Mumbai Collaborates: ई-कचरे से कीमती धातु तक, मैकानी मेटल्स और एनएमएल का बड़ा करार

मुंबई की मैकानी मेटल्स ने सीएसआईआर-एनएमएल, जमशेदपुर के साथ ई-कचरे से कीमती धातु निकालने की परियोजना पर करार किया। जानें, कैसे यह पहल पर्यावरण और रोजगार को देगी बढ़ावा।

Dec 5, 2024 - 17:25
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Mumbai Collaborates: ई-कचरे से कीमती धातु तक, मैकानी मेटल्स और एनएमएल का बड़ा करार
Mumbai Collaborates: ई-कचरे से कीमती धातु तक, मैकानी मेटल्स और एनएमएल का बड़ा करार

जमशेदपुर:  तकनीकी नवाचार और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाते हुए मैकानी मेटल्स, मुंबई ने राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला (एनएमएल), जमशेदपुर के साथ ई-कचरे से कीमती धातु निकालने के लिए करार किया है।

यह परियोजना ज़ीरो-वेस्ट मॉडल पर आधारित है, जो पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने और ई-कचरे के सही निस्पादन के साथ रोजगार सृजन की ओर बढ़ने का प्रयास करेगी।

ई-कचरे की समस्या और समाधान का इतिहास

भारत में ई-कचरा (Electronic Waste) प्रबंधन एक बड़ी चुनौती है।

  • 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा ई-कचरा उत्पादक देश है।
  • हर साल लगभग 30 लाख टन ई-कचरा उत्पन्न होता है, लेकिन इसका केवल 15% ही पुनर्नवीनीकरण किया जाता है।

एनएमएल और मैकानी मेटल्स का यह सहयोग न केवल इन समस्याओं को हल करने में मदद करेगा, बल्कि स्वच्छ भारत अभियान की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण योगदान देगा।

कैसे बदलेगी तस्वीर: ज़ीरो-वेस्ट मॉडल

यह परियोजना "ज़ीरो-वेस्ट" कॉन्सेप्ट पर आधारित है, जो कचरे का पुनर्चक्रण करके उसे मूल्यवान उत्पादों में परिवर्तित करती है।

  • कीमती धातु निकासी: ई-कचरे में पाए जाने वाले सोना, चांदी, और अन्य धातुओं का पुनर्चक्रण किया जाएगा।
  • पर्यावरण संरक्षण: इस तकनीक से न केवल कचरे का सही निपटारा होगा, बल्कि प्रदूषण भी कम होगा।
  • रोजगार सृजन: स्थानीय बेरोजगार युवाओं को नौकरी के अवसर मिलेंगे।

मैकानी मेटल्स: भविष्य की राह

मैकानी मेटल्स के संस्थापक श्री रियाज मैकानी ने कहा,

"यह पहल प्रदूषण मुक्त समाज बनाने और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। एनएमएल, जमशेदपुर के साथ काम करना हमारे लिए गर्व की बात है।"

एनएमएल की भूमिका: तकनीकी नवाचार और सफलता

राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला (एनएमएल), जमशेदपुर ने हाल के वर्षों में कई स्वदेशी तकनीकें भारतीय कंपनियों को हस्तांतरित की हैं।

  • इस परियोजना में एनएमएल की विशेषज्ञ टीम ने रीसाइक्लिंग और शहरी कचरे पर अपने शोध और तकनीक को साझा किया है।
  • एनएमएल के निदेशक डॉ. संदीप घोष चौधरी ने कहा,

    "हम ई-कचरा मुक्त भारत बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह परियोजना पर्यावरण और समाज के लिए एक बड़ा बदलाव लाएगी।"

परियोजना के लाभ: राष्ट्रीय और स्थानीय प्रभाव

1. पर्यावरणीय प्रभाव:

  • ज़हरीले कचरे का सही निपटारा।
  • भूमि और जल प्रदूषण में कमी।

2. रोजगार और अर्थव्यवस्था:

  • स्थानीय युवाओं को रोजगार के नए अवसर।
  • असंगठित कचरा प्रबंधन इकाइयों को संगठित करने की पहल।

3. म्युनिसिपल इकाइयों का सहयोग:

नगरपालिकाएं इस परियोजना के तहत कचरे के निपटान में मदद पा सकेंगी।

भारत में ई-कचरा प्रबंधन की बढ़ती संभावनाएं

भारत सरकार ने 2016 में ई-कचरा प्रबंधन नियम लागू किए, लेकिन जागरूकता की कमी के कारण समस्या जस की तस बनी हुई है।

  • एनएमएल और मैकानी मेटल्स का यह करार भविष्य में रीसाइक्लिंग इंडस्ट्री के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है।

विशेषज्ञों की राय

ई-कचरा विशेषज्ञों का मानना है कि इस पहल से न केवल पर्यावरण को फायदा होगा, बल्कि देश में रीसाइक्लिंग इंडस्ट्री को भी बढ़ावा मिलेगा।

  • पर्यावरणविद डॉ. अंजनी कुमार साहू ने इस परियोजना को भारत में कचरा प्रबंधन का भविष्य बताया।

क्या भारत बनेगा ई-कचरा मुक्त?

मैकानी मेटल्स और एनएमएल का यह करार भारत को ई-कचरा मुक्त बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।

  • यह पहल पर्यावरण संरक्षण, रोजगार सृजन और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में योगदान देगी।
  • आने वाले समय में भारत के अन्य शहरों में भी इस मॉडल को लागू करने की उम्मीद है।

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