल कागजों तक ही सीमित हैं। नवादा जैसे जिलों में जहां स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पहले से खराब है, वहां शव वाहन की अनुपलब्धता गंभीर सवाल खड़े करती है।

संक्रमण और दुर्गंध का खतरा

शवों को ठेले पर ढोने के दौरान दुर्गंध और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। यह न केवल स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, बल्कि एक सभ्य समाज में ऐसी स्थिति मानवता के खिलाफ है।

सरकार की योजनाएं और हकीकत

राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से पहले एक शव वाहन उपलब्ध कराया गया था, लेकिन उसके खराब होने के बाद से इसे मरम्मत के लिए नहीं भेजा गया। सिविल सर्जन डॉ. नीता अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने जिला स्वास्थ्य समिति को निर्देश दिया है कि एंबुलेंस सेवाओं की स्थिति की रिपोर्ट तैयार की जाए। उन्होंने यह भी वादा किया कि जल्द ही नई एजेंसी के माध्यम से शव वाहन की सुविधा शुरू की जाएगी।

ऐसे मामलों से सबक लेने की जरूरत

यह कोई पहली घटना नहीं है। नवादा जैसे जिलों में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली कोई नई बात नहीं है। सवाल यह है कि क्या सरकार इन समस्याओं को गंभीरता से लेगी या फिर ये घटनाएं सरकारी फाइलों में दबकर रह जाएंगी।

इस घटना ने बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी सच्चाई को उजागर किया है। शव वाहन की अनुपलब्धता केवल एक समस्या नहीं, बल्कि सिस्टम की लापरवाही का नतीजा है। सरकार को चाहिए कि वह तुरंत इस ओर ध्यान दे और जरुरतमंदों को सम्मानजनक स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करे।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।