खरसावां सीट पर भाजपा टिकट की दावेदारी: झिंगी हेम्ब्रम और कुंवर सिंह बानरा ने भी पेश की दावेदारी, टिकट वितरण में भाजपा आलाकमान के सामने खड़ी हुई चुनौती
खरसावां विधानसभा सीट से भाजपा टिकट की दावेदारी के लिए जिप सदस्य झिंगी हेम्ब्रम और कुंवर सिंह बानरा ने भी अपना दावा पेश कर दिया है। पांच दावेदारों की वजह से टिकट वितरण में भाजपा आलाकमान के सामने चुनौती खड़ी हो गई है।
झारखंड विधानसभा चुनाव में खरसावां सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के टिकट की दावेदारी के लिए जिप सदस्य झिंगी हेम्ब्रम और कुंवर सिंह बानरा ने भी अपना दावा पेश कर दिया है। इस सीट पर अब तक कुल पांच नेताओं ने अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर दी है, जिससे पार्टी आलाकमान के लिए सही उम्मीदवार चुनना एक चुनौतीपूर्ण कार्य बन गया है।
कुंवर सिंह बानरा, जो खरसावां भाग 8 से जिला पार्षद रह चुके हैं और जोजोडीह पंचायत के मुखिया भी रह चुके हैं, ने अपनी दावेदारी का आधार पार्टी के साथ लंबे समय से जुड़े होने और क्षेत्र का कई बार प्रतिनिधित्व करने को बताया है। उन्होंने जिलाध्यक्ष को सौंपे अपने आवेदन में पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को पहली प्राथमिकता देने की बात कही है। इसके अलावा, बानरा ने बताया कि उनके परिवार की राजनीतिक विरासत भी उनकी दावेदारी को मजबूती प्रदान करती है, क्योंकि उनकी पुत्रवधू सावित्री बानरा ने हाल के जिला परिषद चुनाव में वर्तमान विधायक दशरथ गगराई की पत्नी बसंती गगराई को पराजित किया था।
दूसरी ओर, झिंगी हेम्ब्रम, जिन्होंने खरसावां सीट पर नेतृत्व की कमी के कारण कार्यकर्ताओं के मनोबल में गिरावट की बात कही है, ने भी अपनी दावेदारी पेश की है। हेम्ब्रम ने कहा कि उन्होंने पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ पार्टी की सेवा की है, और इसके मद्देनजर उन्हें टिकट मिलना चाहिए। उन्होंने जिलाध्यक्ष को सौंपे अपने पत्र में इस बात पर जोर दिया कि उनका लंबा राजनीतिक अनुभव और पार्टी के प्रति वफादारी उन्हें इस सीट के लिए एक योग्य उम्मीदवार बनाते हैं।
गौरतलब है कि इस सीट से पहले भी कई प्रमुख नेता जैसे पूर्व विधायक मंगल सिंह सोय, जवाहरलाल बानरा, अनीता सोय और लाल सिंह सोय अपनी दावेदारी पेश कर चुके हैं। इन सभी दावेदारियों ने पार्टी के टिकट वितरण को एक कठिन कार्य बना दिया है, जिसके लिए भाजपा आलाकमान को गंभीरता से विचार करना होगा।
इस लेख के लेखक एक वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक हैं, जिनका झारखंड की राजनीति पर गहन अध्ययन है। उन्होंने कई चुनावों में उम्मीदवारों की रणनीति और चुनावी परिणामों का विश्लेषण किया है और उनके लेख विभिन्न प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में प्रकाशित होते रहे हैं।
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