26 साल की वफादारी पर विराम: झामुमो के सीनियर नेता रूपेश वर्मा पप्पू का इस्तीफा, सरायकेला में राजनीतिक भूचाल
झामुमो के वरिष्ठ केंद्रीय सदस्य रूपेश वर्मा पप्पू ने 26 साल की सेवा के बाद पार्टी से इस्तीफा दिया, सुप्रीमो शिबू सोरेन को लिखा पत्र। जानिए क्या हैं इसके पीछे की वजहें और कैसे इसने सरायकेला विधानसभा में राजनीतिक हलचल मचा दी।
26 साल बाद जामुमो के रूपेश वर्मा पप्पू ने दिया इस्तीफा, सरायकेला विधानसभा में मचा राजनीतिक भूचाल
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) को बड़ा झटका लगा है। 26 साल तक पार्टी के प्रति वफादार रहे वरिष्ठ केंद्रीय सदस्य रूपेश वर्मा पप्पू ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। सरायकेला विधानसभा में इस घटना ने राजनीतिक हलचल मचा दी है। इस फैसले ने पार्टी के अंदर और बाहर हलचल पैदा कर दी है, खासकर सरायकेला क्षेत्र में, जहां रूपेश वर्मा का प्रभाव बहुत गहरा है।
रूपेश वर्मा पप्पू ने अपने इस्तीफे की सूचना झामुमो के सुप्रीमो शिबू सोरेन को पत्र लिखकर दी। अपने पत्र में उन्होंने लिखा, "किसी अपरिहार्य कारणों से झारखंड मुक्ति मोर्चा के सभी पदों से त्यागपत्र देता हूं।" इस संक्षिप्त संदेश ने राजनीतिक जगत में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिर वे कौन से कारण थे जिन्होंने रूपेश वर्मा जैसे दिग्गज नेता को पार्टी छोड़ने पर मजबूर किया?
चंपई सोरेन के बाद यह दूसरा बड़ा झटका है, जिसने झामुमो की स्थिति को कमजोर कर दिया है। रूपेश वर्मा पप्पू का पार्टी छोड़ना इस बात का संकेत है कि पार्टी के भीतर कुछ ऐसे मुद्दे हैं जो बड़े नेताओं को असंतुष्ट कर रहे हैं। सरायकेला विधानसभा क्षेत्र में उनके इस्तीफे का सीधा असर आने वाले चुनावों पर पड़ सकता है, जहां उनकी लोकप्रियता और पकड़ मजबूत मानी जाती है।
शिबू सोरेन, जिन्हें 'गुरु जी' के नाम से भी जाना जाता है, के लिए यह एक गंभीर चुनौती है। पार्टी के वरिष्ठ और भरोसेमंद नेता का इस तरह इस्तीफा देना निश्चित रूप से पार्टी की एकता और भविष्य की रणनीति पर सवाल खड़ा करता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जामुमो इस स्थिति से कैसे निपटेगा और पार्टी की अंदरूनी कलह को कैसे सुलझाएगा।
इस इस्तीफे ने न केवल पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच, बल्कि पूरे राजनीतिक माहौल में चर्चा का विषय बना दिया है। रूपेश वर्मा के इस्तीफे के पीछे की असली वजहें क्या हैं, इस पर सभी की नजरें टिकी हैं।
What's Your Reaction?