Dimna Hospital: डॉक्टर तो 16, पर मरीज सिर्फ 50, क्या यही है स्वास्थ्य सेवा की सूरत?

डिमना के एमजीएम अस्पताल में डॉक्टरों की भरमार के बावजूद मरीजों की संख्या सिर्फ 50 तक सीमित। जानिए क्यों नहीं पहुंच रहे लोग और क्या हैं स्वास्थ्य सेवा की असलियत।

Nov 27, 2024 - 09:41
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Dimna Hospital: डॉक्टर तो 16, पर मरीज सिर्फ 50, क्या यही है स्वास्थ्य सेवा की सूरत?
डॉक्टर ज्यादा, मरीज कम, इलाज के लिए अब भी साकची की दौड़ क्यों?

जमशेदपुर: एमजीएम अस्पताल, डिमना का नया ओपीडी भवन भले ही आधुनिक सुविधाओं से लैस है, लेकिन मरीजों की कमी ने अस्पताल प्रशासन की व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पिछले डेढ़ महीने में यहां आने वाले मरीजों की संख्या 50 से अधिक नहीं पहुंची। 16 डॉक्टरों की टीम के बावजूद हर डॉक्टर दिनभर में केवल तीन मरीज देखता है।

ऐसे में सवाल उठता है कि जब साकची के एमजीएम अस्पताल में मरीजों की भीड़ के कारण अफरातफरी मची रहती है, तो डिमना अस्पताल की खाली पड़ी कुर्सियां आखिर क्यों नहीं भर रहीं?

मरीज क्यों नहीं आ रहे डिमना अस्पताल?

डिमना अस्पताल में आठ विभागों के लिए अलग-अलग ओपीडी चालू हैं। मेडिसिन, गायनी, हड्डी रोग, और सर्जरी जैसे विभागों में रोजाना दो-दो डॉक्टर बैठते हैं। फिर भी मरीजों की संख्या बेहद कम है। मेडिसिन विभाग, जो हर अस्पताल में सबसे ज्यादा मरीजों को आकर्षित करता है, यहां डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है।

संगीता, जो अपनी भाभी को दिखाने आई थीं, बताती हैं, "यहां डॉक्टर नहीं थे, इसलिए हमें साकची जाना पड़ा। अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे, और जरूरी जांच भी साकची में ही होती हैं। तो ऐसे में कौन बार-बार यहां आकर समय बर्बाद करे?"

डॉक्टरों की लेट-लतीफी और मरीजों की दुश्वारी

डिमना अस्पताल में मरीजों को एक और बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है—डॉक्टरों का समय पर न पहुंचना। सोमवार को मेडिसिन विभाग के डॉक्टर देर से पहुंचे, जबकि सबसे ज्यादा मरीज इसी विभाग में आते हैं।

डॉक्टरों की इस आदत पर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. जुझार माझी ने कहा, "हमने डॉक्टरों की लेट-लतीफी की शिकायत अधीक्षक और प्राचार्य से की है। इसे सुधारने की जरूरत है।"


साकची अस्पताल क्यों है डिमना से बेहतर?

मरीज और उनके परिजन यह मानते हैं कि साकची अस्पताल में भले ही भीड़ हो, लेकिन सभी जांचें और सेवाएं एक ही जगह पर उपलब्ध हैं।

ऋषभ, जो अपने दोस्त को दिखाने आए थे, कहते हैं, "डिमना अस्पताल में कई बार डॉक्टर ही नहीं होते। मेडिसिन विभाग और गायनी के डॉक्टर तो यहां नियमित रूप से भी नहीं आते।"

डिमना अस्पताल के मरीजों को अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे, और ब्लड टेस्ट जैसे जरूरी कामों के लिए साकची अस्पताल जाना पड़ता है। इस दोहरी परेशानी के कारण ज्यादातर मरीज सीधे साकची जाना बेहतर समझते हैं।

इतिहास से सीखने की जरूरत

एमजीएम अस्पताल साकची का नाम लंबे समय से जमशेदपुर में स्वास्थ्य सेवा की पहचान रहा है। लेकिन जब डिमना में नए अस्पताल भवन का उद्घाटन हुआ, तो इसे शहर के दूसरे हिस्सों के मरीजों का बोझ कम करने के उद्देश्य से बनाया गया था।

हालांकि, मरीजों की सुविधाओं और डॉक्टरों की प्रतिबद्धता के अभाव में यह भवन फिलहाल खाली पड़ा है। ऐसे में डिमना अस्पताल की स्थिति स्वास्थ्य व्यवस्था की खामियों को उजागर करती है।

आगे का रास्ता: डिमना अस्पताल कैसे बने उपयोगी?

डिमना अस्पताल को साकची की भीड़ कम करने के उद्देश्य से बनाया गया था। लेकिन जब तक यहां सभी जांच सुविधाएं उपलब्ध नहीं होंगी और डॉक्टर नियमित रूप से अपनी सेवाएं नहीं देंगे, तब तक यह अस्पताल मरीजों के लिए आकर्षक नहीं बन पाएगा।

क्या आप भी स्वास्थ्य सेवाओं की ऐसी समस्याओं से जूझ रहे हैं? अपनी राय हमें जरूर बताएं।

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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।