Nawada Scandal : पुलिस के इशारे पर गायब हुई गिट्टी, संचालक सुमन हुआ फरार, चर्चा का बाजार गर्म
नवादा में पुलिस के इशारे पर गिट्टी गायब हो गई, संचालक सुमन फरार! क्या यह अवैध कारोबार प्रशासन की नाक के नीचे चल रहा था? जानिए इस सनसनीखेज मामले के बारे में।
नवादा जिले के रजौली थाना क्षेत्र में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने प्रशासन की व्यवस्था और पुलिस के मंसूबों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटना उस समय सामने आई जब अवैध गिट्टी कारोबार को लेकर पुलिस की मंशा पर पानी फेरने की कोशिश की गई। थानेदार के इशारे पर न केवल गिट्टी गायब कर दी गई, बल्कि संचालक सुमन यादव भी फरार होने में सफल रहा। इस घटनाक्रम ने जिले में चर्चा का माहौल बना दिया है, और लोग चाय-पान की दुकानों पर इस मामले को लेकर बहस करते नजर आ रहे हैं।
गिट्टी का अवैध कारोबार: प्रशासन की नाक के नीचे
गिट्टी का अवैध कारोबार पिछले कई महीनों से रजौली अनुमंडल कार्यालय के पास जोर शोर से चल रहा था। खनन विभाग और पुलिस अधिकारियों के बीच कथित सांठगांठ से यह धंधा लगातार फल-फूल रहा था। जानकारी के अनुसार, अवैध गिट्टी डम्पिंग यार्ड से गिट्टी बिना चालान के झारखंड के विभिन्न स्थानों से लाकर बिहार में बेच दी जाती थी। यह कारोबार न केवल बिहार सरकार के राजस्व में भारी चूना लगा रहा था, बल्कि इलाके में अवैध गतिविधियों का भी बढ़ावा दे रहा था।
खनन विभाग की कार्रवाई: गिट्टी गायब होने का रहस्य
खनन विभाग ने कुछ दिन पहले इस अवैध गिट्टी डम्पिंग यार्ड पर छापेमारी की थी, जिसमें सीओ गुफरान मजहरी, अपर थानाध्यक्ष अजय कुमार, और खनन निरीक्षक अपूर्व सिंह भी मौजूद थे। छापेमारी के दौरान गिट्टी के ढेर और सात ट्रैक्टर जप्त किए गए, जिन पर लगभग 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था। लेकिन जब मामला अदालत में जाने वाला था, तो आरोपी थानाध्यक्ष की काली करतूतों ने नया मोड़ ले लिया। जुर्माना से बचने के लिए जप्त गिट्टी गायब कर दी गई, और संचालक सुमन यादव को फरार कर दिया गया ताकि उसका अवैध धंधा लगातार चलता रहे।
क्या प्रशासन इस अवैध धंधे को रोक पाएगा?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब अवैध धंधे की जानकारी प्रशासन और पुलिस अधिकारियों को थी, तो फिर कार्रवाई क्यों नहीं की गई? यहां तक कि एसडीएम और एसडीपीओ के कार्यालय के पास अवैध कारोबार खुलेआम चल रहा था, लेकिन प्रशासन द्वारा इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। स्थानीय लोग यह कहने लगे हैं कि प्रशासन और पुलिस अधिकारी इस धंधे से मोटी रकम कमाने में लगे हुए थे, और इस कारण अवैध कारोबार को बढ़ावा मिला।
पुलिस की भूमिका पर सवाल
पुलिस के इशारे पर गिट्टी का गायब होना और संचालक का फरार होना एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। अगर सच में इस मामले में पुलिस की मिलीभगत है, तो यह प्रशासनिक भ्रष्टाचार का स्पष्ट उदाहरण है। जिले में अवैध कारोबार को लेकर बढ़ती चर्चा ने पुलिस और प्रशासन के खिलाफ जनता में गहरी नाराजगी पैदा कर दी है।
क्या इस घोटाले का होगा पर्दाफाश?
नवादा जिले में गिट्टी, कोयला और बालू का अवैध कारोबार लगातार बढ़ रहा है, और अब यह सवाल उठता है कि क्या प्रशासन कभी इस पर रोक लगा पाएगा? जब तक पुलिस और प्रशासन इस अवैध कारोबार को लेकर सख्त कदम नहीं उठाते, तब तक यह धंधा यथावत चलता रहेगा।
यह मामला अब केवल एक अवैध गिट्टी डम्पिंग की घटना नहीं रह गया है, बल्कि यह पूरे जिले में प्रशासन और पुलिस की भूमिका पर सवाल उठा रहा है। क्या जनता को न्याय मिलेगा, या फिर यह भ्रष्टाचार का खेल यूं ही चलता रहेगा?
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