Nawada Adoption Joy: नवादा में दंपति ने शिशु को गोद लेकर जताई खुशी, जानिए कैसे पूरी हुई उनकी सालों की इच्छा!
नवादा में शिशु शिवांश कुमार को बांका के दंपति अमित और रीना ने गोद लिया। जानिए कैसे पूरी हुई उनकी सालों की इच्छा।
नवादा जिला पदाधिकारी श्री रवि प्रकाश द्वारा बांका जिले के दंपति श्री अमित कुमार शर्मा और उनकी पत्नी श्रीमती रीना देवी को शिशु शिवांश कुमार को गोद दिए जाने का मामला सामने आया है। इस दत्तक ग्रहण प्रक्रिया ने न केवल दंपति को खुशी दी, बल्कि उनके परिवार को पूर्णता का अहसास कराया।
दंपति की खुशी
शिशु को गोद लेते ही दंपति ने भावुक होते हुए कहा, "आज से हमारा परिवार पूर्ण हो गया। हम इस पल का पिछले तीन वर्षों से इंतजार कर रहे थे।"
कानूनी प्रक्रिया
यह दत्तक ग्रहण केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA), नई दिल्ली के CARINGS पोर्टल के माध्यम से दत्तक ग्रहण विनियमन 2022 एवं किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 के तहत विधिवत रूप से संपन्न हुआ। सभी कानूनी प्रक्रियाओं को पूरी तरह से पालन करते हुए इस गोद लेने की प्रक्रिया को अंजाम दिया गया।
इतिहास और प्रक्रिया
भारत में दत्तक ग्रहण की परंपरा प्राचीन काल से रही है। हालांकि, कानूनी प्रक्रिया में सुधार और पारदर्शिता लाने के लिए CARA की स्थापना की गई थी। CARA का मुख्य उद्देश्य गोद लेने की प्रक्रिया को सुगम और पारदर्शी बनाना है। CARINGS पोर्टल के माध्यम से दत्तक ग्रहण प्रक्रिया को डिजिटल किया गया, जिससे देशभर के दंपति आसानी से आवेदन कर सकते हैं।
जिला प्रशासन की भूमिका
इस प्रक्रिया में नवादा जिला बाल संरक्षण इकाई के प्रभारी सहायक निदेशक डॉ. राजकुमार सिंहा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने बताया कि वर्तमान में विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान में एक और शिशु आवासित है, जिसकी दत्तक ग्रहण प्रक्रिया जारी है।
समारोह में उपस्थित अधिकारी
इस अवसर पर जिला प्रशासन के कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे, जिनमें बाल संरक्षण पदाधिकारी श्री मुकेश कुमार, बाल कल्याण समिति के सदस्य श्री रोहित कुमार, श्रीमती उषा कुमारी, श्री सलिया उद्दीन, श्रीमती सुधा रानी और श्री आदर्श निगम (प्रबंधक) शामिल थे।
दत्तक ग्रहण का महत्व
दत्तक ग्रहण न केवल एक परिवार को पूर्णता देता है, बल्कि अनाथ बच्चों को एक सुरक्षित और प्यार भरा घर भी प्रदान करता है। भारत में हर साल हजारों बच्चे गोद लिए जाते हैं, लेकिन जागरूकता की कमी के कारण कई बच्चे अभी भी परिवारों की तलाश में हैं।
भविष्य की उम्मीद
जिला प्रशासन और CARA का यह प्रयास सराहनीय है और इससे समाज में दत्तक ग्रहण को लेकर सकारात्मक संदेश जाएगा। अमित और रीना जैसे दंपतियों की कहानी उन परिवारों के लिए प्रेरणा बन सकती है जो एक शिशु को गोद लेने की इच्छा रखते हैं।
What's Your Reaction?