Adityapur Meeting विवादों से घिरी आशियाना आदित्य सोसाइटी, किसने रची समानांतर समिति की साज़िश?
सरायकेला खरसावां के आदित्यपुर स्थित आशियाना आदित्य सोसाइटी में अवैध और अनैतिक तरीके से समानांतर अंतरिम समिति के गठन का आरोप। जानिए पूरी साजिश की कहानी और इसके पीछे की सच्चाई।

आदित्यपुर स्थित आशियाना आदित्य रेजीडेंस में एक बार फिर विवादों की आंधी उठ चुकी है। इस बार मामला है – गुपचुप ढंग से बुलाई गई एक रहस्यमयी मीटिंग और उसमें समानांतर अंतरिम समिति के गठन का प्रयास।
13 अप्रैल की दोपहर, जब अधिकांश फ्लैट मालिक अपने रोज़मर्रा के काम में व्यस्त थे, उसी दौरान कुछ लोगों ने सोसाइटी परिसर में एक गुप्त मीटिंग बुला ली। प्रेस रिलीज़ जारी कर रेजीडेंस वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष अमित कुमार नागेलिया और सचिव आलोक चौधरी ने गंभीर आरोप लगाए हैं कि इस मीटिंग के पीछे एक बड़ा खेल है।
किस बात को लेकर मचा बवाल?
प्रेस रिलीज़ में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि सोसाइटी में रेरा नियमों के तहत पहले ही प्रमोटर द्वारा एक वैध अंतरिम समिति का गठन किया जा चुका है। यह समिति फिलहाल रजिस्ट्रेशन ऑफिस में पंजीकरण की प्रक्रिया से गुजर रही है।
लेकिन इसी बीच, कुछ असंतुष्ट तत्वों ने लगभग 50 से 60 फ्लैट मालिकों को गुमराह कर एक समानांतर समिति के गठन की कोशिश की – जो कि न केवल अवैध है, बल्कि पूरी सोसाइटी की एकता और वैधता पर प्रश्नचिह्न भी लगा रही है।
इतिहास गवाह है: ऐसी साजिशें कैसे तोड़ती हैं सोसाइटी की एकता
अगर हम हाउसिंग सोसाइटीज के इतिहास पर नज़र डालें तो यह पहली बार नहीं है जब इस तरह की 'पैरलल पॉलिटिक्स' देखने को मिली हो। देशभर में कई हाउसिंग सोसाइटीज इस तरह की आंतरिक राजनीति का शिकार हो चुकी हैं, जहाँ छोटी-छोटी गुटबाज़ियाँ बड़े विवादों को जन्म देती हैं। ऐसे मामलों में न केवल फ्लैट मालिकों की एकता टूटती है, बल्कि लीगल पेचदगियों में फँसकर सोसाइटी की प्रगति रुक जाती है।
क्या है कानून की नजर में इस हरकत की स्थिति?
रेरा एक्ट स्पष्ट करता है कि सोसाइटी के किसी भी तरह के संचालन या समिति गठन के लिए प्रमोटर की अनुमति और नियमानुसार प्रक्रिया अनिवार्य है। इस कानून के तहत पहले से गठित अंतरिम समिति ही वैध मानी जाएगी, और बिना पंजीकरण अथवा सहमति के गठित कोई भी समिति अवैध मानी जाएगी।
आम फ्लैट मालिकों की उलझन:
यह पूरा विवाद अब आम फ्लैट मालिकों को उलझा रहा है। 450 फ्लैट्स वाले इस बड़े परिसर में अधिकतर लोगों को ना तो इस गुप्त मीटिंग की सूचना थी, और ना ही उन्हें यह स्पष्ट जानकारी थी कि पहले से कोई वैध समिति अस्तित्व में है।
एक फ्लैट मालिक का बयान:
"हमें तो पता ही नहीं चला कि ऐसी कोई मीटिंग हो रही है। अगर पहले से समिति बनी है तो फिर नई समिति का क्या मतलब?" – एक फ्लैट ऑनर ने नाम न बताने की शर्त पर बताया।
सवाल जो अब भी अनुत्तरित हैं:
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क्या यह पूरी योजना जानबूझकर रची गई थी?
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किसके इशारे पर बुलायी गई यह मीटिंग?
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क्या ये लोग सोसाइटी को अपने निजी फायदे के लिए बाँटना चाहते हैं?
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रेरा की निगरानी में अब यह मामला कैसे आगे बढ़ेगा?
इस पूरे विवाद ने आदित्यपुर की इस प्रतिष्ठित हाउसिंग सोसाइटी को दो धड़ों में बाँटने की स्थिति पैदा कर दी है। हालांकि कानूनी दृष्टिकोण से देखा जाए तो समानांतर समिति का गठन पूरी तरह अवैध प्रतीत होता है, लेकिन यह घटना साफ संकेत देती है कि सोसाइटी के भीतर संवाद की कमी और पारदर्शिता की जरूरत पहले से कहीं ज़्यादा है।
आगामी दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रमोटर और वैध अंतरिम समिति इस विवाद से कैसे निपटती है और क्या रेरा की दखलंदाजी के बाद दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई होती है या नहीं।
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