Murli Para: मुरली पारा में मानवाधिकार दिवस की भव्य सभा, जाने इसके महत्व और भारत की भूमिका
मुरली पारा मेडिकल रिसर्च कॉलेज में 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस मनाया गया। इस मौके पर शिक्षकों और छात्रों ने मानवाधिकारों के महत्व पर अपने विचार साझा किए।
Murli Para के मेडिकल रिसर्च कॉलेज में 10 दिसंबर 2024 को "मानवाधिकार दिवस" का आयोजन बड़े धूमधाम से किया गया। यह दिवस हर साल दुनिया भर में मानवाधिकारों की अहमियत को समझाने और उनके प्रति जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य समाज में हर व्यक्ति को उसके अधिकारों के बारे में जागरूक करना और उन अधिकारों का प्रभावी उपयोग करना है।
मानवाधिकार का महत्व
प्रकृति ने मनुष्य को जन्म से ही कुछ मूलभूत अधिकार दिए हैं, जैसे जीवन का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, और समानता का अधिकार। ये अधिकार किसी भी व्यक्ति को लिंग, जाति, धर्म, राष्ट्रीयता आदि से स्वतंत्र रखते हैं। इन अधिकारों की गारंटी और सुरक्षा के लिए कानून बनाए जाते हैं।
आधिकारिक उद्घाटन और शिक्षकों के विचार
कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए कॉलेज के वाइस प्रिंसिपल डॉ. चंदन पंडा ने मानवाधिकारों के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता" का अधिकार प्रत्येक व्यक्ति को अपनी बात कहने और समाज में अपनी आवाज उठाने का अवसर प्रदान करता है। हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि इस अधिकार की कुछ सीमाएं होती हैं, जैसे अश्लीलता और दंगे भड़काने से संबंधित विषय।
शिक्षक श्री मेधलाल साव ने अपने विचार रखते हुए कहा कि हर इंसान को "जीवन का अधिकार" है। उन्होंने बताया कि यह अधिकार न केवल जीवन जीने की स्वतंत्रता देता है, बल्कि सम्मानपूर्वक जीने की संभावना भी प्रदान करता है।
शिक्षिका श्रीमती प्रियंका तिवारी ने "स्वतंत्रता के अधिकार" पर जोर दिया और कहा कि हर व्यक्ति का यह जन्मसिद्ध अधिकार है कि वह गुलाम न रहे, बल्कि स्वतंत्र रूप से अपने जीवन को जी सके।
शिक्षिका श्रीमती मिताली ने "शिक्षा का अधिकार" की चर्चा करते हुए कहा कि समाज में हर व्यक्ति को बिना किसी भेदभाव के शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है। उन्होंने बताया कि शिक्षा का अधिकार हर व्यक्ति की प्राथमिक आवश्यकता है और यह मानवाधिकारों के मौलिक तत्वों में से एक है।
छात्रों ने साझा किए अपने विचार
छात्रा निशा ने कहा कि मानवाधिकार हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार है और इसे कानून के द्वारा संरक्षित किया गया है। उन्होंने भारत की ओर इशारा करते हुए कहा कि भारत हमेशा से मानवाधिकारों के प्रति सजग रहा है और विश्व मंच पर मानवाधिकारों के समर्थन में सक्रिय रहा है।
छात्र लक्ष्मी महतो, रिसता, और प्रिया महतो ने भी अपनी बातें रखीं और मानवाधिकारों के महत्व को समझाने में अपने विचार साझा किए।
कार्यक्रम का समापन
कार्यक्रम का समापन समीर सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन से किया। उन्होंने सभी उपस्थित व्यक्तियों और छात्रों का आभार व्यक्त किया और इस आयोजन को सफल बनाने के लिए उनके योगदान की सराहना की।
इतिहास और महत्व
मानवाधिकार दिवस का इतिहास 1948 से जुड़ा हुआ है, जब संयुक्त राष्ट्र ने "मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा पत्र" को अपनाया था। तब से हर साल 10 दिसंबर को यह दिन मनाया जाता है ताकि लोगों को उनके अधिकारों की याद दिलाई जा सके और उन्हें सुरक्षा देने के प्रयास किए जा सकें।
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